****************************************** आजकल एक वाक्य अधिक सुनने को मिल रहा है – “इस समय भगवान् के भी दरवाजे बन्द हैं।” भारतीय संस्कृति की समझ रखने वाला व्यक्ति ऐसा नहीं कह सकता। सूर्य, चन्द्रमा आदि ब्रह्माण्ड के अन्य पिण्डों की तो बात छोड़ दीजिए, भारत में वृक्ष, लता,वनस्पति एवं जन्तुओं की भी पूजा होती है। दूसरे शब्दों […]
Category: भारतीय संस्कृति
समय रहते सर्वजीवनाधार को खोज लो
एक मनुष्य को नैतिकता और गुण नहीं छोड़ना चाहिए , क्योंकि नैतिकता तथा गुण हीरे तथा रत्नों से भी अधिक मूल्यवान होते हैं । यह मनुष्य को प्रभु प्रिय और लोकप्रिय बनाते हैं और उसके मन को संतुष्टि प्रदान करते हैं। नैतिकता और गुणों के कारण ही एक मनुष्य के अंदर ही प्रभु का अस्तित्व […]
ओ३म् =========== संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे […]
संसार में जो आया है उसे जाना अवश्य है इसलिए मनुष्य को अपना अंतिम काल अवश्य याद रखना चाहिए । यह ध्यान रखना चाहिए कि समय बहुत तेजी से बीत रहा है , इसलिए समय का मूल्य समझो और कल के ऊपर कोई कार्य न छोड़ना चाहिए। समय रहते समय का मूल्य समझना चाहिए । […]
संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे अपितु संसार […]
इस सराय में मुसाफिर थे सभी – – –
जो व्यक्ति परमात्मा की भक्ति में लीन हो जाता है , केवल उसी से प्रेम करता है , ऐसी अनन्य भक्ति भावना से उसके अंदर की प्रज्ञा चक्षु खुल जाती है। तब वह प्रत्येक के अंदर एक ही दिव्य ज्योति के दर्शन करता है ।वह अंदर से तृप्त हो जाता है। उसकी कोई इच्छा […]
शिवा नंदवंशी भारतवासियों ने इस एक सदी में बहुत कुछ बदलते देखा। कभी ब्रिटिश शासन में होटलों के बाहर कुत्ता और हिंदुस्तानी अंदर न आ सकेंगे, यह भी हमारे पूर्वजों ने देखा, सुना, सहा। कभी गांधीजी को रेलवे का फर्स्ट क्लास का टिकट होने के बाद भी अश्वेत होने के कारण गाड़ी से गोरों ने […]
“जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़कर अपने खोल के अंदर खींच लेता है ,उसी प्रकार जब कोई पुरुष इंद्रियों के विषयों में से अपनी इंद्रियों को खींच लेता है, तब समझो कि उसकी प्रज्ञा बुद्धि स्थिर हुई । ” ( ५८ ) इस श्लोक में कछुए का दृष्टांत देकर संसार के […]
ललित गर्ग भाऊराव देवरस सेवा न्यास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को पोषित एवं पल्लवित करने वाला संगठन है, सेवा, शिक्षा एवं संस्कार निर्माण के अनूठे प्रकल्प को आकार देते हुए वह कोरोना मुक्ति के महासंग्राम के प्रति भी जागरूक है। कोरोना महासंकट एवं महामारी के इस विषम दौर में आज आवश्यकता है आदमी और […]
श्रीमदभगवत गीता के पहले अध्याय में कर्म योगी श्री कृष्ण जी महाराज ने निम्न प्रकार उपदेश दिया है ;- कुल के क्षय हो जाने पर उनके जो सनातन धर्म है, उनकी जो सनातन परंपराएं हैं ,सदियों के अनुभव के आधार पर कुल की जो मर्यादा बन चुकी हैं ,वे नष्ट हो जाती हैं ,जब […]