सूखे पेड़ पर बैठा पक्षी भी बुरा लगता है। यहां तक कि यात्री भी सूखे पेड़ की अपेक्षा हरे-भरे पेड़ को तलाशता है, और अपनी थकान मिटाता है। इस घटना को समझने के दो पहलू हो सकते हैं, एक तो यह कि संसार स्वार्थी होता है, जहां तक आपके पास कुछ है, तब तक लोग […]
Category: प्रमुख समाचार/संपादकीय
निर्भर न रहें
निर्भरता ऎसा शब्द है जो हमारी कमजोरियों और अशक्तता का प्रकटीकरण करता है। अक्सर लोग सोचते हैं कि दूसरों के बिना कोई काम कैसे चल सकता है या कि औरों का सहयोग न लिया जाए तो कोई अपने जीवन में कैसे सफल हो सकता है। हमारी इसी संकीर्ण और आत्महीन सोच ने हमारी शक्तियों और […]
आजकल संक्रमण का दौर अक्सर आता-जाता रहता है। यह संक्रमण अन्यमनस्कता और उद्विग्नता के सायों को हमारे साथ कर देता है जहाँ मन का उचट जाना स्वाभाविक है और जब मन उचटने लगता है तब मस्तिष्क और शरीर भी अपने-अपने ढंग से शिथिलता को प्राप्त कर लिया करते हैं। यह वह अवस्था है जिसमें आदमी […]
हम सब हैं जासूस
बाहर चलने वाली हवाओं और हलचलों से इंसान हमेशा प्रभावित रहा है। उसे हमेशा यह जिज्ञासा रही है कि लोग क्या कर रहे हैं, बाहर क्या हो रहा है, कौन क्या कह रहा है, क्या सुन रहा है और क्या कर सकता है, क्या हो सकता है, क्या होना चाहिए। हम सभी लोग इसी महामारी […]
हर आदमी के अपने शौक होते हैं जिनके लिए वह खर्च करता है। विवेकशील लोग सीमित दायरे में रहकर खर्च करते हैं जबकि विवेकहीनों के खर्च का दायरा असीमित होता है। कई लोग ऎसे भी होते हैं जो सीमा से अधिक खर्च कर दिया करते हैं लेकिन ये विवेकहीन नहीं बल्कि अत्यन्त उदार और फक्कड़ […]
सोचें, क्या है हमारा अपना
हम बहुत सारे इंसानों को हमारे अपने और खूब सारी वस्तुओं को अपनी मानने में हमेशा गर्व का अनुभव करते हैं और यह गर्व हमें अपनी मृत्यु तक बना रहता है। सिर्फ मृत्यु के कुछ क्षण पहले शरीर से प्राण निकलते वक्त चंद सैकण्ड ही ऎसे होते हैं जब हर इंसान को अपनी संपदा, गलतियों […]
मनुष्योें में ईश्वर से जिस हिसाब से बुद्धि दी है उसके अनुरूप उसमें बुद्धि के उपयोग का विवेक भी दिया है और दुरुपयोग की सारी संभावनाएं भी उसके लिए भरपूर खुली रखी हैं। यह उस पर निर्भर है कि वह इन बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करे या दुरुपयोग। हर इंसान अपने लिए उपयोग करना चाहता […]
sgd
letter for PM Click Here हमारे भारत के गौरव, आदरणीय भाई नरेन्द्र मोदी जीप्रधानमंत्री, भारत सरकार7 आरसीआर नई दिल्लीसादर प्रणाम।‘पवित्रेण मा शतायु सा’परमपिता परमात्मा हर प्रकार से आपकी रक्षा करें। मान्यवर, मैं एक सेवानिवृत्त शिक्षक हूं और आपके स्वच्छ भारत तथा समृद्घ भारत के अभियान का हृदय से प्रशंसक हूं। आपके सुकोमल हृदय में राष्ट्र-प्रेम […]
अवसर दें नई प्रतिभाओं को
रत्नगर्भा वसुन्धरा होने के बावजूद भारतभूमि में आज का सबसे बड़ा संकट प्रतिभाओं के लिए अवसरों की अनुपलब्धता का है। रोजगार और राजनीति का क्षेत्र छोड़ भी दिया जाए तो हर तरफ यह संकट बना हुआ है कि अब आगे क्या होगा? योग्य और प्रतिभा सम्पन्न लोगों की कोई कमी नहीं है इसके बावजूद उन्हें […]
हमारे हर कर्म को करने से पहले या हमारे जीवन की कोई सी अच्छी-बुरी घटना होने से पूर्व हमारी आत्मा को उसके स्पष्ट संकेत प्राप्त हो जाते हैं और वह कम से कम दो बार हमें इस बारे में कभी स्पष्ट तो कभी प्रतीकात्मक रूप से इसके बारे में संकेत देती ही है। यह अलग […]