कालीचरन आर्यआपका जन्म 1667 ई. में बिहार की राजधानी पटना में हुआ था।चआपने खालसा पंथ की स्थापना 13 अप्रैल 1699 ई. के की थी।चआप सिखों के दसवें गुरू माने जाते हैं।चअकालियों की मान्यता है कि अब और कोई गुरू नही होगा। ये अंतिम गुरू हैं।चनिरंकारियों की सोच है कि भविष्य में और कोई गुरू हो […]
Category: भारतीय संस्कृति
सरकार की मंशा है कि भ्रष्टाचार चलता रहे और विकास भी हो, जिससे सत्ता पर पुन: काबिज हुआ जा सके। यह रणनीति सफल हो सकती है, क्योंकि विपक्ष के पास फिलहाल कोई प्लान नहीं है। रिटेल में विदेशी निवेश खोलने एवं दूसरे आर्थिक सुधारों को गति देने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारत को […]
सरकार की मंशा है कि भ्रष्टाचार चलता रहे और विकास भी हो, जिससे सत्ता पर पुन: काबिज हुआ जा सके। यह रणनीति सफल हो सकती है, क्योंकि विपक्ष के पास फिलहाल कोई प्लान नहीं है। रिटेल में विदेशी निवेश खोलने एवं दूसरे आर्थिक सुधारों को गति देने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारत को […]
श्रीमति शीला दीक्षित साहिबा की बातों का बुरा मानने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अगर छह सौ रूपये में पांच लोगों के महीनेभर की दालरोटी का जुगाड़ खोज लिया है तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है। पूरी कांग्रेस सरकार कैश कांड का प्रचार करने निकल पड़ी है ऐसे में शीला दीक्षित अगर दिल्ली प्रदेश में […]
श्रीमति शीला दीक्षित साहिबा की बातों का बुरा मानने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अगर छह सौ रूपये में पांच लोगों के महीनेभर की दालरोटी का जुगाड़ खोज लिया है तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है। पूरी कांग्रेस सरकार कैश कांड का प्रचार करने निकल पड़ी है ऐसे में शीला दीक्षित अगर दिल्ली प्रदेश में […]
विकृत सेक्युलरवाद
बलवीर पुंजअसम में आग क्यों लगी और 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पाकिस्तानी झंडे क्यों लहराए गये? मुंबई के बाद पुणे, बैगलूर, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद से रोहयांग और बांग्लादेशी मुसलमानों के समर्थन में हिंसा क्यों हुई? क्यों पूर्वोत्तर के करीब पचास हजार लोग विभिन्न शहरों से रेाजी रोटी छोड़ पलायन […]
विकृत सेक्युलरवाद
बलवीर पुंजअसम में आग क्यों लगी और 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पाकिस्तानी झंडे क्यों लहराए गये? मुंबई के बाद पुणे, बैगलूर, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद से रोहयांग और बांग्लादेशी मुसलमानों के समर्थन में हिंसा क्यों हुई? क्यों पूर्वोत्तर के करीब पचास हजार लोग विभिन्न शहरों से रेाजी रोटी छोड़ पलायन […]
‘माई कंट्री माइ लाइफ’ बस नाम ही काफी है लेखक के उदात्त चित्त को समझने के लिए। राष्ट्रीय संवेदना से इतना एकाकार कि लेखक का जीवन ही देश का जीवन बन गया या राष्ट्र जीवन ही लेखक का प्राण तत्व हो गया। अनादिकाल के ऋषियों से लेकर प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, योगी […]
‘माई कंट्री माइ लाइफ’ बस नाम ही काफी है लेखक के उदात्त चित्त को समझने के लिए। राष्ट्रीय संवेदना से इतना एकाकार कि लेखक का जीवन ही देश का जीवन बन गया या राष्ट्र जीवन ही लेखक का प्राण तत्व हो गया। अनादिकाल के ऋषियों से लेकर प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, योगी […]
मानवाधिकारों का दर्शन
वी. एम. तारकुंडेमानवाधिकारों की रक्षा और इन्हें आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ ने बहुमूल्य कार्य किये। राष्ट्र संघ ने स्त्रियों का व्यापार रोकने, विवाह की उम्र बढ़ाने, विभिन्न देशों में बाल कल्याण को सुनिश्चित करने तथा हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास के कदम उठाए। लेकिन मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ […]