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भारतीय संस्कृति

हम दानव नही मानव बनें

अथर्ववेद के आठवें काण्ड के सूक्त संख्या दो मंत्र संख्या 8 का एक मंत्र है-आरादरातिं निऋतिं परोग्राहिं क्रव्याद:पिशाचान। रक्षा यत्सर्वं दुर्भूतं तत्तम इवाप हन्मसि।।जिन व्यक्तियों में दान न देने की वृत्ति होती है, जो अदानी होते हेँ वह दानव हैं, क्योंकि दान न देने की वृत्ति भोगप्रवण बनाती है, यही भोगप्रवणता मृत्यु की ओर ले […]

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मानव जीवन में यज्ञों का विशेष महत्व

चारों वेदों में यज्ञों का महत्व दर्शाया गया है। यज्ञ भी अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे अश्वमेध यज्ञ, वृष्टिïयज्ञ आदि सब यज्ञ अग्निहोत्र के द्वारा ही सम्भव होते हैं।महर्षि मनु लिखते हैं-अग्नौ प्रस्ताहुति सम्यक आदित्यं उपतिष्ठति:।आदित्यात जायते वृष्टि: प्रजा:।।यज्ञ में अग्नि के अंदर डाली हुई घी-सामग्री की आहूतियां अग्नि के द्वारा सूक्ष्म होकर सूर्य […]

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प्रबंधन में है अपार संभावनाएं

मानव के अंदर अपार संभावनाएं छिपी हुई हैं। परंतु उचित प्रबंधन के अभाव में उनकी योग्यताओं का सही दोहन नही हो पाता है। परिणाम स्वरूप एक योग्य इंसान का अधिकतर समय बेकार के कामों में व्यतीत हो जाता है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए मानव संसाधन को प्रबंधन के विषय में शामिल किया […]

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बच्चों का रखें ख्याल

हमारे समाज के अधिकांश लोग गांवों में ही रहते हैं। उनका रहन सहन खान पान आधार व्यवहार आदि प्रकृति के अधिक नजदीक है। किंतु अब पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के प्रभाव से हमारा समाज भी प्रभावित हो रहा है। जबकि, प्रवृत्ति, प्रकृति परिवेश और परिस्थितियां इससे मेल नही खाती हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपने […]

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जीवन में ‘उदय’ का अर्थ

सूर्योदय होते ही रात का अंधकार किसी अंधेरे कोने में जाकर छुप जाता है। दसों दिशाओं में क्षितिज अंत तक प्रकाश का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। प्रकाश के साम्राज्य में सभी मानव, पक्षी जीव जंतु अपने परिवार व आश्रितों का पालन पोषण करने के लिए खाद्यान्न, उपयोग के लिए सामान व ज्ञान विज्ञान अर्जन […]

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द्रोपदी ने दुर्योधन से नही कहा था-अंधे का अंधा

राकेश कुमार आर्ययुधिष्ठर की सहधर्मिणी महारानी द्रोपदी पर एक आरोप यह भी है कि उन्होंने महाराज युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ के अवसर पर दुर्योधन से अंधे का अंधा उस समय कह दिया था जब वह पाण्डवों के नवनिर्मित राजभवन में दिग्भ्रमित होकर सूखे स्थान को गीला और गीले स्थान को सूखा समझकर चल रहा था। […]

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क्या हिंदू होना इस देश में एक गुनाह है?

राजीव गुप्ता प्रकृति कभी भी किसी से कोई भेदभाव नहीं करती और इसने सदैव ही इस धरा पर मानव-योनि में जन्मे सभी मानव को एक नजर से देखा है। हालाँकि मानव ने समय – समय पर अपनी सुविधानुसार दास-प्रथा, रंगभेद-नीति, सामंतवादी इत्यादि जैसी व्यवस्थाओं के आधार पर मानव-शोषण की ऐसी कालिमा पोती है जो इतिहास […]

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शिक्षा में सिद्ध प्रयोग का साधक

कलकत्ते में पैदा हुए, दिल्ली आई,आई टी से सिविल इंजिनियरिंग मे पढ़ाई की और कुछ दिन तक उत्तर बिहार में रसायन का उद्योग चलाया। लेकिन मन उखड़ा और कुछ अलग करने की धुन लगी तो चले आये मसूरी। पिछले बीस साल से सिद्ध संस्था के माध्यम से मसूरी के आस पास के इलाके में शिक्षा […]

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प्रधानमंत्री जी! कश्मीर के दर्द को सुनो

सम्मानीय, प्रधानमंत्री जी, सादर अभिवादन। महोदय, आशा है आप सानन्द होंगे। दिल्ली की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था और उसमें भी आपका निवास स्थान, किसकी हिम्मत है कि उसकी ओर कोई नजर उठाकर भी देख ले। सवा अरब जनता का प्रधानमंत्री यह हक भीरखता है कि उसे पूरी सुरक्षा व्यवस्था मिले। आज आप दूसरी पारी खेलने […]

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भारत में कानूनी व्यवस्था-गौ वंशीय पशु पर अत्याचार का कानून

हरिशंकर राजपुरोहितभारत में परंपरा से गाय व गौ धन को पशु होने पर भी अधिक सुख व लाभ देने वाली प्राणी होने से पवित्र मानकर पूजा की जाती रही है। भगवान कृष्ण ने इसकी रक्षार्थ गौ-वर्धन पर्वत उठा लिया था अनेक लोगों ने विभिन्न आराधना व तप त्याग किया है। कामधेनु को प्राप्त करने के […]

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