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भारतीय संस्कृति

ऋषि दयानंद ने अपने गुरु की प्रेरणा से देश से अविद्या दूर करने का कार्य किया

ओ३म् =========== ऋषि दयानन्द एक सत्यान्वेषी सत्पुरुष थे। वह सच्चे ईश्वर को प्राप्त करने तथा मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिये अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में अपने घर से निकले थे। उन्होंने देश के अनेक भागों में जाकर धार्मिक पुरुषों के दर्शन करने सहित उनसे उपदेश ग्रहण किये थे। इसके साथ ही उन्होंने […]

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युधिष्ठिर के जुआ खेलने के संबंध में विशेष : हे मनुष्य ! जुआ मत खेल, खेती कर

  डॉ विवेक आर्य महाभारत में द्रौपदी चीर-हरण का प्रसारण हुआ। हम महाभारत के यक्ष-युधिष्ठिर संवाद आदि का अवलोकन करते हैं, तो युधिष्ठिर एक बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में प्रतीत होते हैं। जब महाभारत में उन्हें जुआ खेलता पाते हैं, तो एक बुद्धिमान व्यक्ति को एक ऐसे दोष से ग्रसित पाते हैं जिसने न जाने […]

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पुनःसूर्यउदय हुआ भारतीय परंपरा का समस्त विश्व में

अवधेश कुमार सिंह मानव इतिहास में पहली सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में पूरा विश्व इस समय कोरोना के प्रकोप का सामना कर रहा है। आमतौर पर जब भी कोई प्राकृतिक संकट आता है तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक ही सीमित रहता है लेकिन इस बार का संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर की पूरी […]

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अध्ययन से ज्ञान प्राप्ति की तरह ही सुख प्राप्त होता है

ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य

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भारत के शिक्षित ही उजाड़ रहे हैं भारत को

  जो पढ़ा हुआ है उसके विषय में माना जाता है कि वह ‘बढ़ा’ हुआ देशप्रेमी है। वह ‘बढ़ा’ तो है, किंतु विचारणीय बात यह है कि वह किस क्षेत्र में बढ़ गया ? जो उसके लिए सर्वथा वर्जित और त्याज्य था वह उसकी ओर क्यों और कैसे चला गया ? क्या हमने कभी इस […]

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विद्या ही संसार की प्रथम औषध है

सृष्टि के आदिकाल से ही परमसत्ता ईश्वर ने चार ऋषियों के हृदय में वेद ज्ञान का प्रकाश किया । ये चारों ऋषि (अग्नि ,वायु , आदित्य , अंगिरा) अन्य ऋषियों में श्रेष्ठतम थे। इन चारों ऋषियों ने योनिज सृष्टि में प्रथम मानव, आदिऋषि ब्रह्मा आदि को अपने ज्ञान से उनके हृदय को प्रकाशित किया अर्थात् […]

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मैं नारायण का अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हूँ

अमित सिन्हा , बिहार मैं नारायण का अवतार मर्यादा_पुरुषोत्तम श्रीराम हूं. मानव निर्मित विश्व की प्रथम राजधानी अयोध्या का राजा. अजीब विडंबना है ना..! स्वतंत्र भारत में अपने ही शासकों द्वारा 14 वर्षों से भी अधिक वनवास देने के बाद भी आज अयोध्या सूनी रहेगी. मेरे जन्म स्थान पर चाह कर भी मेरे भक्त अपने […]

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महाभारत का युद्ध : महर्षि दयानंद सरस्वती जी की दृष्टि में

इस युद्ध से प्राचीन आर्य लोगों का वैभव सदा के लिए अस्त हो गया। ———————— [भूमिका : 31 जुलाई 1875 को पूना में इतिहास विषय पर दिए गए अपने भाषण में महर्षि दयानन्द जी ने महाभारत के समय की महत्त्वपूर्ण धटनाओं का उल्लेख करते हुए निम्नलिखित बातें अपने श्रोताओं को सुनाई थीं। स्रोत : उपदेश-मंजरी […]

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यज्ञ से रोग चिकित्सा तथा रोगकारी विषैले कीटाणु व वायरसों का नाश

ओ३म् ========== वेदों में ईश्वर ने संसार के सभी मनुष्यों को यज्ञ करने की प्रेरणा की है। यज्ञ से रोगों व विषैले किटाणुओं का नाश होता है इसकी प्रेरणा भी ईश्वर ने की है। यज्ञ में आम्र की तथा कुछ अन्य वृक्षों की समिधाओं वा काष्ठों को जलाकर उसमें वेदमन्त्रों की जीवनोपयोगी प्रार्थनाओं को बोलकर […]

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मर्यादाओं का पालन न करने वाला मनुष्य असभ्य और निंदनीय है

ओ३म्===========मनुष्य को मनुष्य मननशील होने के कारण से कहते हैं। मनन का अर्थ है सत्य व असत्य का विचार करने वाला दो पैरों वाला प्राणी। जो मनुष्य शिक्षित नहीं है, ज्ञानी नहीं है, जिसने वेद, उपनिषद, दर्शन, रामायण एवं महाभारत सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय आदि ग्रन्थों को नहीं पढ़ा है, वह मनुष्य कुछ-कुछ सभ्य […]

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