गुर्रमकोंड नीरजा हिंदी दिवस के अवसर पर मैं सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं, इसके पीछे निहित कारण हम सब जानते ही हैं। मैं तो बस यही कहना चाहूँगी कि इसे केवल एक औपचारिकता न समझा जाए। वैसे भी, हम दूसरे तमाम त्यौहार क्यों मनाते हैं? हर त्यौहार के साथ कोई न […]
श्रेणी: भाषा
समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा में वर्णरचना का आधार भी वैज्ञानिक के स्थान पर काल्पनिक होता हैं। […]
डॉ. जीतराम भट्ट निदेशक, डॉ. गो.गि.ला.शा. प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान कुछ लोगों का कहना है कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की ही भाषा है। किन्तु यह सत्य नहीं है। संस्कृत-साहित्य के केवल पॉच प्रतिशत में धर्म की चर्चा है। बाकी में तो दर्शन, न्याय, विज्ञान, व्याकरण, साहित्य आदि विषयों का प्रतिपादन हुआ है। संस्कृत पूर्ण रूप से समृद्ध […]
नरपतदान बारहठ पंद्रह सितंबर को हिंदी पखवाड़ा खत्म हुआ, उसके चंद दिनों बाद ही हिंदी के पिछड़ेपन का नमूना सामने आया जब 24 सितंबर को संघ लोक सेवा आयोग ने पीसीएस परीक्षा 2020 का अंतिम परिणाम जारी किया। इस परिणाम में हिंदी माध्यम से सफल अभ्यर्थियों की संख्या नाम मात्र की ही रही। कुल 761 […]
डॉ. सुधा कुमारी हिन्दी को राजभाषा की गद्दी पर बिठाकर भी हम उसे राष्ट्रभाषा या लोक- संपर्क की भाषा बनाने में आजतक सक्षम नहीं हो पाए हैं। हिन्दी-बहुल राज्यों को छोड़ बाकी सभी जगहों में जहाँ प्रांतीय भाषाएँ बोली जाती हैं, अंग्रेजी ही राजकार्य में सहयोगी भाषा है। स्वतंत्रता-संग्राम के समय हिन्दी केवल नेहरू, गाँधी, […]
* डॉ संजय पंकज हिंदी भाषा के विकास की बात शुरू होते ही बुद्धिजीवियों की चिंता भी बढ़ जाती है। राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा के रूप में हिंदी की चर्चा करते हुए अधिकांश मनोभाव हीनता और निराशा के साथ ही प्रकट होते हैं। हिंदी के प्रति ऐसा दृष्टिकोण नया नहीं है! हर वर्ष हिंदी दिवस […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत के बाजारों में चमचमाते अंग्रेजी के नामपटों को देखकर लगता है कि भारत अभी भी अंग्रेजों का ही गुलाम है। अगर आप बैंकों में जाकर देखें तो मालूम पड़ेगा कि लगभग सभी खातेदारों के दस्तखत अंग्रेजी में हैं। आपका नाम हिंदी में है, फिर हस्ताक्षर अंग्रेजी में क्यों है? हिंदी दिवस […]
रमेश सर्राफ धमोरा हिन्दी के प्रयोग एवं प्रचार हेतु मनाया जाने वाला हिन्दी-दिवस न केवल हिन्दी के प्रयोग का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इस बात का ज्ञान भी दिलाता है कि हिन्दी का प्रयोग भारतीय जनता का अधिकार है। जिसे उनसे छीना नहीं जा सकता है। किसी भी देश की भाषा और संस्कृति उस […]
ओ३म् ========= भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी […]
हिंदी को पंडित नेहरू ने हिंदुस्तानी कहकर संबोधित किया था। उन्होंने राष्ट्रभाषा को उपहास की दृष्टि से देखा और उपहास के रूप में ही इसे स्थापित करने का प्रयास किया। हिंदुस्तानी से अभिप्राय नेहरू एण्ड कंपनी का एक ऐसी भाषा से था जिसमें सभी भाषाओं के शब्द सम्मिलित कर लिए जाऐं और एक खिचड़ी भाषा को सारा देश बोलने […]