माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या: और भारत की राजनीति भारत की धर्मनिरपेक्ष राजनीति ने वेद और वैदिक संस्कृति को अछूत बनाकर रख दिया है । संविधान भी वेद की छाया से दूर रखने का हरसंभव प्रयास किया गया है। जिससे पता चलता है कि भारत की संविधान सभा में भी ऐसे लोग नहीं थे जो वेद […]
Category: भारतीय संस्कृति
प्रस्तुति – वेद प्रकाश वैदिक गोरक्षा की बात सबलोग कर रहे हैं, लेकिन जबतक गोमाता के प्रति दृष्टि पशुतावाली ही रहेगी, तब तक गोमाता की रक्षा कैसे हो सकेगी? आज भी स्कूल में बच्चे को सिखाया जाता है : “काऊ मीन्स गाय”। गाय क्या है? “The cow is a useful domestic animal.” (“गाय एक उपयोगी […]
विश्व इतिहास में सबसे पहले वर्ष 2000 बी.सी. में भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रा (इसमें वर्तमान पाकिस्तान भी शामिल है) में सिंधु घाटी सभ्यता में सीवर तंत्रा के अवशेष पाए गए। इन शौचालयों में मल को पानी द्वारा बहा दिया जाने की व्यवस्था थी। इन्हें ढंकी हुई नालियों से जोड़ा हुआ था। इस कालखंड में विश्व […]
प्रो.लल्लन प्रसाद भारतीय जीवन दर्शन में पृथ्वी को मां की संज्ञा दी गयी है। रत्नगर्भा, वसुन्धरा ही जल, वायु, जीवन की पोषक है, पेड़, पौधे जंगल, पहाड़, फल, फूल, पशु-पक्षी, धन-धान्य की जननी है, हम सबकी मां है, कौटिल्य अर्थशास्त्र में मनुष्यों से युक्त भूमि को अर्थ कहा गया है। भूमि को प्राप्त करने और […]
प्रवीण कुमार द्विवेदी सुरक्षा एक ऐसी अवस्था का नाम है जिसके रहने पर ही कोई भी कार्य सम्पादित हो सकता है। इसका तात्पर्य अच्छी प्रकार से रक्षा है। भौतिक और मानसिक दोनों अवस्थाओं की सम्यक् रक्षा ही वास्तव में सुरक्षा पद को चरितार्थ करती है। यह कार्य कठिन है; क्योंकि जो रक्षक होता है, (उसके […]
पूनम नेगी एक रोचक पौराणिक कथानक है। कहा जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में जब ब्रह्मा जी ने मनुष्य की रचना की तो धरती पर उसे अनेक अभाव, अशक्ति और कष्ट की अनुभूति हुई। पीडि़त मनुष्य पितामह ब्रह्मा के पास गये और अपनी व्यथा कही। इस पर ब्रह्माजी ने उन्हें यज्ञ करने का सुझाव […]
बलिया। ( विशेष संवाददाता ) आर्य जगत् के सुप्रसिद्ध युवा वैदिक विद्वान् एवं आर्य प्रतिनिधि सभा बलिया के प्रधान आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक के पिता श्री द्वारिका सिंह आर्य का आकस्मिक निधन 4 फरवरी 2021 दिन गुरुवार को दोपहर 1:00 हो गया था। श्री द्वारिका सिंह वेद प्रचार सेवा समिति और आर्य समाज सहतवार के […]
वैलेंटाइन डे और भारत की परंपरा
बालमुकुंद आखिर वैलंटाइन डे आ पहुंचा। यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह ल्यूपरसेलिया नामक एक प्राचीन रोमन त्योहार है, जो 14 वीं शताब्दी तक आते-आते प्रेम की अभिव्यक्ति के दिन में बदल गया। यहां वह अब इतना प्रचलित हो चला है कि संस्कृति के रक्षकों को पहरेदारी करनी पड़ती है। लेकिन भारत में […]
श्रीश देवपुजारी समाज में एक भ्रम फैलाया गया है कि संस्कृत पढऩे से छात्र अर्थार्जन नहीं कर सकता। उसे केवल शिक्षक बनना पड़ता है या पुरोहित। इस प्रकार की धारणा रखनेवालों से मेरा प्रश्न है कि जो संस्कृतेतर छात्र बीए, बीकॉम और बीएससी होते है उनके लिए कौन-सी नौकरी बाट जोह रही है? हमारे देश […]
रमेश सर्राफ धमोरा भारत सरकार का मानना है कि देश के लोगों की जरूरत पूरी करते हुये अपने पड़ोसी देशों के साथ ही दुनिया के अन्य देशों को भी कोरोना वैक्सीन दी जाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार कहते रहे हैं कि भारत अपने व्यापक वैक्सीन इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल दूसरे देशों की मदद में करेगा। […]