ओ३म् =========== हमारा देश महाभारत युद्ध के बाद अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, कुरीतियों वा मिथ्या परम्पराओं सहित अनेकानेक आडम्बरों से भर गया था जिसका परिणाम देश में छोटे-छोटे राज्यों के निर्माण सहित देश की पराधीनता के रूप में सामने आया। अज्ञान व अन्धविश्वासों के कारण ही देश में चेतन ईश्वर का तिरस्कार कर जड़ मूर्ति-पूजा का […]
Category: भारतीय संस्कृति
(1) *ब्रह्मयज्ञ* :- ब्रह्म यज्ञ संध्या ,उपासना को कहते है। प्रात: सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के बाद जब आकाश में लालिमा होती है, तब एकांत स्थान में बैठ कर ओम् वा गायत्री आदि वेद मंत्रों से ईश्वर की महिमा का गुणगान करना ही ब्रह्मयज्ञ कहलाता है। (2) *देवयज्ञ* :- अग्निहोत्र अर्थात हवन को […]
संस्कृत भाषा है भारत के प्राण
एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला अर्थात शस्त्र और शास्त्र का उचित समन्वय बनाना आर्य हिंदू संस्कृति का एक बहुत ही गहरा संस्कार है । भारत की चेतना में यही संस्कार समाविष्ट रहा है । इसी संस्कार ने समय आने पर संत को भी सिपाही बनाने में देर नहीं की । इसी […]
संस्कृति संरक्षण और शिक्षा
डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’ यह कल्पना करना ही भयावह लगता है कि अगर शिक्षा न होती तो क्या होता? अगर शिक्षा न होती तो प्राचीनतम् विचारों का क्रमबद्ध संकलन होना सम्भव नहीं होता। गुरुकुल या विद्यापीठ अथवा आज के अत्याधुनिक विद्यालय नहीं होते। समाजीकरण की सतत् प्रक्रिया सुचारु नहीं हो पाती। हमारी अनमोल धरोहर जिसे […]
विवेकानंद नए भारत का नवाख्यान
डाॅ. राकेश राणा करुणा ही आम सहमति और सद्भाव ला सकती है, यदि सच्ची भावना से उसका पालन किया जाय। दैनंदिन जीवन में यह सोच सार्वजनिक नीति और समाज में लोकतांत्रिक भाव के लिए मार्गदर्शक हो सकती है- स्वामी विवेकानंद श्रीविश्वनाथ दत्त के घर में 12 जनवरी,1863 को बालक नरेन्द्र दत्त का जन्म हुआ जो […]
ओ३म् ========== परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न व उसके बाद जन्म लेने वाले मनुष्यों की भाषा एवं ज्ञान की आवश्यकता को पूरा करना था। सृष्टि के आरम्भ से लेकर महाभारत काल पर्यन्त भारत वा आर्यावत्र्त सहित विश्व भर की […]
-मनमोहन कुमार आर्य वेद संसार के सबसे पुराने धर्म ग्रन्थ हैं। वेद के विषय में ऋषि दयानन्द के विचार हैं कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। सृष्टि के आरम्भ से ही महाभारत और उसके भी बाद आर्य राजा पृथिवीराज चौहान तक भारत में आर्य राजा हुए हैं। वेदों की उत्पत्ति 1.96 अरब वर्ष […]
ओ३म् =========== जिस समाज व देश में अनेक विचारधारायें, मत- मतान्तर आदि हों वहां एक विचारधारा व सिद्धान्तों के लोगों को संगठित रहना चाहिये अन्यथा वह सुरक्षित नहीं रह सकते। इतिहास में उदाहरण देखे जा सकते हैं कि हमारी जाति का महाभारत युद्ध से लेकर आज तक क्या हश्र हुआ है। महाभारत के समय पूरे […]
महर्षि दयानन्द ने अपने उद्बोधन, पत्रों तथा अन्यान्य लेखन में सर्वत्र महिला-उत्पीडऩ के विरुद्ध कार्य करने के निर्देश दिए हैं। यद्यपि महाभारत युद्ध के बाद समाज में अनेक दुर्गुणों का समावेश हो गया था और जहाँ राजधर्म विखण्डित हुआ वहीं समाज में विभिन्न प्रकार की दुर्नीतियाँ प्रचलित हो गईं। 8वीं शताब्दी के बाद इस्लामी आक्रमण […]
मानवीय क्रिया-कलाप और पर्यावरण प्रदूषण 26/11/2019 डॉ. राकेश राणा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अब तक की सबसे तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि गैस चेम्बर बनी दिल्ली में लोग घुट-घुटकर क्यों जिएं, आप प्रदूषण नहीं रोक सकते तो विस्फोटक से उन्हें उड़ा क्यों […]