भारतीय संस्कृति में तीर्थ यात्राओं का अत्यन्त महत्व है । साधु सन्त तो निरन्तर देश भ्रमण करते ही रहते है लेकिन सामान्य जन भी समय समय पर तीर्थ यात्राओं के माध्यम से देशाटन करते हैं । भारत पर इस्लामी सेनाओं के आक्रमण से पहले ये तीर्थ यात्राएँ देश के भीतर ही सीमित नहीं थी बल्कि […]
Category: प्रमुख समाचार/संपादकीय
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक अभी महाराष्ट्र सदन के कर्मचारी अर्शद जुवैर का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि सानिया मिर्जा का मामला गर्मा गया। सानिया को तेलंगाना प्रांत की सरकार ने अपना ‘ब्रांड एम्बेसेडर’ (नामी राजदूत) घोषित किया और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने उसे एक करोड़ रु. का चेक दे दिया। इसी पर बवाल […]
नौकरी की मजबूरी
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू के रहस्योद्घाटन से किसकी प्रतिष्ठा पर आंच आई हैं? क्या कांग्रेस पार्टी की? क्या सरकार की? क्या तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की, जिन्हें एक भ्रष्ट न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश करनी पड़ी थी? सच्चाई तो यह है कि हमारी राजनीति के हमाम में सब नंगे […]
जहां एक ओर दौड़-भाग भरी जिंदगी और तमाम इच्छाओं की त्वरित पूर्ति के लिए दिन-रात खपती युवा पीढ़ी के लिए साहित्य, समाज, देश और राजनीति के विषय में सोचना, लिखना, पढ़ना जैसे दूर की कौड़ी हो गया है। वहीं ग्वालियर-चंबल की धरती पर जन्मे लोकेन्द्र सिंह राष्ट्र प्रेम की लौ अपने हृदय में शैशवकाल से […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी इस बार ७ रेसकोर्स में ईद-मिलन होगा या नहीं। यह सवाल मुश्किल होना नहीं चाहिये, लेकिन रमजान के दौर में लुटियन्स की दिल्ली जिस तरह इफ्तार पार्टियों से महरुम रही और इसी दौर में सत्ताधारियों का विचार हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है, का सवाल हवा में उछलने लगा उससे यह सवाल तो खड़ा […]
मोदी लाइव
सोलहवीं लोकसभा का आम चुनाव अपने आप में अनोखा था। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहला मामला था जब समस्त राजनीतिक दल सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ न होकर एक विपक्षी पार्टी के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे थे। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को घेरने का काम सिर्फ राजनीतिक दल […]
ऐसी होती है मां
एक बेटा अपने पिता जी की मौत के बाद माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ आया ! समय समय पर वह मिलकर आता रहा पर माँ ने कभी कोई शिकायत नहीं की !एक दिन बेटे को वृद्धाश्रम से फोन आया कि आपकी माँ की तबियत ठीक नहीं है जल्दी आइये …बेटा जाकर देखता है कि उसकी […]
उससे बात करते हुए
उससे बात करते हुएमुझे बहुत सारे रंग याद आते हैंचाँद, सूरज की तरह सिंदूरी हो जाता हैरात कुछ बैंगनी हो जाती हैऔर तारे सफेद नाग चम्पा के फूलों सेमहकने लगते हैंकी-बोर्ड पर नाचती हैं हमारी उँगलियाँकिसी रक्कासा सीउस वक्त हम सिर्फ विश्वास लिखते हैंहम अक्सर अतीत की पोथियों में लिखाअपना भाग्य बाँचते हैंवह पूछती हैसीता […]
सरकार हनीमून पर
आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने संसद में बजट पर बहस के दौरान एक कविता पढ़ी, जो सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है. संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद की कविता, ‘अच्छे दिन कब आने वाले हैं’, यहाँ पढ़िए. पहले किराया बढ़ाया रेल काफिर नंबर आया तेल का ख़ुद ही दस […]
“सेकुलरिज्म” का झुनझुना
“सेकुलरिज्म” का झुनझुना बजाने वाले शायद देश मे कुछ ऐसा माहौल बनाने के चक्कर मे नज़र आ रहे हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति अगर अपना काम ठीक से ना करे और उसके लिये अगर उसका विरोध भी किया जाये तो वह उसके साथ खड़े नज़र आयेंगे और उसके “निकम्मेपन” को “सेकुलरिज्म” की आड़ […]