सूर्योदय होते ही रात का अंधकार किसी अंधेरे कोने में जाकर छुप जाता है। दसों दिशाओं में क्षितिज अंत तक प्रकाश का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। प्रकाश के साम्राज्य में सभी मानव, पक्षी जीव जंतु अपने परिवार व आश्रितों का पालन पोषण करने के लिए खाद्यान्न, उपयोग के लिए सामान व ज्ञान विज्ञान अर्जन […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
राकेश कुमार आर्ययुधिष्ठर की सहधर्मिणी महारानी द्रोपदी पर एक आरोप यह भी है कि उन्होंने महाराज युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ के अवसर पर दुर्योधन से अंधे का अंधा उस समय कह दिया था जब वह पाण्डवों के नवनिर्मित राजभवन में दिग्भ्रमित होकर सूखे स्थान को गीला और गीले स्थान को सूखा समझकर चल रहा था। […]
राजीव गुप्ता प्रकृति कभी भी किसी से कोई भेदभाव नहीं करती और इसने सदैव ही इस धरा पर मानव-योनि में जन्मे सभी मानव को एक नजर से देखा है। हालाँकि मानव ने समय – समय पर अपनी सुविधानुसार दास-प्रथा, रंगभेद-नीति, सामंतवादी इत्यादि जैसी व्यवस्थाओं के आधार पर मानव-शोषण की ऐसी कालिमा पोती है जो इतिहास […]
कलकत्ते में पैदा हुए, दिल्ली आई,आई टी से सिविल इंजिनियरिंग मे पढ़ाई की और कुछ दिन तक उत्तर बिहार में रसायन का उद्योग चलाया। लेकिन मन उखड़ा और कुछ अलग करने की धुन लगी तो चले आये मसूरी। पिछले बीस साल से सिद्ध संस्था के माध्यम से मसूरी के आस पास के इलाके में शिक्षा […]
सम्मानीय, प्रधानमंत्री जी, सादर अभिवादन। महोदय, आशा है आप सानन्द होंगे। दिल्ली की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था और उसमें भी आपका निवास स्थान, किसकी हिम्मत है कि उसकी ओर कोई नजर उठाकर भी देख ले। सवा अरब जनता का प्रधानमंत्री यह हक भीरखता है कि उसे पूरी सुरक्षा व्यवस्था मिले। आज आप दूसरी पारी खेलने […]
हरिशंकर राजपुरोहितभारत में परंपरा से गाय व गौ धन को पशु होने पर भी अधिक सुख व लाभ देने वाली प्राणी होने से पवित्र मानकर पूजा की जाती रही है। भगवान कृष्ण ने इसकी रक्षार्थ गौ-वर्धन पर्वत उठा लिया था अनेक लोगों ने विभिन्न आराधना व तप त्याग किया है। कामधेनु को प्राप्त करने के […]
दीनानाथ मिश्राभारतीय बुद्घिजीवियों के राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्म-सम्मान को हो क्या गया है? उनमें प्राचीन भारत की विरासत के बारे में इतना हीन भाव क्यों है? क्या भारत का इतिहास मुस्लिम आक्रमणों से चालू होता है? इसके पहले के भारत में कुछ था ही नही? इसके पहले के भारत में कुछ था ही नही? क्या […]
प्रमोद भार्गवसर्वोच्च न्यायालय की रोक के चलते अब सैलानी राष्ट्रीय उधोगों और अभयारण्यों में स्थित बाधों के प्राकृतिक आवास स्थलों के निकट नहीं धूम सकेंगे। न्यायालय ने सभी राज्यों को बाघ्यकारी आदेश देते हुए कहा है कि बाघों के भीतर क्षेत्र ;कोर एरियाद्ध को 10 किलोमीटर के दायरे तक अधिसूचित किया जाए और यह क्षेत्र […]
अपना राष्ट्र एक भूमि का टुकड़ा ही तो नही है न वाणी का एक अलंकार है और न मस्तिष्क की कल्पना की एक उड़ान मात्र है। वह एक महानतम जीवंत शक्ति है, जिसका निर्माण उन करोड़ों अरबों जनों की शक्तियों को मिलाकर हुआ है। जैसे समस्त देवशक्तियों को एकत्र कर बलराशि संचित की गयी और उसे […]
समाज के समक्ष प्रमुख चुनौती समाज की उन्नति के लिए स्वास्थ्य अनिवार्य है। स्वस्थ समाज में प्रति व्यक्ति आय स्वत: बढ़ जाती है। हमारा देश विकासशील है। देश का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। स्वास्थ्य के अधिकार के कई अंग हैं जिसमें पोषण, स्वच्छता, जल और पर्यावरण और स्वास्थ्य की […]