आम तौर पर हर इंसान के साथ यही होता है। कभी वह प्रसन्न रहता है, कभी खिन्न। प्रसन्नता और खिन्नता वह ऎसे अहम कारक हैं जिन्हें आने और जाने के लिए न समय की जरूरत होती है, न किसी और की। चंचल मन की सदा-सर्वदा परिवर्तित होती रहने वाली स्थिति को पाश्चात्यों की परिभाषा में […]
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कुम्भलगढ़, उदयपुर, राजस्थान। चीन की दीवार का नाम विश्व में सभी जानते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में भी एक ऐसी दीवार है जो सीधे तौर पर चीन की दीवार को टक्कर देती है। जिसे भेदने की कोशिश अकबर ने भी की लेकिन भेद न सका। जिसकी दीवार की मोटाई इतनी है […]
भारत के मस्तक और धरती के स्वर्ग माने जाने वाले कश्मीर में पिछले दिनों से जो कुछ हो रहा है, जो कुछ किया जा रहा है उसे देखकर न सिर्फ कश्मीर बल्कि दुनिया की आँखें खुल जानी चाहिएं। भीषण बाढ़ की त्रासदी में पानी-पानी हो चुके कश्मीर के लिए भारतीय सेना और देश के योग्यतम […]
मनुष्य के सबसे निकट कोई दिव्य लोक है तो वह है पितरों का। इसी से होकर देवताओं के मार्ग और ब्रह्माण्ड के दूसरे लोकों की यात्रा होती है। इसलिए जो हमारे सबसे निकट हैं उनके प्रति हमारी विशेष जिम्मेदारी है।पितरों को यह स्मरण कराने की आवश्यकता नहीं होती कि उनकी क्या जिम्मेदारी है और उन्हें […]
श्राद्ध पर्व पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता ज्ञापन का पर्व है और इसमें जितनी अधिक मन से श्रद्धा अर्पित की जाती है उतना ही पितरों का आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है और यह हमारे सम्पूर्ण जीवन में सफलताओं के लिए दिशा-दृष्टि एवं संबलन प्रदान करने का काम करता है।पिछले कुछ समय से हमारे भीतर […]
आज हम कुछ खास बात बताएँगे जो शायद बहुत कम लोगो को मालूम हो ! सनातन शास्त्रों के गहन अध्यन से मालूम पड़ता है, की भगवान श्री कृष्ण हर कल्प में अवतार लेते है।इस कल्प के इसबार के द्वापर युग में भगवान विष्णु ही 16 कलाओं से सज्जित होकर श्री कृष्ण के रूप में अवतरित […]
मनमोहन कुमार आर्यसंसार में तीन पदार्थ अनादि हैं ईश्वर जीव व सृष्टि। जीवात्मा का स्वरूप सत्यए चेतन अल्पज्ञ एकदेशी सूक्ष्म आकार रहित जन्म.मरण धर्म शरीर को धारण करना अपने ज्ञान व अज्ञान के अनुसार अच्छे व बुरे कर्म करना ईश्वर उपासना अग्निहोत्र करना माता.पिता.आचार्यों व अतिथियों की सेवा सत्कार आज्ञा पालन आदि का करना है। […]
धर्म, कर्मकाण्ड, भक्ति और सेवा-पूजा के नाम पर हमने भगवान के पैसों को भी नहीं छोड़ा है। हम कैसे भक्त हैं जो अपनी कमायी का एक धेला भी खर्च करना नहीं चाहते हैं और भक्त कहलाने का लोभ भी संवरण नहीं कर पाते हैं। भक्ति और धर्म के नाम पर हम साल भर में जो-जो […]
अंग्रेज़ बहुत चालक थे ! किसी भीगलत काम को करने से पहले उसको कानून बना देते थे फिर करते थे और कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं !!भारत मे पहला गौ का कत्लखाना 1707 ईस्वी ने रॉबर्ट क्लाएव ने खोला था और उसमे रोज की 32 से 35 हजार गाय काटी […]
आजकल आम आदमी से लेकर बड़े से बड़ा आदमी और किसी से परेशान भले न हो, अपनी बुराई और निंदा करने वालों से हैरान जरूर रहने लगा है। अधिकांश लोगों के तनाव की मूल वजह यही है। अधिकतर लोगों को लगता है कि चाहे वे कितने ही अच्छे हों, कितने ही अच्छे काम करते हों, […]