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भारतीय संस्कृति

कुम्भ का मेला क्यों आता है 12 वर्ष पश्चात?

पौराणिक कथाओं अनुसार देवता और राक्षसों के सहयोग से समुद्र मंथन के पश्चात् अमृत कलश की प्राप्ति हुई। जिस पर अधिकार जमाने को लेकर देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे निकलकर पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरी।वे चार स्थान है – प्रयाग, हरिद्वार, […]

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इलाहाबाद कुंभ मेला: गंगा स्नान पर्व का महत्व

प्रयाग इलाहाबाद में गंगा के किनारे पूरे 144 वर्ष के बाद महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। कुंभ का मेला प्रत्येक 12 वर्ष में आता है। इस तरह प्रत्येक 12 कुंभ पूरा होने के उपरांत एक महाकुंभ का आयोजन होता है जो 144 वर्ष के बाद आता है और वो प्रयाग में ही संपन्न […]

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स्वामी विवेकानंद की 150वी वर्षगांठ (१२ जनवरी 2013 ई.)

♚विश्वकवि रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने कहा था कि यदि कोई भारत को समझना चाहता है तो उसे विवेकानंद को पढऩा चाहिए। ♚वे बंगला-संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के विद्वान थे।♚दुर्बल आर्थिक स्थिति में स्वयं भूखे रहकर अतिथियों के सत्कार की गौरव गाथा उनके जीवन का उज्जवल अध्याय है।♚वे भोजन तब करते थे जब कोई उन्हें निमंत्रण […]

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स्वधर्म, स्वराज व स्वाभिमान के प्रणेता-गुरू गोविन्द सिंहजी

विनोद बंसलपिता (गुरू तेगबहादुर जी) का दिन-रात देश और समाज का चिन्तन तथा धर्म रक्षा का संकल्प बालक के मन को अन्दर तक छू रहा था। एक दिन गुरू तेगबहादुर जी कश्मीरी पंडितों पर हुए मुगलों के अमानवीय अत्याचारों की कथा सुनते-सुनते कहने लगे – इस समय धर्म रक्षा का एक ही उपाय है कि […]

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विकास बना नौचन्दी का मेला

जगदीश बत्रा लायलपुरी किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रीय एकता उस राष्ट्र के लक्ष्य तथा नीतियों द्वारा समझी जा सकती है। भारत की स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेजों की शोषण नीति के खिलाफ तथा उनके द्वारा अपनी संस्कृति जबरन थोपने के विरुद्ध राष्ट्रीय एकता दिखाई देती थी। बंकिम चन्द्र, रविन्द्र नाथ राष्ट्र को राष्ट्रगीत देते है, भगतसिंह, […]

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परोपकार की लक्ष्मण रेखा

जगदीश बत्रा लायलपुरीजब किसी पर कोई उपकार करता है तो हम उसे देवता कहते है। उसके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते है, उसका अभिनन्दन, पूजा-पाठ, प्रार्थना आदि करते हैं। ऐसे ही देवताओं में एक देवता है जो प्रतिदिन कर्म का संदेश लेकर आते हैं। उनके आते ही सोया हुआ संसार उठ जाता है और उठ […]

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आस्था, हर्षोल्लास एवं उमंग का पर्व:मकर संक्रांति

प्रेम सिंघानिया भारत में समय-समय पर हर पर्व को श्रद्धा, आस्था, हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ मनाया जाता है। पर्व एवं त्योहार प्रत्येक देश की संस्कृति तथा सभ्यता को उजागर करते हैं। यहां पर्व, त्योहार और उत्सव पृथक-पृथक प्रदेशों में विविध ढंग से मनाए जाते हैं। मकर-संक्रांति पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है। […]

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देश की माटी के लाल, लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री की साफ सुथरी छवि के कारण ही उन्हें 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढऩे से रोकना है और वे ऐसा करने में सफ ल भी रहे। उनके क्रियाकलाप सैद्धान्तिक न होकर पूर्णत: व्यावहारिक और जनता की […]

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इतिहास के तथ्यों के साथ खिलवाड़ क्यों?

शिव कुमार गोयलकांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने दिल्ली के जामिया मिलिया क्षेत्र में स्थित बटाला हाउस में हुई मुठभेड फर्जी थी सिमी से ज्यादा खतरनाक संघ है, मुंबई में ताज होटल पर हमले के दौरान पुलिस अधिकारी करकरे की मृत्यु पाकिस्तानी आतंकवादियों ने नही हिंदूवादियों ने की जैसे शिगूफे छोडऩे की श्रंखला में अब […]

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आर्थिक क्षेत्र गढ़़ रहे हैं राजस्थान में विकास की नई परिभाषा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट विशेष आर्थिक क्षेत्रा (सेज) एक ऐसा भूगोलीय क्षेत्रा है जिसमें लागू होने वाले नियम सामान्यतया देश में लागू आर्थिक नियमों से अलग होते हैं। सेज एक ड्यूटी फ्री क्षेत्रा होता है, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तरीय आधारभूत सुविधाएं विकसित कर इसके द्वारा देशी एवं विदेशी निवेश को आकर्षित करना तथा रोजगार के […]

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