आज 21 जून है। आज के दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति के कारण सूर्य का प्रकाश अधिकतम समय के लिए पृथ्वी पर पड़ेगा ।इसलिए यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होगा। भारतवर्ष के लिए यह सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस के रूप में हमारे […]
Category: भारतीय संस्कृति
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष * संजय पंकज मनुष्य,प्रकृति,सृष्टि और परमात्मा के बीच एक निरंतरता का जो अटूट संबंध है उस संबंध को संवेदनशीलता के साथ जानने समझने और अनुभूत करने के लिए योग सबसे बड़ा माध्यम है। योग केवल कर्म का कौशल ही नहीं धर्म का यथार्थ बोध और मर्म का साक्षात्कार […]
भारतीय शिक्षा का सर्वनाश
लेखक :-आचार्य भगवान देव गुरुकुल झज्जर अंग्रेजों के भारत आने से पूर्व योरूप के किसी भी देश में इतना शिक्षा का प्रचार नहीं था जितना कि भारत वर्ष में था। भारत विद्या का भण्डार था। सार्वजनिक शिक्षा की दृष्टि से भारत सब देशों का शिरोमणि था। उस समय असंख्य ब्राह्मण प्राचार्य अपने – अपने […]
योग, प्राणायाम और शरीर के आठ चक्र
योग संसार के लिए भारत की अप्रतिम देन है। महर्षि पतंजलि ने योग की परिभाषा करते हुए कहा कि – ”योगश्चित्त वृत्ति निरोध:” चित्त की वृत्तियों का रोकना ही योग है। चित्त को यदि एक सरोवर मानें तो सरोवर में उठी हुई लहरों को चित्त की वृत्तियां मानना पड़ेगा । इस चित्त के सरोवर का एक किनारा […]
ओ३म् =========== आर्यसमाज एक वैश्विक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है। धर्म का तात्पर्य सत्याचरण एवं आत्मा की उन्नति से लिया जाता है। आत्मा की उन्नति ज्ञान व सत्य सिद्धान्तों का अध्ययन कर उनका आचरण करने से होती है। सत्य ज्ञान के मुख्य स्रोत ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान की संहितायें व उन पर वैदिक ऋषियों की टीकायें, […]
डॉ विवेक आर्य भारतीय समाज में एक नया प्रचलन देखने को मिल रहा है। इस प्रचलन को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया में अपने आपको बहुत बड़े बुद्धिजीवी के रूप में दर्शाते है। सत्य यह है कि वे होते है कॉपी पेस्टिया शूरवीर। अब एक ऐसी ही शूरवीर ने कल लिख दिया मनु ने नारी […]
ईमानदारी से जीना मँहगा शौक है। और बेईमानी सस्ता। मँहगा शौक ही पालें। क्योंकि यह सुखदायक है। बहुत से लोगों का विचार होता है कि “सस्ते में काम चलाओ।” परंतु संसार में ऐसे भी कुछ लोग होते हैं, जो “मँहगे की परवाह नहीं करते, बल्कि वे सुख को प्रधानता देते हैं।” ऐसे लोग बुद्धिमान होते […]
ओ३म् ============ समस्त वैदिक साहित्य में मनुस्मृति का गौरवपूर्ण स्थान है। मनुस्मृति के विषय में महर्षि दयानन्द जी ने अपने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में कहा है कि यह मनुस्मृति सृष्टि की आदि मे उत्पन्न हुई है। मनुस्मृति से अधिकांश वैदिक मान्यताओं का प्रकाश होता है। प्राचीन काल में विद्यमान मनुस्मृति वेदानुकूल ग्रन्थ था जो समाज के […]
डॉ. दिनेश चंद्र सिंह (आईएएस) वास्तव में, अदृश्य शत्रु कोविड-19 के वायरस, जो कि खुद को अजेय मानकर चल रहा है, के फैलाव यानी संक्रमण को रोक कर उसे नेस्तनाबूद करने में लगे राष्ट्र के अग्रणी हाथों को हर तरह से सहयोग प्रदान करने की दरकार है। किसी भी समाज व राष्ट्र के ऊपर जब […]
ओ३म् “विश्व के लिए वेदज्ञान की उपेक्षा अहितकर एवं हानिकारक” मनुष्य जीवन को संसार के वेदेतर सभी मत अद्यावधि प्रायः समझ नहीं सके हैं। यही कारण है कि यह जानते हुए कि सत्य एक है, संसार में आज के आधुनिक व उन्नत युग में भी एक नहीं अपितु सैकड़ो व सहस्राधिक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जिनकी […]