संत कबीर के श्राद्ध पर विचार जब संत कबीर बालक थे तथा गुरू रामानंद के आश्रम मे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब की एक घटना है :- ब्राहमण धर्म के अनुसार श्राद्ध मे कौओ को खाना खिलाने से मृत व्यक्ति की भूख शान्त हो जाती है ! अपने पिता के श्राद्ध के लिये गुरू […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
============ संसार की अधिकांश जनसंख्या ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करती है। बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि को बनाने व चलाने वाली सत्ता के होने का संकेत करते हुए उसे दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। हमारा अनुमान व विचार है कि यदि यूरोप के वैज्ञानिकों ने वेदों को […]
* 🐃🦚🤱🌏🔥🐈🌱🌳 उद्बोधन कर्ता÷पूज्य स्वामी यज्ञदेव जी। प्रस्तोता÷ आर्य सागर खारी✍✍✍ यज्ञ की क्रिया विधि, यज्ञ के लाभ, यज्ञ के प्रयोजन को लेकर असंख्य शिक्षित अशिक्षित जनों को शंका रहती हैं। कुछ लोग तो महज श्रद्धा प्रदर्शित करने के लिए यज्ञ पर श्रद्धा रखते हैं…. लेकिन वैदिक संस्कृति यज्ञ कर्मकांड आदि अनुष्ठानों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि […]
डॉ डी के गर्ग भाग-२ देव किसे कहते है ? ये भी समझना चाहिए — देवो दानाद्वा, दीपनाद्वा घोतनाद्वा, घुस्थानो भवतीति व । । : निरुक्त अ० ७ । खं० १५ दान देने से देव नाम पड़ता है । और दान कहते है अपनी चीज दुसरे के अर्थ दे देना । दीपन कहते है प्रकाश […]
डॉ डी के गर्ग कृपया अपने विचार बताये और शेयर करें । पौराणिक मान्यता : बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है. इस द्वादश ज्योतिर्लिंग विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते है। यहाँ आसपास अनेकों मंदिर हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णित है […]
✍🏻 लेखक – स्वामी दर्शनानन्द जी प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ 🔥ओ३म् व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते॥ (यजु० १९-३०) ◼️सत्य को कब जान पाता है? – इस वेदमन्त्र में परमात्मा जीवों को इस बात का उपदेश करते हैं कि जब जीव सत्य को जानने के लिए व्रत धारण करता है अर्थात् दृढ़ निश्चय […]
आज 13 सितंबर है अर्थात हमारे पूज्य पिताजी महाशय राजेंद्र सिंह आर्य जी की पुण्यतिथि। 13 सितंबर 1991 को आज ही के दिन उनका परलोक गमन हो गया था। सितंबर माह आरंभ होते ही उनकी स्मृतियां चित्त पर उभरने लगती हैं। अपने आप से ही संवाद होने लगता है। मन कभी अतीत को कुरेदता है […]
=================== – विकास आर्य परमपिता परमात्मा ने संसार का सबसे श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य को बनाया है। मनुष्य अर्थात जो मनन कर सकें जीवन में होने वाली उचित और अनुचित बातों को उत्तम व्यवहार को और सेवा भाव को जो जीवन में लेकर के आता है वास्तव में वही मनुष्य है जो सदैव दूसरे प्राणियों के […]
यस्यामतं तस्य मतं मतं यस्य न वेद सः | अविज्ञातं विजानतां विज्ञातमविजानताम् || ( केनोपनिषद २-३ ) पदार्थ — ( यस्य ) जिसका अर्थात जिस ब्रह्मज्ञानी विद्वान का ( अमतम् ) मन से उसे नहीं जान सकते , ऐसा ज्ञान है ( तस्य ) उस विद्वान का ( मतम् ) माना हुआ अर्थात यथार्थ ज्ञान […]
भंवर सिंह राजपूत जयपुर, राजस्थान भारत आज विश्व की शक्तिशाली राष्ट्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है. आर्थिक क्षेत्रों में नवाचार और नव आयाम स्थापित करते हुए प्रति व्यक्ति आय को सुदृढ़ बनाने की ओर अग्रसर है. युवा सोच ने स्टार्टअप के नए द्वार खोल दिए हैं. जिसने टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर भारत को […]