लगता नहीं कि आज के मौजूदा माहौल में रावण दहन अर्थहीन हो गया है, औचित्य खो चुका है और जिस संदेश को देने के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होता रहा है, प्रतीकात्मक लंका को जलायी जाती रही है, वह संदेश स्वीकारने का साहस अब किसी में बचा ही नहीं है। […]
Category: प्रमुख समाचार/संपादकीय
गोलोकवासी शिव कुमार गोयलकुछ दशक पूर्व एक वामपंथी लेखक ने गोरक्षा की मांग करने वालों को भ्रमित व दकियानूसी बताते हुए लेख में विचार व्यक्त किये थे कि केवल भारत के इने-गिने लोग ही गाय को पूजनीय बताते हैं जबकि वेदों तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों में गोमांस खाये जाने का विवरण मिलता है।उस समय परम […]
जहाँ गंदगी वहाँ वास्तुदोष
शुद्धता और प्रकाश ईश्वरीय और शुभ्र सकारात्मक माहौल के लक्षण हैं जबकि इसके विपरीत गंदगी और अंधकार नकारात्मकता के द्योतक हैं। हम ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय…’ को अपनाने वाली संस्कृति के अनुगामी हैं जहाँ तम अर्थात अंधकार को हटाकर या उस पर विजय पाकर ज्योति अर्थात आलोक पाने के की परंपरा रही है। मन-मस्तिष्क, तन और […]
जैसा मन होता है वैसा परिवेश सृजित होता है। इसलिए जीवन में हमेशा कल्पनाओं, लक्ष्यों और भावनाओं को इतना ऊँचा रखें कि इनके साकार हो जाने पर शाही और आनंदमय जीवन प्राप्त हो सके। जो हमारे मन में सूक्ष्म धरातल पर होता है वही कालान्तर में अनुकूलताएं और वैचारिक भावभूमि का सुदृढ़ आधार पाकर स्थूल […]
नवरात्रि हो या और कोई समय, हम सभी लोग दैवी मैया की आराधना में ऎसे जुटेरहते हैं जैसे कि दैवी मैया साक्षात प्रकट होकर अपने सारे काज कर देंगीऔर हमें कुछ नहीं करना पड़ेगा। अधिकांश धर्मभीरूओं का यही मत होता है किभगवान को भजने से वह किसी पौराणिक मिथक की तरह अचानक प्रकट हो जाएगा […]
सिल बट्टा का विज्ञान
प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे का प्रयोग बहुत लाभकारी है.१. सिल बट्टा पत्थर […]
दैवी साधना नवरात्रि का मुख्य ध्येय है जिसमें युगों से ब्रह्माण्ड कासंचालन करने वाली जगदम्बा की पूजा-आराधना विविध उपचारों से की जाती रहीहै और हर कोई चाहता है कि दैवी मैया प्रसन्न होकर वह सब कुछ उसकी झोलीमें डाल दें जिसकी कामना वह अर्से से करता रहा है।दैवी साधना सभी लोग अपने-अपने लक्ष्यों की प्राप्ति […]
ध्रुव सहानी द्वारा लिखित ….आनंद गुप्ता द्वारा अग्रेषित मित्रो गाय आवारा नहीं है ,आवारा वो होता है जिसका खुद का घर होफिर भी बाहर घूमता हो , गायों के हिस्से की 3 करोड़ 32 लाख 50 हजार एकड़ ज़मीन गोचर भूमि भूमि पिछले कुछ वर्षो मे भ्रष्ट नेताओ और अधिकारियों ,ग्राम पंचायतों द्वारा हड़प ली […]
नवरात्रि देवी उपासना का वह वार्षिक पर्व है जिसमें हम सभी उस मैया की आराधना करते हैं जो असुरों और आसुरी शक्तियों का संहार कर हमें असीम शांति, शाश्वत आनंद और सुकून देती है। यह नवरात्रि पर्व असुरों के उन्मूलन का संदेश देने वाला वह पर्व है जिसमें अच्छाइयों के विकास एवं विस्तार के साथ […]
नवरात्रि शक्ति पूजा का पर्व है जिसमें शक्ति की उपासना की जाती है। यह पूरा जगत अग्नि-सोमात्मक और शिव-शक्ति का ही प्रतीक है जिसमें शक्ति तत्व के बिना किसी भी प्रकार का स्पंदन तक कर पाने में न शिव समर्थ हैं न और कोई। यह शक्ति ही है जो सृजन और विध्वंस की तमाम क्षमताओं […]