मृत्यु खावै रोग को, पाप आत्मा खाय। ऐसी करनी कर चलो, जो परमधाम मिल जाय॥1461॥ व्याख्या :- मृत्यु का क्षण बड़ा दार्शनिक होता है।आदर्श और यथार्थ का यह कितना कठोर संगम है? मृत्यु की गोद में जीवन के सारे स्वप्न सो जाते हैं। वियोग जीवन का परम सत्य है।एक न एक दिन सभी को […]
