‘हिंदुत्व की चेतना के स्वर’ – भारत की संस्कार आधारित संस्कृति को स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। संस्कारों का निर्माण कर भारत ने अपनी संस्कृति का निर्माण किया है। इन संस्कारों ने व्यष्टि से समष्टि तक एक ऐसी सुन्दर व्यवस्था विकसित की, जिसे विश्व संस्कृति के नाम से भी संबोधित किया जा सकता […]
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‘माशी की जीत’ पुस्तक की लेखिका डॉ. शील कौशिक हैं। जिनकी लगभग 29 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें कहानी संग्रह, लघुकथा संग्रह, कविता संग्रह, बालकहानी संग्रह, बालकविता संग्रह ,पंजाबी बालकथा संग्रह आदि के रूप में कई प्रमुख पुस्तकें सम्मिलित हैं। डॉ.शील कौशिक कहानीकार, कवयित्री, निबंधकार, समीक्षक और बाल साहित्यकार हैं । उन्होंने अपनी बहुआयामी […]
पुस्तक समीक्षा अद्भुत आत्म बलिदान अद्भुत आत्मबलिदान एक ऐतिहासिक उपन्यास है। जिसे हिंदी जगत के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार दुर्गा प्रसाद माथुर द्वारा लिखा गया है। श्री माथुर के द्वारा अब से पूर्व में लगभग एक दर्जन ऐसी पुस्तकें प्रकाशित कराई जा चुकी हैं जो भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण भक्तों को उजागर करते हैं। भारत […]
श्रीश देवपुजारी समाज में एक भ्रम फैलाया गया है कि संस्कृत पढऩे से छात्र अर्थार्जन नहीं कर सकता। उसे केवल शिक्षक बनना पड़ता है या पुरोहित। इस प्रकार की धारणा रखनेवालों से मेरा प्रश्न है कि जो संस्कृतेतर छात्र बीए, बीकॉम और बीएससी होते है उनके लिए कौन-सी नौकरी बाट जोह रही है? हमारे देश […]
★ राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर से मिली बधाइयाँ, गणमान्यों ने उनकी बौद्धिकता को किया सैल्यूट …………… ……………………………… अजय आर्य / नई दिल्ली …………………………………. वरिष्ठ लेखिका औऱ अंतराष्ट्रीय पर्यावरण चिंतक डॉ संजीव कुमारी, गांव वजीरपुर टीटाणा पानीपत द्वारा लिखी पुस्तक ‘ तिसाया जोहड़’ का विमोचन आज श्री कंवर पाल गुर्जर, शिक्षामंत्री हरियाणा सरकार द्वारा चंड़ीगढ़ में किया […]
#संस्कृत – *संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है।* संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन भाषा है और […]
यदि कुछ धार्मिक, पूजनीय, एतिहासिक ग्रंथों को छोड़ दिया जाये तो बहुत कम पुस्तकों के विषय मे यह कहा जा सकता है की यहपुस्तक व इसके लेखक एक दूजे के पर्याय है। या, यह कहा जा सकता है की यदि पुस्तक को इस लेखक ने नहीं लिखा होता तो कोई अन्य लेखक इस पुस्तक […]
ललित गर्ग हिंदी की विश्वभर में बढ़ रही है ताकत, पर अपने ही देश में हो रही है उपेक्षा राजभाषा बनने के बाद हिन्दी ने विभिन्न राज्यों के कामकाज में आपसी लोगों से सम्पर्क स्थापित करने का अभिनव कार्य किया है। लेकिन अंग्रेजी के वर्चस्व के कारण आज भी हिन्दी भाषा को वह स्थान […]
डॉ. वंदना सेन निज भाषा उन्नति, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को शूल। प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की यह पंक्तियां निश्चित रूप से यह बोध कराने के लिए पर्याप्त हैं कि अपनी भाषा के माध्यम से हम किसी भी समस्या का समाधान खोज सकते हैं। यह सर्वकालिक […]
‘हिंदुत्व रक्षार्थ’ पुस्तक सचमुच रोमांच पैदा करने वाली है। हिंदू इतिहास की परंपराओं और उसके गौरवशाली पक्ष को विद्वान लेखक श्री रतन सनातन ने बहुत ही विद्वतापूर्ण और शोधपरक ढंग से हमारे समक्ष प्रस्तुत करने का सराहनीय और राष्ट्रप्रेम से भरा हुआ कार्य किया है। पुस्तक के अध्ययन से विद्वान लेखक की भारतीयता और […]