विश्व मातृभाषा दिवस, 21 फरवरी 2024 पर विशेष – ललित गर्ग- यूनेस्को द्वारा हर वर्ष 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना। मातृभाषा के माध्यम से इंसानों को आपस में जोड़ना एवं सौहार्द स्थापित […]
Category: भाषा
🙏🏻🙏🏻 लेखक , भीखम गांधी भक्त कवि 9425564831,8817864831 🙏🏻🙏🏻 हिन्द में हिंदी है हमारी शान हिन्द में हिंदी है हमारी मान हिंदी के लिए में मिटेंगे क्योंकि हिंदी है हम सब की पहचान भक्त हिंदी दिवस पर जोकि 14 सितंबर के दिन पड़ता है l इस दिन संपूर्ण भारत में हिंदी भाषा को जो कि […]
संजय पंकज हिंदी भाषा है। जैसे संसार की बहुत सारी भाषाएं हैं। हर देश की अपनी एक सर्वमान्य भाषा होती है। लेकिन भारत के लिए सर्वमान्य और सर्व स्वीकृत हिंदी नहीं है। यहां मातृभाषा और राजभाषा की बातें होती हैं। अलग-अलग जनपदों की जो अपनी बोलियां हैं उसी को तर्क और कुछ हद तक विवेक […]
अमृत काल का एक सुनहरा पक्ष है मातृभाषा
अमृतकाल का सुनहरा पक्ष है मातृभाषा, मगर बच्चों में भाषा संरचना का स्वरूप बिखरता हुआ दिख रहा है ऋचा सिंह वर्तमान समय में ज्ञान, विज्ञान समुद्र की गहराइयों से लेकर सौरमंडल को अपनी परिधि में निरंतर बांधने का प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर बच्चों में भाषा संरचना का स्वरूप बिखरता हुआ दिख रहा […]
प्रो. संजय द्विवेदी आप वर्ष 2040 की कल्पना कीजिए। तब तक हमारा भारत विश्व की एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका होगा। गरीबी, कुपोषण, पिछड़ापन काफी हद तक मिट चुके होंगे। देश के लगभग 60 प्रतिशत भाग का शहरीकरण हो चुका होगा। भाषा का संबंध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से है। भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद […]
हमारी लिपि पर मंडरा रहा है गहरा संकट
प्रो. संजय द्विवेदी मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचान दिलाती है। किसी भी देश का विकास तभी संभव है, जब उसके पास एक सशक्त भाषा हो। हिंदी एक सशक्त भाषा है। इसकी ताकत पूरा विश्व मानता […]
आर्यसमाज और हिन्दी
लेखक :- डॉ रणजीत सिंह पुस्तक :- पंजाब का हिन्दी रक्षा आंदोलन प्रस्तुति :- अमित सिवाहा पूर्वी पंजाब ( भारत ) प्रान्त में हुए ‘ हिन्दी रक्षा आन्दोलन ‘ का सूत्रपात आर्यसमाज के नेतृत्व में हुआ । अन्य हिन्दू सम्प्रदायों के होते हुए भी आर्यसमाज ने इसमें शीर्षभूमिका क्यों निभाई ? इस प्रश्न का उत्तर […]
डॉ. रमेश ठाकुर वैसे, देखा जाए तो हिंदी समाज खुद हिंदी की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है। उसका पाखंड है, उसका दोगलापन और उसका उनींदापन? ये सच है कि किसी संस्कृति की उन्नति उसके समाज की तरक्की का आईना होती है। मगर इस मायने में हिंदी समाज बड़ा विरोधाभासी है। भारत में रोजाना करीब […]
आज हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है, इस भाषा को बोलने वाले विश्व में सबसे अधिक लोग हैं। अंग्रेजी को ब्रिटेन के लगभग दो करोड़ लोग मातृ भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि हिंदी को भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, मध्य […]
भाषा ज्ञान के अभाव में हिंदू समाज की स्थिति
भाषा ज्ञान के अभाव में हिन्दुओं को मूर्ख बनाने का एक उदाहरण देखिये :– . दुष्प्रचार: गुजरात में जामनगर शहर के पास समुद्र में एक टापू है जिसका नाम है “पिरोटन = Pirotan” . इस पीरोटन द्वीप में जा कर आप समुद्री जीव-जंतु को बहुत ही करीब से देख सकते हैं और प्रकृति के दर्शन […]