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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ईश्वर और वेद ही संसार में सच्चे अमृत हैं”

========== संसार में तीन सनातन, अनादि, अविनाशी, नित्य व अमर सत्तायें हैं। यह हैं ईश्वर, जीव और प्रकृति। अमृत उसे कहते हैं जिसकी मृत्यु न हो तथा जिसमें दुःख लेशमात्र न हो और आनन्द भरपूर हो। ईश्वर अजन्मा अर्थात् जन्म-मरण धर्म से रहित है। अतः ईश्वर मृत्यु के बन्धन से मुक्त होने के कारण अमृत […]

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नवधा भक्ति किसे कहते हैं

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी नवधा भक्ति का जिक्र धर्मग्रंथों में दो युगों में किया गया है। सतयुग में प्रह्लाद ने पिता हिरण्यकशिपु से कहा था।प्रह्लाद जी द्वारा कही गयी नवधा भक्ति श्रीमद्भागवत पुराण के सातवें स्कंध के पांचवे अध्याय में है। इसके बाद त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने मां शबरी से नवधा भक्त के बारे […]

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चरित्रवान माता-पिता ही सुसंस्कृत संतान बनाते हैं*

(द्वारका प्रसाद चैतन्य – विनायक फीचर्स) अंग्रेजी में कहावत- ‘दि चाइल्ड इज ऐज ओल्ड ऐज हिज एनसेस्टर्स’ अर्थात् बच्चा उतना पुराना होता है जितना उसके पूर्वज। एक बार संत ईसा के पास आई एक स्त्री ने प्रश्न किया- बच्चे की शिक्षा-दीक्षा कब से प्रारंभ की जानी चाहिए? ईसा ने उत्तर दिया- गर्भ में आने के […]

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जैन मत समीक्षा –भाग -२०

Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। शंका 1:- धर्म का अर्थ क्या हैं? साभार डॉ विवेक आर्य उत्तर:-१. धर्म संस्कृत […]

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क्या सचमुच अयोध्या शापित है?

आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी सब प्रभु श्री राम की लीला :- जो घटित हुआ, हो रहा और जो होगा वह सब प्रभु श्री राम की लीला है। अयोध्या का गौरव सदियों से बार बार बिखरता रहा। अब जैसे- जैसे अयोध्या अपने आप को संयोजित कर रही है, समेट और सहेज रही है तो क्रिया प्रतिक्रिया […]

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कपिल भगवान और गंगा सागर

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी ब्रह्मा पुत्र कर्दम से उत्तपत्ति:- कर्दम ऋषि ब्रह्मा जी के पुत्र थे, ब्रह्मा जी ने इनको आदेश दिया सृष्टि का कार्य आगे बढाओ। कर्दम ऋषि जन्मजात विरक्त थे । वे भगवान के प्रेमी और पिता के आज्ञाकारी थे। उनका गृहस्थाश्रम में जाने का मन नहीं था पर पिता की आज्ञा को […]

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जैन मत समीक्षा* –भाग ____१९

Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। जैन धर्म में मोक्ष्य और त्याग जैन धर्म ने स्वयं को मुख्य रूप से […]

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जैन मत समीक्षा* –भाग _____१८

Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। जैन धर्म में संथारा एक प्रश्न ये हो सकता है की जन्म और मृत्यु […]

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जगत के नाथ और पालनहार भगवान जगन्नाथ

‌ – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से भारत के चारों धाम में से एक धाम जगन्नाथ पुरी पास ही पड़ता है। हिंदू धर्म के आदि गुरु शंकराचार्य ने प्राचीन जंबूद्वीप (भारत) में चारों कोनों में चार धर्मपीठ स्थापित किए थे। जो कालांतर में हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थल एवं तीर्थ स्थान […]

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जैन मत समीक्षा –भाग ____१७

Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। जैन धर्म में संथारा हमारी मृत्यु कैसे हो ? इस विषय में शाश्त्र क्या […]

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