स्रोत- शांति धर्मी मासिक पत्रिका नवंबर संपादकीय 2022 अंक। प्रस्तोता- आर्य सागर भाषा संस्कृति का आधार होती है क्योंकि संस्कृति के प्रवाह की तरह पूर्वजों द्वारा अर्जित ज्ञान की भी मनुष्य तक पीढी दर पीढ़ी अपनी भाषा के माध्यम से पहुंचता है। संस्कृत साहित्य में हमारे प्रज्ञावान् पूर्व पुरुषों का सर्वोच्च ज्ञान और संस्कार सन्निहित […]
श्रेणी: भाषा
उमेश चतुर्वेदी अभावग्रस्त भिखारी हों या फिर पर्यटकों को लुभाने वाली दुकानों के मालिक और काउंटरकर्मी, या फिर सामान्य दुकानदार, रिक्शे वाले हों या फटफट ऑटो वाले, उनकी बोली सुन नहीं लगता कि वे उस तमिलनाडु से हैं, जहां की राजनीति अक्सर हिंदी के विरोध में उतरती हैं। स्वाधीनता संग्राम में सपना तो था राष्ट्रभाषा […]
*संसदीय राजभाषा समिति द्वारा उच्च शिक्षा के माध्यम को लेकर क्या सिफारिशें की गई हैं, यह तो मुझे नहीं पता। रिपोर्ट प्रकाशित न होने के कारण केवल कयास लगाए जा रहे हैं। अभी तो भारत सरकार द्वारा इस पर व्यापक विचार विमर्श के बाद कोई निर्णय लेना है और तब जाकर राष्ट्रपति जी के आदेश […]
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* गुजरात के स्कूलों में 5 जी की तकनीक के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमाल कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री की हैसियत से ‘अंग्रेजी की गुलामी’ के खिलाफ जो बात कह दी है, वह बात आज तक भारत के किसी प्रधानमंत्री की हिम्मत नहीं हुई कि वह कह सके। मोदी […]
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के क्रमशः मुख्यमंत्री, मंत्री और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि उनके प्रदेशों पर हिंदी न थोपी जाए। ऐसा उन्होंने इसलिए किया है कि संसद की राजभाषा समिति ने केंद्र सरकार की भर्ती-परीक्षाओं में हिंदी अनिवार्य करने और आईआईटी तथा आईआईएम शिक्षा संस्थाओं में […]
गाजियाबाद ( ब्यूरो डेस्क) अभी हम सबने राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया है। स्वतंत्र भारत में लोगों का और विशेष रूप से सरकारी प्रतिष्ठानों में अधिकारियो का यह प्रचलन हो चुका है कि वह हिंदी दिवस पर अंग्रेजी में भाषण झाड़ते हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय हिंदी दिवस केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, परंतु इसी समय […]
विश्वात्मा भाषा : संस्कृत डॉ० राकेश कुमार आर्य भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी […]
लेखक – प्रो० मंगलदेव ‘लाम्बा’, एम० ए० स्त्रोत – समाज संदेश सितंबर 1971 गुरुकुल भैंसवाल कलां का मासिक पत्र प्रस्तुति – अमित सिवाहा राष्ट्रभाषा के महत्व पर यहां कुछ कहने की गुंजाइश नहीं है बाईबल में बेवल के मिनार की एक कथा आती है कि आदम के बेटों ने आसमान तक पहुंचने के लिए एक […]
डॉ. वंदना सेन स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में भारत के स्वत्व को पुनर्स्थापित करने का जिस प्रकार से प्रयास किया जा रहा है, उसके कारण निश्चित ही आम जनमानस में यह धारणा बनी है कि भारत की विरासत गौरवमयी है। भारत में विश्व गुरू बनने की क्षमता आज भी विद्यमान है। लेकिन हमें यह भी […]
राजा भोज को विक्रमादित्य का सिंहासन मिलना और फिर राजा द्वारा विधिपूर्वक उसपर बैठने के यत्न में सिंहासन की एक पुतलिका द्वारा प्रतिदिन रोके जाने का बत्तीस दिनों का सिलसिला सिंहासन बत्तीसी के रूप मे भारतीय कथा साहित्य में दर्ज है। यह भारतीय कथा साहित्य की स्वर्णिम परम्परा का द्योतक है। कम से कम कथा […]