रसना रूपी कमान से, चले शब्द के तीर। कोई हियो घायल करे, कोई बंधावे धीर॥2271॥ जब प्रभु-कृपा बरसती है- शमा रोशन हौ गई, रहमत बरसी आज। तू और मैं का भेद ना, मनुआ करता नाज़॥2272॥ पीड़ा भरी पुकार प्रभु अवश्य सुनते है- तुझे पुकारू सुन मेरी, दर्द भरी आवाज। रक्षक मेरा है तू ही, प्रभु […]
