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डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से भाषा राजनीति

भाषा विवाद : सांझी विरासत को आग मत लगाओ

डॉ राकेश कुमार आर्य बहुत ही दु:ख का विषय है कि आज संस्कृत और संस्कृतनिष्ठ हिंदी को लेकर दक्षिण के तमिलनाडु से एक बार फिर विरोधी स्वर उठते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहां के मुख्यमंत्री एम०के० स्टालिन इस विवाद के अगवा बने हैं। सृष्टि उत्पत्ति के संदर्भ में सभी विद्वान इस बात पर सहमत […]

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भाषा

राष्ट्रभाषा हिन्दी और देवनागरी लिपि

अपने विचारों को दूसरे तक प्रेषित करने में हमें भाषा की आवश्यकता पड़ती है। स्वामी दयानन्द जब धर्म प्रचार के क्षेत्र में आये तब उनके सामने यही समस्या थी कि वे किस भाषा के द्वारा अपने विचारों को अन्यों तक सम्प्रेषित करें। उनकी मातृभाषा गुजराती थी किन्तु उत्तर भारत में उससे विचारों के सम्प्रेषण में […]

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भाषा

विदेशों में भारतीय गिरमिटियों द्वारा विकसित हिन्दी एवं संस्कृति

दस जनवरी ‘विश्व हिन्दी दिवस’ पर विशेष  हमारे प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने कभी कहा था, हम भारतीय विश्व में जहाँ भी जाते हैं, अपने साथ एक छोटा सा भारत लेकर जाते हैं। इस गर्वोक्त करने वाली पंक्ति में एक अर्थ यह भी निहित ही है कि, हमारे हृदय में बसा हुआ यह […]

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भाषा

हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी और देश के राजनीतिज्ञ

विदेशी भाषा ‘अंग्रेजी’ हमारी शिक्षा पद्घति का आधार बनी बैठी है। जो हमारी दासता रूपी मानसिकता की प्रतीक है। यदि राष्ट्रभाषा हिंदी को प्रारंभ से ही फलने फूलने का अवसर दिया जाता तो आज भारत में ये भाषाई दंगे कदापि न हो रहे होते। वास्तव में क्षेत्रवाद और भाषावाद को हमारे नेतागण निहित स्वार्थ में […]

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Uncategorised भाषा

हिंदी भाषा को लेकर कांग्रेस के लिए मोहम्मद शाह रंगीला तो आर्य समाज के लिए सावरकर और शिवाजी आदर्श रहे

जब 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज ने ” हिंदवी स्वराज्य ” की स्थापना करते हुए राज्य सत्ता संभाली तो उन्होंने मुगलिया राज्य होने के कारण प्रशासनिक शब्दावली में आ गए अरबी और फारसी के शब्दों को दूर करने का अभियान आरंभ किया। उन्होंने अपने एक मंत्री रामचंद्र अमात्य को शासकीय उपयोग में आने वाले […]

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भाषा

*हिन्दी दिवस मनाना बहुत ही लज्जा जनक विषय।*

(१४ सितम्बर हिन्दी-दिवस पर विशेष) – आचार्य राहुलदेवः वैसे तो अपनी मातृभाषा, अपनी राजभाषा और अपनी राष्ट्रभाषा से सबको लगाव और स्वाभिमान होता है। परन्तु भारत जैसा विरला देश भी है इस धरा पर जो वर्तमान समय में इसका पर्याय बना हुआ है। जिसकी अभी तक कोई भी राष्ट्रभाषा नहीं है। भारत का निवासी न […]

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भाषा

राष्ट्रभाषा हिन्दी और देवनागरी लिपि

लेखक- डॉ० भवानीलाल भारतीय प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, #डॉविवेकआर्य सहयोगी- डॉ० ब्रजेश गौतमजी अपने विचारों को दूसरे तक प्रेषित करने में हमें भाषा की आवश्यकता पड़ती है। स्वामी दयानन्द जब धर्म प्रचार के क्षेत्र में आये तब उनके सामने यही समस्या थी कि वे किस भाषा के द्वारा अपने विचारों को अन्यों तक सम्प्रेषित करें। उनकी […]

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भाषा

ओ३म् -हिन्दी दिवस 14 सितम्बर 2024 पर- “स्वामी दयानन्द और हिन्दी”

============ भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी दयानन्द […]

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पर्व – त्यौहार भाषा

14 सितम्बर विश्व हिंदी दिवस पर विशेष- हिंदी राष्ट्रभाषा होकर भी वस्तुतः राजभाषा नहीं बन पाई

हिन्दी विश्व में सर्वाधिक तीसरे नंबर की बोले जाने वाली भाषा -सुरेश सिंह बैस शाश्वत राष्ट्र कोई भौगोलिक इकाई ही मात्र नहीं है, उससे अधिक कुछ और है। हमारी धर्म, भाषा, वेशभूषा, परंपरा रीतिरिवाज़ आदि के द्वारा बाहर से अलग दिखाई देने वाला राष्ट्र भीतर से एक ऐसे अंतर धारा से जुड़ा होता है, जो […]

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भाषा

14 सितम्बर हिन्दी दिवस विशेष : केवल हिंदी ही हो सकती है राष्ट्रभाषा

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाषाओं की मर्यादाएँ, सीमाएँ न केवल संवाद की मध्यस्थता तक हैं बल्कि राष्ट्र के समृद्ध सांस्कृतिक वैभव का परिचय भी भाषाओं के उन्नयन से ही होता है। जिस तरह समग्र विश्व में आज भारत की पहचान में तिरंगा, राष्ट्रगान वन्दे मातरम और राष्ट्रगीत जन-गण-मन है, उसी तरह भारत का भाषाई परिचय […]

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