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हिंदू राष्ट्रनीति के उन्नायक थे-छत्रपति शिवाजी महाराज

राकेश कुमार आर्यहिंदू पद पादशाही के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। यह अजीब संयोग है कि 19 फरवरी को शिवाजी का जन्मदिवस है तो 20 फरवरी (1707) औरंगजेब का मृत्यु दिवस है। आजीवन औरंगजेब को नाकों चने चबाने वाले शिवाजी महाराज के कारण ही मुगल साम्राज्य की नींव […]

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देश-द्रोह का बदला-4

शांता कुमारगतांक से आगे….वह सामने से हट गया। नरेन्द्र भागकर प्राण बचाने का प्रयत्न करने लगा। अब तक नरेन्द्र काफी दूर निकल गया था। कन्हाई भी अपनी पिस्तौल से बिलकुल तैयार था। नरेन्द्र को भागते देख वह भूखे सिंह की भांति उसकी ओर लपका। नरेन्द्र जोर जोर से चिल्लाता शोर मचाता भाग रहा था। मार […]

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आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2

व्यंजन अक्षर अभी तक हमने हिंदी वर्णमाला के स्वर कहे जाने वाले अक्षरों के विषय में कुछ समझने का प्रयास किया है। अब हम व्यंजनों के विषय में चर्चा करते हैं। जिन वर्णों को बोलते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़े उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 33 है। ये स्वरों की सहायता से बोले […]

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वेद, महर्षि दयानंद और भारतीय संविधान-49

महर्षि दयानंद का इतिहास विषयक ज्ञानमहर्षि दयानंद अपने काल के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास और वेद को अलग अलग निरूपित किया। उन्होंने वेदों में इतिहास होने की धारणा को निर्मूल सिद्घ किया। महर्षि दयानंद का इतिहास संबंधी ज्ञान भी उतना ही गहन और गंभीर था जितना कि उनका वेद संबंधी ज्ञान गहन और गंभीर […]

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तितली का जीवन

उड़ते-उड़ते जाती है,बच्चों के चेहरों पर खुशी लाती है,लहलहाते खेतों पर,तितली मुस्कुराते हुए उड़ जाती है।चेहरों पर खुशी लाकर,फूलों को अपने पंखों से सजाकर,खुशी देते हुए आसमान में,तितली मुस्कुराते हुए उड़ जाती है।अपनी जिंदगी को गवांकर,दूसरों के चेहरों पर खुशियॉ लाकर,खुले पन्ने की तरह,तितली आसमान में मुस्कुराते हुए उड़ जाती है। अमन आर्य

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देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरू की फांसी की सार्थकता

प्रमोद भार्गवसामंती युग में जिस तरह से देश के वजूद के प्रतीक दुर्ग हुआ करते थे और दुर्ग पर हमले का मतलब राष्ट्र पर हमला माना जाता था,उसी तरह किसी भी प्रजातांत्रिक देश में राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक संसद भवन होते हैं। संसद पर हमले के सीधे-सीधे मायने देश पर हमला है। मसलन संसद पर […]

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देश-द्रोह का बदला-3

शांता कुमारगतांक से आगे….स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद खुदीराम का स्मारक बनाया गया। बिहार के सभी नेताओं ने उसके निर्माण में भाग लिया, परंतु श्री जवाहरलाल नेहरू ने उसमें भाग लेने से इनकार कर दिया था। शायद उनकी देशभक्ति की सूची में इस बाल शहीद को कोई स्थान प्राप्त नही। महात्मा गांधी से पूर्व भारत के […]

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झंडे की कहानी : जब था झंडे में वंदेमातरम्

राकेश कुमार आर्यभारत में ध्वजा शब्द झंडे का पर्यायवाची है, प्राचीन काल में राज्यकर्मियों द्वारा उठाकर ले जाने वाली ध्वजा को राजा या सेना के प्रतीक रूप में परिभाषित किया गया है। शुद्घ शाब्दिक रूप में ध्वजा से तीन चीजों का बोध होता है-1. पताका (हवा में फहराने वाला कपड़े या किसी अन्य वस्तु का […]

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गणतंत्र के 63 वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी है भारत में अंग्रेजी का गणतंत्र

हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन हमारी जनता आजाद गुलाम की मानिंद जिन्दगी बसर करने मजबूर है। और यह सब हमारी सरकार की कुनीतियों एवं अनदेखी का परिणाम है। हमारे थाने अंग्रेजों के समय के थानों से भी खतरनाक है वो इसलिए क्योंकि अंग्रेजों की लाठी खाने पर कम से कम अपने […]

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देश-द्रोह का बदला-2

शांता कुमारखुदीराम रात भर भागते रहे। बिना खाए पीए 17 वर्ष का बालक अंधेरी रात में भाग रहा था। किसलिए? क्या उसके दिमाग में कुछ खराबी थी? क्या प्राणों का मोह उसे न था? अपनी जवानी की उमंगें क्या उसके हृदय में उथल पुथल न मचाती थीं? सब कुछ था परंतु अपने देश बांधवों पर […]

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