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भारतीय संस्कृति

ओउम् “गुरूकुल शिक्षा प्रणाली बनाम् स्कूलों में दी जाने वाली वर्तमान शिक्षा”

============= मानव सन्तान को शिक्षित करने के लिए एक पाठशाला या विद्यालय की आवश्यकता होती है। बच्चा घर पर रह कर मातृ भाषा तो सीख जाता है परन्तु उस भाषा, उसकी लिपि व आगे विस्तृत ज्ञान के लिए उसे किसी पाठशाला, गुरूकुल या विद्यालय मे जाकर अध्ययन करना होता है। केवल भाषा से ही काम […]

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भ्रमोच्छेदन : वैदिक पथानुगामी आर्य भरत और मुनिश्रेष्ठ भरद्वाज का दर्शन

लेखक- प्रियांशु सेठ, वाराणसी [आर्यावर्त के स्थापित आदर्शों को कलंकित करने के कुत्सित प्रयासों के क्रम में महर्षि भरद्वाज द्वारा मांस परोसने के कुछ यूट्यूबर्स के अनर्गल प्रवाद का युवा गवेषक द्वारा मुंह तोड़ प्रामाणिक उत्तर दिया जा रहा है। -सम्पादक शांतिधर्मी] महर्षि वाल्मीकि ने अपने काव्यग्रन्थ रामायण में वैदिक संस्कृति का वर्णन करते हुए […]

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रजनीश ओशो मत खण्डन

रजनीश (ओशो) को भगवान बताने वाले कुछ लोग सत्य के ज्ञान से जो अनभिज्ञ है सत्य जानने के लिए यह लेख अवश्य पढ़े। लेखक – हिमांशु आर्य ओशो वैदिक धर्म और मत – सम्प्रदाय विषय को जानने में अक्षम रहा ओशो सारी बुराइयों का जड़ धर्म , संस्कृति और ऋषियों को मानता है , और […]

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ओ३म् “ऋषि दयानन्द जी का गुरु विरजानन्द से विद्या प्राप्ति का उद्देश्य व उसका परिणाम”

============= ऋषि दयानन्द ने सच्चे शिव वा ईश्वर को जानने के लिए अपने पितृ गृह का त्याग किया था। इसके बाद वह धर्म ज्ञानियों व योगियों की तलाश कर उनसे ईश्वर के सत्यस्वरूप व उसकी प्राप्ति के उपाय जानने में तत्पर हुए थे। देश के अनेक स्थानों पर वह इस उद्देश्य की पूर्ति में गये […]

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ओ३म् “ऋषि दयानन्द ने मत-मतान्तरों की परीक्षा कर वेदानुकूल  सत्य के ग्रहण का सिद्धान्त दिया”

  –मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।   ऋषि दयानन्द ने अपने ज्ञान व ऊहा से वेदों को सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को सर्वव्यापक परमात्मा से प्राप्त सत्य ज्ञान के ग्रन्थ स्वीकार किया था। इस सिद्धान्त व मान्यता की उन्होंने डिण्डिम घोषणा की है। इसके पक्ष में उन्होंने उदाहरणों सहित अनेक तर्क युक्त बातें विस्तार […]

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विशेष – त्रिगुणातीत से क्या अभिप्राय है? : -*

  आसक्ति-अहंकार को, जिसने लिया जीत । उद्वेगों से दूर मन, हो गया त्रिगुणातीत॥2708॥ तत्त्वार्थ :- यह दृश्यमान प्रकृति परम पिता परमात्मा की सुन्दरतम रचना है। ‘प्र’ से अभिप्राय प्रमुख, विशिष्ट अर्थात् सुन्दरतम और कृति से अभिप्राय है रचना यानि कि परम पिता परमात्मा की सुन्दर रचना,यदि आप प्रकृति तात्विक विवेचन करेंगे तो पायेंगे यह […]

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क्या आदियोगी भगवान शिव भांग का सेवन करते थे*?

सच्चाई तथा भांग कैसे दिमाग पर चढ़ती है यह जानने के लिए पढे यह लेख। भारतवर्ष में भांग के पौधे से अधिकांश जन परिचित है। पहाड़ हो या मैदान, उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत भांग का पौधा खेतों की मेड, नदी -नालों’ जलीय स्रोतों के किनारे दिख ही जाता है। संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी में […]

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राजस्थान में कैला देवी मंदिर और पशुबलि की कुप्रथा

  #डॉविवेकआर्य राजस्थान के करौली जिले में कैला देवी मंदिर है। इस मंदिर में आज से कुछ दशक पहले धर्म के नाम पर भैंसे-बकरों की बलि दी जाती थी। अज्ञानियों द्वारा किया जाने वाला यह कृत्य न तो धर्म अनुकूल था न ही शास्त्रों के अनुकूल था। फिर भी परम्परा के नाम पर इस अन्धविश्वास […]

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ओ३म् -आगामी कृष्ण जन्माष्टमी पर्व दिनांक 26 अगस्त, 2024 पर- “अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण जिनका जीवन अनुकरणीय है”

========== मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति भी सम्मिलित है। यदि शरीर पुष्ट और बलवान न हो तो आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। आत्मा के अन्तःकरण में मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार यह चार अवयव व उपकरण होते हैं। इनकी उन्नति […]

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वेदो में गाय के महत्व का वर्णन यों मिलता है

———————- एक अजूबा पशु सारे पशु जगत में केवल मात्र गाय ही ऐसा पशु है जिसका बछड़ा /बछडी गाय के गर्भ से बाहर निकलते ही छलांगे/फुदकने लग जाता है ( मैं इस दृश्य का स्वयं साक्षी रहा हूँ) मुझे गूजर जाति की एक महिला ने पाला है। बचपन में मैनें गाये चराई थी। हालांकि मैं […]

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