बिखरे मोती अवगुण मेरे विसार दे, कर दे भव से पार अवगुण मेरे विसार दे, कर दे भव से पार । मन लगे भक्ति मे, करो अर्ज स्वीकार॥2056॥ चोला बदले आत्मा, नये दरे जा नाम । चौरासी में घूमता, भूला हरि का नाम॥2057 ॥ अन्तःकरण की शुद्धि के संदर्भ में – शुद्ध अन्तःकरण की, केवल […]
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भक्ति में मांगो नहीं,जो चाहो कल्याण
भक्ति में मांगो नहीं,जो चाहो कल्याण भक्ति में मांगो नहीं, जो चाहो कल्याण । बिन मागें ही देत ब है, दाता करुणा निधान॥2041॥ आयु की दौलत घटे, सांस – सांस हर रोज । उनसे प्रीति: जग की सेवा, करले मैं की खोज॥2042॥ पंचभूत से जग रचा, यत्र तत्र सर्वत्र । सबके लिए रच दिए, रविचंद्र […]
भक्ति के संदर्भ में – भक्ति में आलस नहीं, ले उत्साह से नाम। जितने दुर्गुण दुरित हैं, उन पर लगा लगाम॥ 2018॥ देवी और आसुरी प्रकृति के संदर्भ में – आसुरी – दैवी सम्पदा, दोनों है विपरीत । लाख यत्न कर लीजिए, नहीं बनेगे मीत॥2019॥ आत्मा और सूक्ष्म शरीर के अन्यो न्याश्रित संबंध के संदर्भ […]
बिखरे मोती द्वेष क्रोध का अचार है, पालै मत मन माहिं। जब तक घट में द्वेष है, भक्ति सफल हो नाहिं॥1916॥ वाणी से आदर करें, नयन बरसे नेंह । ऐसा हृदय होत है, पाक प्रेम का गेह॥1917॥ बैर गिरावै प्रेम बढ़ावै, खुलै हरि का द्वार I मत जीवै तू बैर में , बैर […]
बिखरे मोती : मानव – जीवन का उद्देश्य:-
शोकों से तरणा तुझे, प्रभु -मिलन की चाह । माया के फंसा भवॅर में, भूला अपनी रहा॥1899॥ शेर ख़ुदा जब किसी को बढ़ाना चाहता है , तो उसकी शख्सियत में नायब हुनर देता है । अपने तो क्या गैर भी तारीफ करते है, ज़माना नाज़ करता है॥1900॥ पद की शोभा शख्सियत, हाथ की शोभा दान […]
पक्षी बैठे वृक्ष पर, एक देखे एक खाय । जैसा जिसका कर्म है, वैसे ही फल पायं ॥1888 ॥ फूलों में है सुगन्ध तू , तारों में प्रकाश । हृदय में धड़कन तूही, प्रमाणित करता सांस॥1889॥ लालच जड़ है पाप की , क्रोध है वन की आग । काम खाय सौन्दर्य को , अहंकार है […]
मैं हँसु मैया हँसे, मैं रोऊँ माँ रोय। ज़रा कराहुँ दर्द में, रात-रात ना सोय॥1837॥ मैया जीवित है यदि, बूढ़ा भी बच्चा होय। माँ की ताड़ना प्यार है, बेशक गुस्सा होय॥1838॥ माँ के आशीर्वाद से, पूरे हों सब काज। बाल शिवा से बन गए, छत्रपति महाराज॥1839॥ माँ के आंचल में छिपी, षट – सम्पत्ति की […]
माँ की महिमा :- माँ के चरणों में झुके, जितना नर का माथ। उतना ही ऊँचा उठे, ईश्वर पकड़े हाथ॥1821॥ जन्नत माँ की गोद है, जीते जी मिल जाय। माँ का नहीं मुकाबला, सब बौने पड़ जाएं॥1822॥ माँ का दिल ममता भरा, वात्सल्य का कोष। कोमल है नवनीत सा, स्वर्ग सी है आगोश॥1823॥ माँ होती […]
बिखरे मोती तुच्छ जन संसार में, करें तुच्छता की बात:- तुच्छ जन संसार में, करे तुच्छता की बात। सत्पुरुष सहते रहें, भिन्न – भिन्न आघात॥1802॥ नीच- किच से बच रहो, करो नहीं तकरार। न जाने किस वक्त ये, इज्जत देंय उतार॥1803॥ महिमा मण्डित गुण करे, हीरा सा अनमोल। वाणी से मत पाप कर, तोल -तोलकर […]
मंगल – सूत्र का महत्व:-
बिखरे मोती मंगल – सूत्र का महत्व:- मांगालिक मर्यादा का, द्योतक मंगल – सूत्र। सुहाग और सौभाग्य को, करता परम पवित्र॥1783॥ मानव होता मौन है, जब अनुभव पक जाय। आधे – अधूरे ज्ञान से, अधिक बोलता जाय॥1784॥ बेशक गहरी रात हो, अन्त में हो प्रभात। हिम्मत से तू काम ले, बनेगी बिगड़ी बात॥1785॥ एक सहारा […]