हमें मनुष्य का जन्म क्यों प्राप्त हुआ है? इसके पीछे कौन सी अदृश्य सत्ता व शक्ति है जिसने निश्चित किया कि हमारी आत्मा को मनुष्य जन्म मिले? इसका उत्तर वैदिक साहित्य को पढ़ने से मिलता है। मनुष्य को मनुष्य जन्म उसकी आत्मा के पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर मिलता है। इन कर्मों को जीवात्मा […]
Category: भारतीय संस्कृति
मदांधता काम , क्रोध , मद , लोभ ,मोह यह 5 अवगुण व्यक्ति के व्यक्तित्व के शत्रु हैं। यह 5 व्यक्ति के स्वाभाविक एवं प्राकृतिक गुण नहीं हैं। इनमें से मद को अहंकार भी ही कहते हैं और अहंकार हमारे पतन का कारण होता है। यह मनुष्य द्वारा स्व अर्जित मनोरोग है । यह मनुष्य […]
भारत की शिक्षा प्रणाली और कर्तव्य प्राचीन काल में भारत की शिक्षा प्रणाली गुरुकुलों के माध्यम से संचालित होती थी। चिकित्सा और शिक्षा दोनों नि:शुल्क देने की व्यवस्था हमारे ऋषि पूर्वजों ने अनिवार्य की थी । गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली की यह परम्परा पर्याप्त अवरोधों के उपरांत भी भारत में न्यूनाधिक 1850 ईसवी तक काम करती […]
हमारे अस्तित्व का आधार है राष्ट्र
वैदिक सभ्यता और उसको मानने वालों के निम्न लिखित आदर्श है मा नः स्तेन ईशतः यजुर्वेद 1।1 भ्रष्ट व् चोर लोग हम पर शासन न करें वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम । – अथर्व० १२.१.६२ हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों। यतेमहि स्वराज्ये । – ऋ० ५.६६.६ हम स्वराज्य के लिए सदा यत्न […]
राजपूत दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है। आज […]
(10 मई मदर्स-डे ) -मुरली मनोहर श्रीवास्तव मां, हर बच्चों के लिए खास ही नहीं बल्कि उनकी पूरी दुनिया होती है। होना भी लाजिमी है बच्चे जन्म लेने से कई माह पहले ही अपनी मां से जुड़ जाते हैं। सभी बच्चों के जन्म लेने के बाद रिश्तों से जुड़ते हैं मगर मां और बच्चे का […]
यज्ञ ही हमारे जीवन का आधार है
सादा जीवन उच्च विचार प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने मनुष्य बनने के लिए मनुष्य को केवल एक ही नैतिक उपदेश दिया है कि मनुष्य को सादा जीवन और उच्च विचार के आदर्श को अपने जीवन में अंगीकृत करते हुए उत्थान के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। जिसके लिए […]
— कार्तिक अय्यर नमस्ते मित्रों। कुछ वामपंथी भीमसैनिक मानते हैं कि पुनर्जन्म, परलोक आदि सब गप्प है। शरीर नष्ट होने के बाद आत्मा खत्म हो जाता है। किसी को किसी कर्म का फल नहीं मिलता आदि आदि। परंतु भगवान बुद्ध वैदिक कर्म फल व्यवस्था मानते थे। कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतसमाः। एवं त्वयि नान्यथेतोsस्ति न कर्म […]
विद्या की महिमा को समझिए
हमारे वैदिक समाज में मर्यादाओं का बड़ा सम्मान किया जाता है । अभी तक हमने कुछ मर्यादाओं पर ही विचार किया जैसे अपने दान को गोपनीय रखना, घर में आये अतिथि को सम्मान देना , भलाई करके चुप रहना ,अपने प्रति दूसरे को द्वारा किए गए उपकार को सबको बताना, संपदा में अभिमान न करना […]
नारी को लेकर महर्षि मनु के विचार
जिस कार्य को करने में जो व्यक्ति कुशल हो , उसको वही कार्य सौपें जाने चाहिए। जैसे मनु महाराज ने कर्म के आधार पर ही चार वर्ण बनाए थे। जिनको आज जातिगत बना दिया गया है , जो मनु महाराज की सोच के विपरीत हैं । आप भी अपने घर में आज भी किसी उपयुक्त […]