‘काँच के रिश्ते’ (दोहा संग्रह) शकुंतला अग्रवाल :शकुन’ का दोहा संग्रह ‘काँच के रिश्ते’ आज के परिवारों की दरकती दीवारों और उनकी वास्तविकता का बहुत ही शानदार ढंग से चित्रण करती है। पुस्तक के मुख्य पृष्ठ पर ही एक दोहा लिखा है , जो पुस्तक के विषय में बहुत कुछ स्पष्ट कर देता है। दोहा […]
श्रेणी: भाषा
‘समालोचना के सोपान’ में ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ ने हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के इक्कीस काव्यकारों की एक-एक काव्य कृति को लेकर उनकी कृतियों की समीक्षा प्रस्तुत की है ।अब जो स्वयं ही समीक्षक हैं, उनकी समीक्षा की समीक्षा करना कितना कठिन हो सकता है ? – यह सहज ही समझा जा सकता है। लेखक […]
डॉ. साकेत सहाय इस वर्ष के उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् की दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षाओं में आठ लाख से ज्यादा छात्र अनुत्तीर्ण घोषित किए गए। आँकड़ों के अनुसार, बारहवीं के लगभग 2.70 लाख तथा दसवीं के लगभग 5.28 लाख छात्र हिंदी विषय में उत्तीर्ण अंक प्राप्त करने में असफल रहे। गत वर्ष […]
शंका- आर्य (हिंदी) भाषा कि वर्ण एवं लिपि का आरम्भ कब हुआ? समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक यदि निशंक अंग्रेजी की बपौती को खत्म करके अंग्रेजी समेत 5-7 विदेशी भाषाओं को देश में प्रचलित करें तो हमारा विदेश-व्यापार और राजनय कुलांचे भरने लगेगा और भारत दुनिया की एक सबल और संपन्न महाशक्ति हमारे देखते-देखते बन जाएगा। शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने घोषणा की है कि उनका […]
ये पोस्ट अद्भुत एवं अतुलनीय है…. क्या आप जानते है विश्व की सबसे ज्यादा समृद्ध भाषा कौन सी है….. अंग्रेजी में ‘THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG’ एक प्रसिद्ध वाक्य है। जिसमें अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर समाहित कर लिए गए, मज़ेदार बात यह है की अंग्रेज़ी वर्णमाला में कुल 26 अक्षर […]
★ टोक्यो से जारी किया गया इस आशय का सम्मान पत्र ★ देश विदेश के प्रतिष्ठित गणमान्यों ने दी श्री छोकर को बधाई …………………….. नई दिल्ली …………………….. जापान में भारतीय संस्कृति औऱ हिंदी कल्चरल को समर्पित “ जापान हिंदी कल्चरल सेंटर ” ने वरिष्ठ पत्रकार , साहित्यकार एवं समाजसेवी राकेश छोकर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर […]
‘जगमग दीपज्योति’ पत्रिका न केवल भारत की बल्कि विश्व की अग्रणी पत्रिकाओं में अपना प्रमुख स्थान रखती है । इसे हिंदी जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान माननीय सुमति कुमार जैन जी अलवर से प्रकाशित करते हैं । उनके द्वारा मेरी पुस्तक ‘हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी’ – की समीक्षा को इस पत्रिका में स्थान दिया गया है । […]
-विनोद बंसल किसी राष्ट्र को समझना हो तो उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है. उसकी संस्कृति को समझने हेतु वहां की भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है. विश्व के लगभग सभी देशों की अपनी अपनी राजभाषाएँ हैं जिनके माध्यम उनके देशवासी परस्पर संवाद, व्यवहार, लेखन, पठन-पाठन इत्यादि कार्य करते हैं. स्वभाषा ही व्यक्ति को स्वच्छंद […]
डॉ. वंदना सेन —————————- यह सर्वकालिक सत्य है कि कोई भी देश अपनी भाषा में ही अपने मूल स्वत्व को प्रकट कर सकता है। निज भाषा देश की उन्नति का मूल होता है। निज भाषा को नकारना अपनी संस्कृति को विस्मरण करना है। जिसे अपनी भाषा पर गौरव का बोध नहीं होता, वह निश्चित ही […]