ब्रह्मानन्द में लीन जो,दूर रहें सन्ताप ब्रह्मानन्द में लीन जो, दूर रहें सन्ताप। सर्दी को हर लेते है, ज्यों सूरज का ताप॥1487॥ व्याख्या:- जिस प्रकार सूर्य की तेज धूप सर्दी को हर लेती है,ठीक इसी प्रकार ब्रह्मानन्द में लीन रहने वाले साधक के सारे सन्ताप स्वतः दूर हो जाते हैं।इस संदर्भ में तैत्तीरोपनिषद् ( ब्रह्मानन्द […]
