जो प्रभु के अभिमुख रहे, छूटता जा संसार। जैसे रवि के सामने, नहीं टिकै अन्धकार ॥2740॥ भावार्थ :- मेरे प्रिय पाठकगण इसे एक दृष्टान्त से समझे । जिस प्रकार सूर्य जब पीठ पीछे होता है, तो व्यक्ति अथवा की छाया आगे-आगे होती है, जो कामी-कभी बाधा भी बन जाती है किन्तु व्यक्ति सूर्य के अभिमुख […]
जो प्रभु के अभिमुख रहे, छूटता जा संसार
