सकारात्मक और नकारात्मक सोच के संदर्भ में – कुमति-सुमति से कभी, होता नहीं है मेल। पश्चाताप मन में रहे, एक दिन बिगड़ै खेल॥ 2145॥ सज्जन और दुर्जन के संदर्भ में – सज्जन की दिखती कमी, दूर्जन की फिरै डार। रहना दुष्टों के बीच हो , संयत रख व्यवहार॥2146॥ लक्ष्य प्राप्ति के संदर्भ में – प्रेरक […]
