डॉ. मधुसूदन उवाच *डॉ. डेवीड ग्रे -(१)”वैज्ञानिक विकास में भारत हाशिये पर की टिप्पणी नहीं है।” *(२)”वैश्विक सभ्यता में भारत का महान योगदान नकारता इतिहास विकृत है।” *(३)सर्वाधिक विकसित उपलब्धियों की सूची, भारतीय चमकते तारों की. आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, महावीर, भास्कर, माधव के योगदानों की।” **(४)”पश्चिम विशेषकर भारत का ऋणी रहा है। *प्रो. स्टर्लिंग किन्नी –(५) […]
Category: प्रमुख समाचार/संपादकीय
गतांक से आगे…. ‘ल’ पाणिनि ने लकार को दस काल तथा अवस्थाओं को प्रकट करने वाला पारिभाषिक शब्दों का ध्वन्यार्थक माना है। इसे इंद्र का विशेषण भी स्वीकार किया गया है। इसे लेने और रमण करने के अर्थों में भी प्रयुक्त किया जाता है। इस वर्ण की आकृति में अकार के मूलाधार से बांयी ओर […]
गतांक से आगे…..शांता कुमार10 जुलाई को वैस्टमिंटर अदालत में मननलाल का मुकदमा आरंभ हुआ। उसने अपनी जब से पुलिस द्वारा तलाशी में प्राप्त वक्तव्य पढऩे का आग्रह किया। पर पुलिस वक्तव्य मिलने की बात से मुकर गयी। तब मदनलाल ने जबानी ही अदालत में वक्तव्य दिया। उसका वास्तविक वक्तव्य जो बाद में प्रकाशित हुआ था […]
कलम उठाया जब लिखने को आंसू टपके, लहू भी टपका।हाथों में अखबार जो आया जख्म मिले और दर्द भी टपका।।इलाहाबाद जंक्शन पर मचा भगदड़ का तूफान।वहां पर मौजूद थे मेरे अनुज एडवोकेट शेखर और विरेन्द्रटे्रनों में बैठने की जल्दबाजी में अनेकों मारे गये इंसानदुख भरे हालात में परिजन कर रहे थे अपनों की पहचानजब मुझे […]
दुखद है: ‘हम अपने आदि संविधान’ वेद से दूर हो गये यह सर्वमान्य सत्य है कि सृष्टि के प्रारंभ में ही सृष्टि’ की प्रलय पर्यन्त जो संविधान वेद के रूप में हमें दिया गया वह आज प्रचलन से बाहर हो गया है। यह अलग बात है कि उसको मानने वाले आज भी भारत में ही […]
‘छ’ छकार को हमारे भाषाविदों ने छाया, आच्छादान, छत्र, परिच्छेद, अखण्ड, छेद आदि का समानार्थक माना है। छत, छाता, छवि, छत्वर: (इसी छत्वर से छप्पर शब्द बना है क्योंकि छत्वर: का एक अर्थ पर्णशाला भी है) छिपना, छिपाना, इत्यादि शब्द छ को छाया आदि का समानार्थक सिद्घ करते हैं। इसकी आकृति में बाहरी ओर से […]
वीरेन्द्र सेंगरनई दिल्ली। भाजपा के तीन दिवसीय अधिवेश के दौरान, नरेंद्र मोदी की चर्चा ने और जोर पकड़ लिया है। भले औपचारिक रूप से ‘पीएम इन वेटिंग’ के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के नाम का ऐलान न हुआ हो, लेकिन पार्टी के अंदर इसका साफ संदेश चला गया है। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में […]
आजाद की काव्य झलकियां
मां हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज। तेरी बलिवेदी पर चढ़ कर मां निज शीश कटाने आज॥ मलिन वेश ये आंसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात? वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ॥ धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएंगे न झुके तार। विश्व कांपता रह जाएगा, […]
हाथी जी के रुपए
हाथी जी से हो गई चूक।खुली छोड़कर गए संदूक।। बीस रुपए ले गई बिल्ली।रेल में बैठ, पहुंची दिल्ली।। सोलह रुपए ले गया भालू।खरीद लिए दो किलो आलू।। पन्द्रह रुपए ले गया बंदर।खरीदे दौ सौ ग्राम चुकंदर।। चुपके-चुपके आया सियार।वह भी ले गया रुपए चार।। होटल देखा मन ललचाया।उसने तुरंत समोसा खाया।। संदूक में रुपए थे […]
गतांक से आगे…..शांता कुमारजीवन की गाड़ी का कांटा ही मानो बदल गया। बिलासिता प्रिय मदन पर अब देश भक्ति का रंग चढऩे लगा। उन्हीं दिनों खुफिया पुलिस ने रिपोर्ट दी थी कि मदनलाल घंटों अकेले फूलों को देखता रहता है। पुलिस का अनुमान था कि वह या तो कोई कवि हो सकता है या फिर […]