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भारतीय संस्कृति

*सत्यार्थप्रकाश ग्रंथ*, शेरनी का वो दुध हैं जो पियेगा वो दहाड़ेगा !

बकरी को शेर कैसे बनाए? डॉ विवेक आर्य मोहन गुप्ता पौराणिक हिन्दू परिवार से थे। आप पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर थे। आपका मूर्ति पूजा एवं पौराणिक देवी देवताओं की कथाओं में अटूट विश्वास था। आप बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत थे। आपको अनेक बार कंपनी की ओर से विदेश में कई महीनों के लिए कार्य के […]

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*गुरु बिन मुक्ति नाही* 1

डॉ डी के गर्ग इस लेख के ४ भाग है आजकल गुरु बनाने की परम्परा चल पड़ी है कि गुरु बिन मोक्ष नहीं, गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु ईश्वर से बढ़कर है। गुरु भभूत निकालते है ,चमत्कार करते है।एक-एक गुरु ने लाखों की संख्या में चेले पाल रखे हैं। ये एक अजीब परम्परा शुरू हुई […]

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देव शयनी एकादशी रहस्य* 1

* Dr DK Garg भाग;१ पौराणिक विश्वास : आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। देव शयनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते है । इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते […]

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गुरु गजानंद स्वामी दयानंद और गुरु दक्षिणा

◼️गुरु दक्षिणा◼️ (गुरुपूर्णिमा विशेष) प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ मथुरा में विराज रहे दण्डी स्वामी विरजानन्द जी की ख्याति उन दिनों लोक में प्रसिद्धि पा रही थी। दयानन्द उनकी विद्वत्ता से परिचित थे। सन् 1855 में उनका सामीप्य उन्हें प्राप्त हो चुका था। उन्होंने तुरन्त मथुरा की राह पकड़ ली। संवत् 1917 कार्तिक शुदी 2 (सन् […]

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शिव पुराण के अनुसार जलाभिषेक क्या है ?

सभी शिव भक्तों को श्रावण माह के पहले सोमवार की बहुत बहुत शुभकामनाएं, शिवपुराण’ के अनुसार भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। सावन मास में सबसे अधिक वर्षा होती है जो शिव जी के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है। महादेव ने सावन मास की महिमा बताते हुए कहते है कि मेरे तीनों नेत्रों […]

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सबसे बड़ा गुरु कौन?

( गुरु पूर्णिमा पर विशेष) #डॉविवेकआर्य आज गुरु पूर्णिमा है। हिन्दू समाज में आज के दिन तथाकथित गुरु लोगों की लाटरी लग जाती हैं। सभी तथाकथित गुरुओं के चेले अपने अपने गुरुओं के मठों, आश्रमों, गद्दियों पर पहुँच कर उनके दर्शन करने की हौड़ में लग जाते हैं। खूब दान, मान एकत्र हो जाता हैं। […]

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ओ३म् “ईश्वर और वेद ही संसार में सच्चे अमृत हैं”

========== संसार में तीन सनातन, अनादि, अविनाशी, नित्य व अमर सत्तायें हैं। यह हैं ईश्वर, जीव और प्रकृति। अमृत उसे कहते हैं जिसकी मृत्यु न हो तथा जिसमें दुःख लेशमात्र न हो और आनन्द भरपूर हो। ईश्वर अजन्मा अर्थात् जन्म-मरण धर्म से रहित है। अतः ईश्वर मृत्यु के बन्धन से मुक्त होने के कारण अमृत […]

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नवधा भक्ति किसे कहते हैं

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी नवधा भक्ति का जिक्र धर्मग्रंथों में दो युगों में किया गया है। सतयुग में प्रह्लाद ने पिता हिरण्यकशिपु से कहा था।प्रह्लाद जी द्वारा कही गयी नवधा भक्ति श्रीमद्भागवत पुराण के सातवें स्कंध के पांचवे अध्याय में है। इसके बाद त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने मां शबरी से नवधा भक्त के बारे […]

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चरित्रवान माता-पिता ही सुसंस्कृत संतान बनाते हैं*

(द्वारका प्रसाद चैतन्य – विनायक फीचर्स) अंग्रेजी में कहावत- ‘दि चाइल्ड इज ऐज ओल्ड ऐज हिज एनसेस्टर्स’ अर्थात् बच्चा उतना पुराना होता है जितना उसके पूर्वज। एक बार संत ईसा के पास आई एक स्त्री ने प्रश्न किया- बच्चे की शिक्षा-दीक्षा कब से प्रारंभ की जानी चाहिए? ईसा ने उत्तर दिया- गर्भ में आने के […]

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जैन मत समीक्षा –भाग -२०

Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। शंका 1:- धर्म का अर्थ क्या हैं? साभार डॉ विवेक आर्य उत्तर:-१. धर्म संस्कृत […]

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