Categories
बिखरे मोती

चुनरी अंतःकरण की,धोय सके तो धोय

चुनरी अंतःकरण की,धोय सके तो धोय चुनरी अंतःकरण की, धोय सके तो धोय। दिव्यलोक – नौका मिली, मत वृथा इसे खोय॥ 1261॥ व्याख्या:- हे मनुष्य! वस्त्रों में लगे दागों की तो तू चिंता करता है और उन्हें येन केन प्रकारेण साफ भी कर लेता है किन्तु तेरी नादानीयों के कारण यह मनुष्य- जीवन व्यर्थ जा […]

Categories
बिखरे मोती

हीरों की बारिश

पृथ्वी पर जो असंभव है, अंतरिक्ष में वह संभव है| पृथ्वी से 9 गुना बड़ा 54 गुना भारी हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे भारी ग्रह शनि जो सूर्य से 140 करोड़ किलोमीटर दूर है |उसे लगभग 30 साल लग जाते हैं सूर्य का एक चक्कर लगाने में… लेकिन शनि ग्रह की विचित्रता विशालता का सिलसिला […]

Categories
बिखरे मोती

जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी सलाह

* प्रस्तुति : धर्म मुनि जी महाराज* डॉक्टर कभी भी नहीं बताएगा, आप से फीस पर फीस लेता रहेगा मगर माजरा कुछ और है, पढ़िए। सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो .. *आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो […]

Categories
बिखरे मोती

बिखरे मोती : देह तो मरणासन्न है एक दिन होवै शून्य

देह तो मरणासन्न है एक दिन होवै शून्य। पाप रूलायेंगे तुम्हें, हर्षित करेंगे पुण्य॥1256॥ व्याख्या:- हे मनुष्यों ! यह शरीर तो मरण – धर्मा है , मृत्यु से ग्रसा हुआ है। यह मरण – धर्मा शरीर उस अमृत – रूप अशरीर आत्मा का अधिष्ठान है अर्थात् उसके रहने का स्थान है । जीवात्मा तथा ब्रह्म […]

Categories
बिखरे मोती

बिखरे मोती भाग 314

गतांक से आगे… 3- गरुड़ प्रवृत्ति:- गरुड़ प्रवृत्ति को गिद्ध प्रवृत्ति भी कहते हैं। गरुण ऐसा पक्षी है,जो बड़ी ऊंची और लंबी उड़ान भरता है। इसलिए उसे अपने पंखों पर बड़ा घमंड होता है। इस घमंड के कारण वह अन्य पक्षियों को हेय और अपने आप को श्रेष्ठ समझता है। उसका यह अहंकार जब टूटता […]

Categories
बिखरे मोती

बिखरे मोती : पशु प्रवृत्ति चर रही जीवन रूपी खेत

पशु प्रवृत्ति चर रहीं, जीवन रूपी खेत। चंदन कोयला बन रहा, चेत सके तो चेत॥1255॥ व्याख्या:- चंदन के वृक्ष की यह विशेषता है कि वह जहां उगता है, वहां के आस-पास के वृक्षों में भी अपनी जैसी खुशबू पैदा कर देता है। चंदन की नायाब खुशबू के कारण चंदन की लकड़ी बड़ी महँगी बिकती है।कल्पना […]

Categories
बिखरे मोती

बिखरे मोती : आकर्षण से चल रहा यह सारा ब्रह्मांड

आकर्षण से चल रहा, ये सारा ब्रह्माण्ड । आकर्षण जब टूटता, होता है कोई काण्ड॥ 1254॥ व्याख्या :- परमपिता परमात्मा ने इस दृश्यमान सृष्टि को बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से बनाया है ।सारी सृष्टि मर्यादित है , अनुशासित हैं अर्थात् नियमों में बंधी हुई है । ग्रह , उपग्रह , नक्षत्र , वनस्पति और सारा […]

Categories
बिखरे मोती

प्रेम प्रसन्नता शांति तेरा मूल स्वभाव

बिखरे मोती प्रेम प्रसन्नता शान्ति, तेरा मूल स्वभाव। इनमें टिकना सीख ले, पार लगेगी नाव ॥ 1252॥ व्याख्या:- मनुष्य का स्वभाव है कि उसका मन अपनों में लगता है, अपने सगे संबंधियों में लगता है, बेशक वह धरती का स्वर्ग कहलाने वाले स्विटट्जरलैण्ड की रमणीक और मनोरम घाटियों में क्यो ना खड़ा हो। ऐसा व्यक्ति […]

Categories
बिखरे मोती

मन का मधुमेह राग है , द्वेष दहकती आग

मन का मधुमेह राग है, द्वेष दहकती आग। मन की लूटें शांति, जाग सके तो जाग॥ 1251॥ व्याख्या:- राग का अर्थ है- कर्मों में,कर्मों के फलों में तथा घटना, वस्तु,व्यक्ति,परिस्थिति,पदार्थ इत्यादि में मन का खिंचाव होना, मन की प्रियता होना राग कहलाता है।राग में फंसे हुए व्यक्ति को कभी तृप्ति नहीं मिलती है। राग को […]

Categories
बिखरे मोती

मानस में आते रहें,क्षण-क्षण व्यर्थ विचार

मानस में आते रहे, क्षण-क्षण व्यर्थ विचार। खारिज कर आगे बढै, भवनिधि उतरै पार॥ ॥1245॥ व्याख्या:- जिस प्रकार सागर का जल कभी शांत नहीं रहता है, उसमें हर समय छोटी-बड़ी लहरें उठती ही रहती हैं। ठीक इसी प्रकार मनुष्य का मन क्षण-प्रतिक्षण चलायमान रहता है। कभी शांत और एकांत बैठकर मन का तटस्थ भाव से […]

Exit mobile version