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भारतीय संस्कृति

स्वामी रामकृष्ण परमहंस : *कैसे होते हैं गुरदेव*

🕉️ रात्रि कहानी 🕉️ स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंसजी कैंसर रोग से पीडित थे । उन्‍हें खांसी बहुत आती थी और उस कारण वे खाना भी नहीं खा पाते थे । स्‍वामी विवेकानंद जी अपने गुरु जी की हालत से बहुत दु:खी होते थे । एक दिन स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंसजी ने विवेकानंदजी को अपने पास बुलाया और […]

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ईश्वर कैसा है,कहाँ रहता है,उसका रंग कैसा है,कोई उसका रूप या हुलिया तो बताइये?

प्रियांशु सेठ जब तक इन बातों का ज्ञान न हो जाय,तब तक अपने प्रियतम को कैसे पहचाने?कैसे समझे कि हम किसके दर्शन कर रहे हैं या हमें दर्शन हो गए? याज्ञवल्क्य ने एक बार गार्गी से कहा था- “ब्रह्म के जाननेवाले उसे अक्षर,अविनाशी,कूटस्थ कहते हैं।वह न मोटा है,न पतला।न छोटा है,न लम्बा।न अग्नि की तरह […]

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लाख छिद्रों के साथ श्री राम लक्ष्मण द्वारा स्थापित लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग

– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” अपने अंचल के पौराणिक और ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध शिवालय जहां भगवान शिव शंकर का शिवलिंग लक्ष्मण जी और भगवान राम द्वारा स्थापित किया हुआ शिवलिंग स्थापित है । इस शिवलिंग की मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं। अतः आज हमने भरी बरसात के समय […]

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श्रीमद्भगवद्गीता में आतंकवाद नहीं है

लेखक श्री विष्णु शर्मा प्रायः अनेक प्रकार के विभिन्न विचारधारा वाले लोग गीता पर यह आक्षेप लगाते रहते हैं कि गीता में जिहाद है और भीषण नरसंहार का आदेश दिया गया है किंतु आश्चर्य की बात तो ये है कि ऐसे लोगों ने कभी गीता को उठाकर तक भी देखा नहीं होता.. केवल सुनी सुनाई […]

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उपनिषद् ब्रह्मविद्या के मूलाधार हैं

उपनिषद रहस्य उपनिषद् ब्रह्मविद्या के मूलाधार हैं। प्रस्तुत संस्करण में 11 उपनिषदों को संकलित किया गया है – 1) ईशोपनिषद् – यह ब्रह्मविद्या का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें ईश्वर की सर्वव्यापक, भोक्ता का सृष्टि की वस्तुओं पर केवल प्रयोगाधिकार, किसी के धन या स्वत्व नहीं लेना, सभी कर्म कर्तव्य कर्म समझ कर करना और […]

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अरब सागर में डूबी पुरातन द्वारका

आचार्य डॉ.राधेश्याम द्विवेदी भारत से सटा समुद्रअपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। समुद्र के नीचे आज भी ऐसी कई साइट्स दबी हुई हैं जिनके बारे में कम लोगों को जानकारी है। कुछ वर्षों पहले एक ऐसी ही जगह की खोज हुई थी जिसके बारे में हर कोई हैरान था। ऐसी ही है गुजरात […]

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वेदों में सामाजिक व्यवस्था तथा स्थिति

प्रेषक #डॉविवेकआर्य अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो बावृधुः सौभगाय । -ऋ0 5/60/5 अर्थात् मनुष्यों में जन्म सिद्ध कोई भेद नहीं है। उनमें कोई बड़ा, कोई छोटा नहीं है। वे सब आपस में बराबर के भाई हैं। सबको मिलकर अभ्युदय पूर्वक मोक्ष की प्राप्ति के लिये यत्न करना चाहिये। इससे यह भी विदित होता है कि […]

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*अगस्त्य और लोपामुद्रा संवाद*

Dr D K Garg पौराणिक कथा के अनुसार अगस्त्य ऋषि में युवा लोपामुद्रा से गांधर्व विवाह किया।इस विषय को कथाकार खूब बढ़ा चढ़ाकर इस तरह से सुनाते हैं जैसे पूरी घटना उनके सामने घटित हुई हो।और श्रोता सुनते रहते हैं ,वास्तविक संदेश ना तो कथाकार को मालूम है और ना हो श्रोता को उसकी जरूरत […]

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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,*….

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌। प्रश्न — गीता के उक्त श्लोक का अर्थ व भाव क्या है ? उत्तर– इस श्लोक को कुछ लोगों ने समझने में थोड़ी सी भूल की है। यहां श्री कृष्ण जी का कहने का तात्पर्य स्वयं को ईश्वर बताना नहीं है। उनका कहने का भाव यह […]

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महामहोपाध्याय आर्यमुनि और उनका प्रमाणिक वैदिक साहित्य’

पं. आर्यमुनि (जन्म 1862) का आर्यसमाज के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान है। आर्यसमाज की नई पीढ़ी के अधिकांश लोग इनसे परिचित नहीं है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आज उनका परिचय इस लेख में दे रहे हैं। आपका जन्म पूर्व पटियाला राज्य के रूमाणा ग्राम में सन् 1862 में हुआ था। जन्म का व […]

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