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प्रमुख समाचार/संपादकीय

इक्कीसवीं शताब्दी शाकाहार की-4

गतांक से आगे….दुनिया ने अब तक दो महायुद्घ देखे हैं। तीसरा महायुद्घ कब होगा, यह तो फिलहाल कहना कठिन है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि तीसरा महायुद्घ पानी के लिए होगा। चीन के चार सौ नगरों में पानी का अभाव है। चीन अपने पानी की कमी को पूरा करने के लिए हिमालय के ग्लेशियरों […]

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आज का चिंतन-11/02/2014

हर कोई नहीं पा सकता अग्निधर्मा लोगों का साथ – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   एक-दूसरे के साथ रहना और निभाना वैचारिक और व्यवहारिक धरातल पर निर्भर है। जिन लोगों में वैचारिक समानता होती है, जिनका व्यवहार, चरित्र और कर्म समान है उनमें प्रतिस्पर्धा भी होती है, प्रतिद्वन्दि्वता भी, और सजातीय  आकर्षण- विकर्षण भी। कई लोग ऎसे हैं जो […]

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आज का चिंतन-09/02/2014

मोहपाश में नज़रबंद न रहें दुनिया को जानें-पहचानें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com यों तो संसार और मुक्ति को एक-दूसरे का विरोधाभासी कहा जाता है लेकिन सत्य यह भी है कि संसार को जाने बिना मुक्ति संभव नहीं है। जहाँ संसार को जान लेने और समझ लेने की यात्रा का अंत होता है वहीं से  […]

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आज का चिंतन-08/02/2014

संसार भरा पड़ा है दुःख देने वाले नालायकों से – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संसार में चित्त और जीवन को प्रभावित करने वाले दो ही कारक मुख्य हैं – सुख और दुःख। सुख प्राप्त होने पर मनुष्य खुश होता है जबकि दुःख प्राप्त हो जाने की स्थिति में वह खिन्न हो उठता है। हर मनुष्य […]

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इक्कीसवीं शताब्दी शाकाहार की-3

गतांक से आगे…हिंद महासागर में इंडोनेशिया और उसके आसपास के टापुओं से मछलियां और चीन, जापान तथा अन्य पूर्वी एशिया के देशों के खाने में उपयोग होने वाले जलचर इतनी बड़ी संख्या में पकड़े गये हैं कि उनका सफाया हो गया है। इसे दुनिया में डीप फिशिंग क्षेत्र कहा जाता है। विश्व में यह भाग […]

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आज का चिंतन-06/02/2014

त्याग और सेवा ही है शाश्वत संबंधों की बुनियाद – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संबंध दो प्रकार के हैं। एक सम सामयिक और क्षणिक संबंध होते हैं जिनमें  आकस्मिक कार्य या स्वार्थ से लोग एक-दूसरे से जुड़ जाया करते हैं और कार्य या स्वार्थ सध जाता है तो संबंध अपने आप समाप्त हो जाते […]

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आज का चिंतन-05/02/2014

ज्ञान बाँटने के बाद छोड़ दें संसार की सेवा के लिए – डॉ.दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   ज्ञान ऎसा कारक है जिसे अपने पास नहीं रखकर उन लोगों को बांट दिया जाना चाहिए जो इसे चाहते हैं।  अपने पास जो कुछ है वह समुदाय और संसार का है और इसलिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि […]

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आज का चिंतन-03/02/2014

आदर-सम्मान की भूख स्वाभाविक है मगर इसके लायक तो बनें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com आजकल सभी तरफ सम्मान के भूखों और आदर के प्यासों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। जो इसके लायक हैं वे भी इस दौड़ में आगे ही आगे भागते जा रहे हैं और जो लायक नहीं हैं वे भी […]

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आज का चिंतन-02/02/2014

मनोरंजन तक ही सीमित न रहें हमारे उत्सव, मेले और पर्व – डॉ. दीपक आचार्य 94133306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   देश या दुनिया का कोई सा मेला, पर्व हो या उत्सव, इसकी पूर्ण उपलब्धि तभी है जब कुछ विशिष्ट व्यक्तित्वों या समूहों की बजाय इसकी दृष्टि परिधि में समूचा क्षेत्र हो, क्षेत्रवासी हों तथा स्थानीय लोगों की आत्मीय भागीदारी का व्यापक प्रतिबिम्ब […]

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आज का चिंतन-01/02/2014

जब नहीं हो जरूरत शरीर को विराम दें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संसार के प्रत्येक जड़ और जीव को विश्राम की जरूरत पड़ती है और पर्याप्त विश्राम पा लेने के उपरान्त पुनः ऊर्जीकरण की प्रक्रिया संपादित होने लगती है। ऎसा न हो तो इनकी आयु और क्षमता दोनों पर कुप्रभाव होने लगता है […]

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