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भारतीय संस्कृति

भारत का प्राचीन गौरव कोई कपोल कल्पना नही

दीनानाथ मिश्राभारतीय बुद्घिजीवियों के राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्म-सम्मान को हो क्या गया है? उनमें प्राचीन भारत की विरासत के बारे में इतना हीन भाव क्यों है? क्या भारत का इतिहास मुस्लिम आक्रमणों से चालू होता है? इसके पहले के भारत में कुछ था ही नही? इसके पहले के भारत में कुछ था ही नही? क्या […]

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बाघों के इलाके में पर्यटन का मजा ही कुछ और है

प्रमोद भार्गवसर्वोच्च न्यायालय की रोक के चलते अब सैलानी राष्ट्रीय उधोगों और अभयारण्यों में स्थित बाधों के प्राकृतिक आवास स्थलों के निकट नहीं धूम सकेंगे। न्यायालय ने सभी राज्यों को बाघ्यकारी आदेश देते हुए कहा है कि बाघों के भीतर क्षेत्र ;कोर एरियाद्ध को 10 किलोमीटर के दायरे तक अधिसूचित किया जाए और यह क्षेत्र […]

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अंधे क्या ढोएंगे इस राष्ट्र को!

अपना राष्ट्र एक भूमि का टुकड़ा ही तो नही है न वाणी का एक अलंकार है और न मस्तिष्क की कल्पना की एक उड़ान मात्र है। वह एक महानतम जीवंत शक्ति है, जिसका निर्माण उन करोड़ों अरबों जनों की शक्तियों को मिलाकर हुआ है। जैसे समस्त देवशक्तियों को एकत्र कर बलराशि संचित की गयी और उसे […]

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समाज के समक्ष प्रमुख चुनौती – स्वास्थ्य की सुरक्षा

समाज के समक्ष प्रमुख चुनौती समाज की उन्नति के लिए स्वास्थ्य अनिवार्य है। स्वस्थ समाज में प्रति व्यक्ति आय स्वत: बढ़ जाती है। हमारा देश विकासशील है। देश का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। स्वास्थ्य के अधिकार के कई अंग हैं जिसमें पोषण, स्वच्छता, जल और पर्यावरण और स्वास्थ्य की […]

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मेरी मौत के लिए अरुणा चड्ढा और गोपाल कांडा जिम्मेदार हैं

दिल्ली स्थित अपने घर में खुदकुशी करनेवाली एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा ने मरने से पहले अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए सीधे सीधे हरियाणा के एक नेता गोपाल गोयल कांडा और अरुणा चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया है। गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में सीधे तौर पर इन दोनों का नाम लेते हुए कहा […]

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भारतीय संस्कृति

प्रशिक्षित होने के बाद पत्रकारिता नहीं करते एक चौथाई छात्र

पत्रकारिता पेशे में अपेक्षा के अनुरूप पैसा नहीं मिलने और कामकाज की स्वतंत्रता के अभाव में देश में प्रशिक्षित होने के बाद भी एक चौथाई पत्रकार पत्रकारिता को अपना पेशा नहीं बनाते। मीडिया स्टडीज ग्रुप और जन मीडिया जर्नल ने भारतीय जनसंचार संस्थान के 1984-85 से लेकर 2009-10 शैक्षणिक सत्र के छात्रों की प्रतिक्रिया के […]

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कांवडिय़ों की श्रद्घा का सैलाब सड़कों पर

कॉवडिय़ों की श्रद्घा का सैलाब सड़कों पर उमड़ आया। भारत के लोगों की इस असीम श्रद्घाभक्ति को देखकर लगता है कि लोगों में अभी भी भगवान के प्रति कितनी अटूट आस्था है। जातपात के सारे बंधनों से ऊपर उठकर अब कांवडिय़ा केवल भोला रह गया। अपनी विशाल संख्या से कांवडिय़े हिंदू समाज की संगठन शक्ति […]

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क्या है शिवलिंग और पार्वतीभग पूजा का रहस्य

सत्यान्वेषी नारायण मुनिपुराणों में में इसकी उत्पत्ति की कथाएं विभिन्न स्थानों पर विभिन्न रूपों में लिखी हुई मिलती हैं, देखिये हम यहां कुछ उदाहरण उन पुराणों के पेश करते हैं, यथा-1 दारू नाम का एक वन था, वहां के निवासियों की स्त्रियां उस वन में लकडिय़ां लेने गयीं, महादेश शंकर जी नंगे कामियों की भांति […]

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भारतीय संस्कृति

जनता भी जिम्मेदार है पाखंडी बाबाओं को भगवान बनाने के लिए

निर्मल रानीजिस युग में भारतवर्ष को विश्वगुरु कहा जाता था उस समय भी शायद इस देश में इतने तथाकथित गुरु नहीं रहे होंगे जितने कि अब देखे जा रहे हैं। टीवी चैनल्स ने इनकी दुकानदारी कुछ ज़्यादा ही बढ़ा दी है। जिसे देखो वही अध्यात्म की अपनी अलग दुकान सजाए बैठा है। इस प्रकार के लगभग […]

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रायसीना की रेस, विवादों का इतिहास

देश के सर्वोच्च पद के लिए महाभारत छिड़ा है. सर्वोच्च पद की लड़ाई अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है। रायसीना की रेस..यानि राष्ट्रपति पद को लेकर मची तकरार की। सरकार और विपक्ष में तो छोडि़ए. सरकार और उनके सहयोगियों में ही तकरार चरम पर है। एक दूसरे को देख लेने तक की धमकियां दी […]

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