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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

ब्राह्मण शब्द के संबंध में भ्रांतियां और उनका समाधान

  डॉ विवेक आर्य ब्राह्मण शब्द को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। इनका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। ब्राह्मण शब्द को सत्य अर्थ को न समझ पाने के कारण जातिवाद को बढ़ावा मिला है। शंका 1 ब्राह्मण की परिभाषा बताये? समाधान- पढने-पढ़ाने से,चिंतन-मनन करने से, ब्रह्मचर्य, अनुशासन, […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों के प्रचार से अविद्या दूर होने सहित विद्या की प्राप्ति होती है

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी है। परमात्मा ने सब प्राणियों को स्वभाविक ज्ञान दिया है। मनुष्येतर प्राणियों को अपने माता, पिता या अन्य किसी आचार्य से पढ़ना व सीखना नहीं पड़ता। वह अपने स्वभाविक ज्ञान के सहारे अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं। इसके विपरीत मनुष्य के पास स्वाभाविक ज्ञान इस मात्रा […]

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पर्यावरण भारतीय संस्कृति

यज्ञ चिकित्सा का है चमत्कारी ज्ञान विज्ञान

  पूनम नेगी वर्तमान समय में जिस तरह से समूची दुनिया प्रदूषण की चौतरफा मार बेतरह कराह रही है; हवा-जल-मिट्टी सब विषैले हो रहे हैं; मांसाहार, फास्ट फूड, शराब, धूम्रपान के बढ़ते उपयोग के साथ अनियमित और आलस्यपूर्ण तथा तनाव-अवसाद ग्रस्त जीवनशैली के कारण समाज का बड़ा वर्ग गंभीर बीमारियों के चंगुल में फंसता जा […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक परंपरा में विवाह और चार ऋण

  भारतवर्ष में विवाह मनुष्य को पशु से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व से युक्त करने की एक विधा है। विवाह संस्कार की प्रक्रियाओं को अगर हम देखें तो पाएंगे कि वैदिक विवाह संस्कार जैसा वैज्ञानिक और व्यवहारिक विधान विश्व के किसी भी मजहब, समुदाय तथा देश की विवाह प्रथा में नहीं हैं। उदाहरण के लिए सप्तपदी […]

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भारतीय संस्कृति महत्वपूर्ण लेख

क्या है भारतीय शिक्षा की परंपरा की विशेषता

  डॉ. ओमप्रकाश पांडेय भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या काल के आधार पर विभाजित […]

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भारतीय संस्कृति

कैसे बचाई जाए विलुप्त होती कला

अमरेन्द्र सुमन दुमका, झारखंड  <img class="wp-image-95353 lazy" src="data:;base64,” alt=”” width=”380″ height=”257″ data-src=”https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?resize=380%2C257&ssl=1″ data-srcset=”https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?w=380&ssl=1 380w, https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?resize=120%2C81&ssl=1 120w” data-sizes=”(max-width: 380px) 100vw, 380px” data-recalc-dims=”1″ /> बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल (प्लास्टिक, फाइबर व अन्य मिश्रित धातुओं से निर्मित) वस्तुओं का उत्पादन और घर घर तक इनकी पहुँच से जहाँ एक ओर कुम्हार (प्रजापति) समुदाय के पुश्तैनी कारोबार को पिछले […]

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भारतीय संस्कृति

स्वाध्याय और उपासना से ही जीवन की वास्तविक उन्नति होती है

ओ३म् =========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। मनुष्य का आत्मा चेतन अनादि व नित्य पदार्थ है। मनुष्य का शरीर जड़ प्राकृतिक तत्वों से बना हुआ नाश को प्राप्त होने वाला होता है। शरीर की उन्नति मनुष्य आसन, व्यायाम, सात्विक भोजन तथा संयम आदि गुणों को धारण कर करते हैं। आत्मा की उन्नति शरीर की उन्नति […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों की श्रम व्यवस्था ही उत्तम है

  सुबोध कुमार (लेखक गौ एवं वेद विशेषज्ञ हैं।) भारतवर्ष में केवल 10 प्रतिशत ही श्रमिक ही संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। लेकिन श्रमिक संघों के प्रभाव से इन मात्र 10 प्रतिशत श्रमिकों ने भारत वर्ष की आर्थिक नस पकड़ रखी है। इन श्रमिक संघों के नेतृत्व में श्रमिकों के हितों की सुरक्षा […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

सोने से पहले मंत्र पाठ व ईश्वर से प्रार्थना

शयन से पूर्व मंत्र पाठ व ईश्वर से प्रार्थना- यां मेधां देवगणाः पितरश्चोपासते। तयामामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा॥ (यजुर्वेद (32.14) ……. तेजोऽसि तेजो मयि धेहि। वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि। बलमसि बलं मयि धेहि। ओजोऽस्योजो मयि धेहि। मन्युरसि मन्युं मयि धेहि। सहोऽसि सहो मयि धेहि॥ (यजुर्वेद 19.9) ……….. यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति। दूरङ्गमं ज्योतिषां […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक धर्म सत्य सिद्धांतों से युक्त और अंधविश्वासों से मुक्त है

ओ३म् ========== वैदिक धर्म ही मनुष्य का सत्य व यथार्थ धर्म है। इसका कारण वैदिक धर्म का ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। वेदों को हमारे ऋषि मुनियों ने सब सत्य विद्याओं का पुस्तक बताया है। वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक इसलिये है कि वेदों का प्रादुर्भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर से हुआ है। संसार […]

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