शिकागो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर वेंडी डोनीजर की लिखी पुस्तक ‘द हिंदूज: ऐन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ आजकल चर्चा में है। पुस्तक के चर्चा में आने की वजह कोई स्तरीय या शोधपरक लेखन नहीं, बल्कि हिंदू धर्मग्रंथों और आख्यानों के चुने हुए प्रसंगों की व्याख्या काम भाव की दृष्टि से किया जाना है। उदाहरण के लिए, इस पुस्तक […]
Category: भारतीय संस्कृति
-विनोद बंसल बात पांच दिसंबर 2017 की है जब देश के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंड पीठ स्वतंत्र भारत के सर्वाधिक चर्चित 77 वर्षों से लंबित मामले पर अपनी पहली सुनवाई हेतु उपस्थित थी. इससे पहले 11 अगस्त को न्यायालय ने सभी पक्षकारों को अपने अपने पक्ष के दस्तावेज समय पर जमा […]
— डॉ वीरेंद्र कुमार स्नातक विश्व में भारतीय संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है। भारतीय संस्कृति मानव मात्र का कल्याण करने वाली संस्कृति है । सृष्टि के प्रारंभिक ज्ञान वेद के संपूर्ण उदात्त विचार भारतीय संस्कृति में समाविष्ट हैं । संसार में अनेक विचारधाराएं हैं , अनेक संप्रदाय हैं , भारतीय संस्कृति से इतर जितनी भी संस्कृतियां […]
भोजन से पूर्व बोलने का मंत्र
*ओ३म् अन्नपतेऽन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः* *प्र प्रदातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।।* भावार्थ : हे अन्न के स्वामी परमात्मन् ! हम को रोग रहित और बल दायक अन्न दीजिए ।अन्न का दान करने वाले को सुखी रखिए। हमारे दो पैर वाले तथा चार पैर वाले प्राणियों को यहां अन्न शक्ति देवे। *काव्यमय भाव*🎤 […]
गाजियाबाद। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद यह तो मानना पड़ेगा कि विश्व मंचों पर भारत का सम्मान बढ़ा है और भारतीय संस्कृति की धूम विदेशों में मच रही है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को सारी दुनिया में मनवाकर मोदी सरकार ने भविष्य के लिए बहुत बड़ी कार्ययोजना का शुभारंभ किया है। वास्तव में […]
भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहीं संस्कृत के लिए कुछ करना चाहा […]
आर्य ईश्वर पुत्र है। इस प्रकार आर्यत्व एक जीवनशैली है जो जीवन को उत्कृष्टता में ढालती है। उसमें नियमबद्घता, क्रमबद्घता, शुचिता, परोपकारिता, उद्यमशीलता आदि के भाव जागृत कर उसे उच्चता प्रदान करती है। इसीलिए ‘कल्पद्रुम’ में आर्य शब्द का अर्थ पूज्य, श्रेष्ठ, धार्मिक, उदार, कल्याणकारी और पुरूषार्थी कहा है तथा निरूक्त में-‘श्रेष्ठ सज्जन साधव:’ कहकर […]
वेद उस घाट का नाम है जहां पूरा हिन्दू समाज जाकर अपनी ज्ञान की प्यास बुझाता है। इस घाट से कोई भी व्यक्ति बिना तृप्त हुए नहीं लौटता। सभी स्नातक होकर लौटते हैं, अर्थात स्नान कर लौटते हैं और यह स्नान आत्मिक ज्ञान का स्नान है। जिसमें आत्मा पूर्णानन्द की अनुभूति करता है। ऐसा स्नान […]
15 अगस्त सन 1947 और भारत का विभाजन, भाग-3अंग्रेज शासक राष्ट्र की एकता और अखण्डता को निमर्मता से रौंदता रहा और हम असहाय होकर उसे देखते रहे। इनसे दर्दनाक और मर्मांतक स्थिति और क्या हो सकती है? कांग्रेस इस सारे घटनाक्रम से आंखें मूंदे रही। उसकी उदासीनता सचमुच लज्जाजनक है। बर्मा, रंगून और माण्डले की […]
महात्मा गांधी जी की वसीयत महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के […]