बिखरे मोती-भाग 212 गतांक से आगे…. जो मेरे निमित्त क्रिया हो वह ‘कर्म’ होता है और जो मेरे निमित्त क्रिया न हो वह कुकर्म होता है। जो मेरे निमित्त प्रेम होता है, वह भक्ति कहलाती है और जो मेरे निमित्त प्यार न होकर माया के प्रति प्यार होता है वह तो राग होता है, मोह […]
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बिखरे मोती-भाग 211 गतांक से आगे…. इसके अतिरिक्त तीन शरीर-स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर जो स्वप्न में हमारे साथ रहते हैं। अति सूक्ष्म शरीर अथवा कारण शरीर जिसमें जीव का स्वभाव बसता है। जीवात्मा के पास भोग के साधन उन्नीस हैं अर्थात उन्नीस मुख हैं-पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कमेन्द्रियां पांच प्राण ये पन्द्रह वाह्य कारण हैं तथा […]
तीन तन उन्नीस मुख, दिये अंग जीव को सात
बिखरे मोती-भाग 210 गतांक से आगे…. सारांश यह है सृष्टि का संचालन कर्म से और कर्म का संचालन भाव से हो रहा है। भाव हमारे चित्त में उठते हैं, जो कर्म में परिणत होने से पूर्व ही पवित्र होने चाहिए। भावों पर पैनी नजर रखनी चाहिए क्योंकि असली चीज कर्म नहीं भाव है। यह भाव […]
सौरी-दशा ब्रह्म लोक का द्वार है
बिखरे मोती-भाग 209 गतांक से आगे…. अब प्रश्न पैदा होता है आत्मा शरीर से निकलता कैसे है? मुक्तात्मा के लिए सुषुम्णा नाड़ी, जो काकू में से गुजरकर, कपाल को भेदकर , बालों का जहां अंत है, वहां से जाती है। यह सुषुम्णा नाड़ी आत्मा के शरीर में से निकलने का मार्ग है। इस प्रकार जो […]
बिखरे मोती-भाग 186 गद्दारी महामारी एक, किन्तु रूप अनेक। संत गृहस्थी राजा भी, जमीर रहे हैं बेक ।। 1116 ।। व्याख्या :- गद्दारी से अभिप्राय विश्वासघात से है अर्थात विश्वास में धोखा करने से है। आज समाज अथवा राष्ट्र में, यहां तक कि परिजनों, मित्र, बंधु बांधवों में सबसे अधिक अवमूल्यन हुआ है तो वह […]
बिखरे मोती-भाग 208 गतांक से आगे…. शिवपुराण में श्रद्घा के संदर्भ में कहा गया है-”मां की तरह हितकारिणी यदि कोई शक्ति मनुष्य के मानस में हो सकती है, तो वह शक्ति-श्रद्घा है।” श्रद्घा के संदर्भ में ‘शतपथ-ब्राह्मण’ में कहा गया है-”आध्यात्मिक अथवा धार्मिक राह पर चलने के लिए सबसे अधिक जिस ऊर्जा अथवा शक्ति की […]
एक श्रद्घा का भाव ही, नारायण तक जाए
बिखरे मोती-भाग 207 गतांक से आगे…. जर्मनी का महान कवि ‘गेटे’ ”हे परमात्मन! आप मेरी आत्माओं को सत्य और सौंदर्य से अर्थात अपने प्यार और स्नेह से भर दो, मेरे अंतर (हृदय) के पट खोल दो, मेरे मन और वाणी का अंतर मिटा दो।” सिकंदर महान का गुरू-महान विचारक अरस्तु यूनान का विश्वविख्यात दार्शनिक सुकरात […]
जरा दिल खुदा से लगाकै तो देखो
बिखरे मोती-भाग 206 गतांक से आगे…. परमपिता परमात्मा के नाम के जाप की महिमा के संदर्भ में कवि कितना सुंदर कहता है :- जरा दिल खुदा से लगाकै तो देखो वो करता सभी की, हिफाजत तो देखो।। देने पै आये तो, दे दे वो कितना? अमीरी की उसकी, ताकत तो देखो।। जरा दिल खुदा से […]
बिखरे मोती-भाग 205 गतांक से आगे…. सर्वदा याद रखो, मां-बाप के आंसू आपके हंसते-खेलते खुशहाल जीवन पर कभी भी आसमानी बिजली की तरह टूट पड़ेंगे, इसलिए जितना हो सके इन दो फरिश्तों (माता-पिता) का आशीर्वाद लीजिए, अभिशाप नहीं। यह अटल सत्य है कि मां-बाप के दिल से निकली हुई दुआएं कभी खाली नहीं जाती हैं। […]
हमारे लिए माता-पिता हैं दो फरिश्ते
बिखरे मोती-भाग 204 गतांक से आगे…. वे स्वयं भूखे पेट और निर्वस्त्र रह लेंगे किंतु तुम्हें भूखे पेट और निर्वस्त्र नहीं रहने देंगे। वे स्वयं पैदल चलेंगे, मगर तुम्हें अपने कंधे पर बिठाकर दुनिया दिखाएंगे। वे तुम्हारे लालन-पालन में अथक मेहनत करेंगे, माथे से पसीना पोछेंगे, मगर फिर भी खुशी महसूस करेंगे। तुम्हारी शिक्षा, स्वास्थ्य, […]