आत्मवान से आप्तकाम, विरला हो कोई शूर। परमधाम की प्राप्ति, नहीं है उससे दूर॥2495॥ आत्मवान अर्थात् अपनी आत्मा का स्वामी यानि की आत्मानुकुल आचरण करने वाला। आप्तकाम अर्थात जिसकी सभी इच्छाएँ अथवा कामनाएं पूर्ण हो गई हो, कोई कामना शेष न हो ऐसे साधक को आप्तकाम कहते हैं। विशेष ‘.शेर’ बुढ़ापे के संदर्भ में:- कौन […]
