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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आर्य समाज के विशिष्ट कवि व भजनोपदेशक स्वामी भीष्म जी महाराज

(7 मार्च जन्मोत्सव पर विशेष रूप से प्रकाशित) सहदेव समर्पित स्वामी भीष्म जी का जन्म 7 मार्च 1859 ई0 में कुरुक्षेत्र जिले के तेवड़ा ग्राम में श्री बारूराम जी के गृह मेें हुआ था। बचपन में इनका नाम लाल सिंह था। इनकी बचपन से ही अध्ययन में रूचि थी। आपने 11 वर्ष की आयु में […]

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आर्य समाज

आर्य समाज हिन्दू समाज का प्रहरी है

(इतिहास का एक लुप्त पृष्ठ) डॉ विवेक आर्य अविभाजित भारत में पंजाब का क्षेत्र विशेष रूप से लाहौर आर्यसमाज की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र तो था। आर्यसमाज का प्रचार पंजाब क्षेत्र के साथ साथ सिन्ध क्षेत्र में भी खूब फैला। जिस प्रकार पंजाब की मिटटी विधर्मियों के आक्रमण से पीछे एक हज़ार वर्षों से लहूलुहान […]

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आर्य समाज

आर्यसमाज वैदिक धर्म प्रचारक एवं समाज सुधारक संस्था है

मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगर में स्थापित एक धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रवादी एवं वैदिक राजधर्म की प्रचारक संस्था वा आन्दोलन है। ऋषि दयानन्द को आर्यसमाज की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उनके समय में सृष्टि के आदिकाल में ईश्वर से प्रादुर्भूत सत्य सनातन […]

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आर्य समाज वेद हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के बतायें मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनायें

मनमोहन कुमार आर्य हम वेदों के पुनरुद्धार एवं देश से अविद्या व अन्धविश्वासों को दूर करने के लिये ऋषि दयानन्द सहित उनके गुरु स्वामी विरजानन्द, स्वामी दयानन्द के संन्यास गुरु स्वामी पूर्णानन्द जी, स्वामी जी के योग-गुरुओं, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती, पं. श्यामजी कृष्ण वम्र्मा, लाला लाजपत राय, भाई […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के तप, त्याग व भावनाओं को ध्यान में रखकर हमें उनके वेद-भाष्य सहित सभी ग्रन्थों का स्वाध्याय व आचरण करना चाहिये

– मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द संसार के महापुरुषों में अन्यतम थे। उन्होंने जो कार्य किया वह अन्य महापुरुषों ने नहीं किया। उन्होंने ही हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप से परिचित कराया है। उनसे पूर्व ईश्वर का सत्यस्वरूप वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों में उपलब्ध था परन्तु देश के न केवल सामान्य जन अपितु विद्वानों को भी […]

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आर्य समाज भारतीय संस्कृति व्यक्तित्व शिक्षा/रोजगार

विद्या : धर्म का आठवाँ लक्षण

दयानन्द ने विद्या प्राप्त करने की प्रेरणा अनेक स्थलों पर दी है। – अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए। – विद्या का जो पढ़ना-पढ़ाना है यही सबसे उत्तम है। – स्वाध्याय (पढ़ना) और प्रवचन (पढ़ाना) का त्याग कभी नहीं करना चाहिए। – विद्यादि शुभ गुणों को प्राप्त करने के प्रयत्न में अत्यंत […]

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आर्य समाज वेद

वैदिक ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना मन्त्र

विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव । यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥ मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकलजगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूरकर दीजिए, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं,उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये। हिरण्यगर्भ: समवर्त्तताग्रे भूतस्य […]

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आर्य समाज संपादकीय हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सर्वत्र व्याप रहा है ऋषि का आलोक

स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा स्थापित आर्य समाज जैसी पवित्र संस्था को स्थापित हुए अब 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस कालखंड में हमारे देश के राष्ट्रीय इतिहास में अनेक घटनाएं घटित हुई हैं। यदि सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो आर्य समाज ने भारत के राष्ट्रीय इतिहास को इस कालखंड में बड़ी गहराई […]

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आर्य समाज व्यक्तित्व

ऋषि दयानन्द ने वेदों का प्रचार विश्व कल्याण की भावना से किया

ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना किसी नवीन मत-मतान्तर के प्रचार अथवा प्राचीन वैदिक धर्म के उद्धार के लिये ही नहीं की थी अपितु उन्होंने वेदों का जो पुनरुद्धार व प्रचार किया उसका उद्देश्य विश्व का कल्याण करना था। यह तथ्य उनके सम्पूर्ण जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालने व मूल्याकंन करने पर विदित होता […]

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आर्य समाज भ्रांति निवारण

प्रयागराज, तीर्थराज और त्रिवेणी संगम की वास्तविकता, भाग – 1

इन दिनों प्रयागराज में सुप्रसिद्ध कुंभ का मेला आयोजित किया जा रहा है जिसकी भव्यतम तैयारी प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में संपन्न हुई है। निश्चित रूप से प्रयागराज का यह महाकुंभ इस बार अपने आप में कई अर्थों में निराला है। ऐसे में कई प्रश्न आपके मन मस्तिष्क में कौन […]

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