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बिखरे मोती

बिखरे मोती : प्रभु-मिलन की चाह है तो….

अब सफ़र ज्यादा नही, आ लिया वक्त अकीर। ब्रहम ऋता बुद्धि बने, तो जग जाय जमीर॥2243॥ भगवद्-भाव में रहना है तो निन्दा- चुगली छोड़ के, ले रसना हरि नाम। नेकी कर संसार में, जो चाहे हरि-धाम॥2244॥ जब स्वतः ही आनन्द की प्राप्ति होती है:- सत् चर्चा सत् कर्म कर, जिस क्षण मन लग जाय। स‌त् […]

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आज का चिंतन बिखरे मोती

बिखरे मोती : संत प्रवृत्ति के व्यक्तियों के संदर्भ में –

संतो को संसार में, भेजता है करतार। जाओ सृष्टि संवार दो, करना तुम उपकार॥2225॥ सन्त तो झरने जान ज्ञान के, जहाँ प्रक्तै सुख दे। अज्ञान अभाव अन्याय को, देखत ही हर लें॥2226॥ संसार में कैसे रहो :- हृदय में सद्‌भाव रख, अपना हो संसार। दुर्गणों को त्याग दे, निज प्रतिबिम्ध बिहार॥2227॥ आनन्द की प्राप्ति कैसे […]

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आज का चिंतन बिखरे मोती

बिखरे मोती: आनन्द की खोज में…

आनन्द की खोज में… महलों में आनन्द नहीं, मिलता किसी कुटीर। आनन्द की खोज में, गौतम हुए फकीर ।।2202॥ आनन्द कहाँ मिलता है:- जग सुविधा ही दे सके, नहीं देता. आनन्दा। बैठ प्रभु की गोद में, मिले अतुलित आनन्द।।2203॥ यदि आनन्द की अभिच्षा है तो :- खो-जा हरि के नाम में, पा अतुलित आनन्द। मत […]

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बिखरे मोती : यदि भगवद् धाम की चाह है –

बिखरे मोती यदि भगवद् धाम की चाह है – भक्ति का पाथेय ले, चल मंजिल बड़ी दूर। यही सफर में काम दे, मत चाटे जग धूर॥2193॥ प्रभु कृपा का पात्र बनना है तो- पल पल तेरा कीमती, वृथा मति गवाय। भक्ति भलाई में लगा, दाता खुश हो जाय॥ 2194॥ श्रेय मार्ग ही प्रभु – मिलन […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती: जो प्रभु के समीप रहते हैं-

ईश समर्पित हो रहे, हृदय में सद्भाव। प्रेम – भाव आदर बड़े, मीठा सरल स्वभाव॥2186॥ मन की शक्ति के संदर्भ में- रुचि क्षमता को जानके, मन को लक्ष्य पै डाट। मनोरथ करता पूर्ण है, शक्ति- स्रोत विराट॥2187॥ प्रभु कृपा के संदर्भ मे- हरि – कृपा बिन ना मिले, यश-धन और सम्मान। अर्जुन जीता युद्ध को, […]

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बिखरे मोती : मिथ्याचार से सदाचार ही श्रेयस्कर है-

मिथ्याचार से सदाचार ही श्रेयस्कर है- मिथ्याचार को छोड़ कै, धारण कर सदाचार। सम्यक संयम विवेक से, करना सद्व्यवहार॥2165॥ संसार में परमपिता परमात्मा सबसे बड़ा सहारा है – आश्रय ले हरि ओ३म का, सबसे बड़ा सहाय। सीधा जा बैकुंठ को, ज्यो उसका हो जाय॥2166॥ भक्ति – मार्ग अति कठिन है इसलिए सदैव सतर्क रहिए- भक्ति […]

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बिखरे मोती : मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है

मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है कांटो में हंसता रहे, देखो सदा गुलाब। फूलों का राजा यही, खुशबू है नायाब॥2155॥ ध्यान तो दिल का द्वार है, इसे तू निशदिन खोल। अनहद नाद को सुन जरा, ओ३म ओ३म ही बोल॥2156॥ मनुष्य के गुण ही दूसरों को आकर्षित करते हैं – फूल में […]

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बिखरे मोती: सकारात्मक और नकारात्मक सोच के संदर्भ में –

सकारात्मक और नकारात्मक सोच के संदर्भ में – कुमति-सुमति से कभी, होता नहीं है मेल। पश्चाताप मन में रहे, एक दिन बिगड़ै खेल॥ 2145॥ सज्जन और दुर्जन के संदर्भ में – सज्जन की दिखती कमी, दूर्जन की फिरै डार। रहना दुष्टों के बीच हो , संयत रख व्यवहार॥2146॥ लक्ष्य प्राप्ति के संदर्भ में – प्रेरक […]

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बिखरे मोती : भक्ति, शक्ति और शान्ति के संदर्भ में

भक्ति,शक्ति,शान्ती, हर एक जन की चाह। प्रभु – कृपा से ही मिले, जब हो नरम निगाह॥ 2135॥ प्रभु – भक्ति के संदर्भ में प्रभू- भजन में भूलकै, मत करना प्रमाद। ब्रह्म – मुहूर्त में उठाे, करो प्रभु को याद॥2136॥ हे मनुष्य तो आनन्द लोक से आया है और तेरा गणत्वय भी वही है – आया […]

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बिखरे मोती विशेष: – त्रिगुणातीत से क्या अभिप्राय है ?

त्रिगुणातीत से क्या अभिप्राय है ? आसक्ति – अहंकार को, जिसने लिया जीत । उद्वेगों से दूर मन, हो गया त्रिगुणातीत॥ तत्त्वार्थ : – यह दृश्यमान प्रकृति परमपिता परमात्मा की सुन्दरतम रचना है । ‘ प्र ‘ से अभिप्राय प्रमुख, विशिष्ट अर्थात् सुन्दरतम और कृति से अभिप्रया है – रचना यानी की परमपिता परमात्मा की […]

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