लेखक :- डॉ. ओमप्रकाश पांडेय (लेखक अन्तरिक्ष विज्ञानी हैं) भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या […]
Category: भारतीय संस्कृति
भरत झुनझुनवाला अमेरिका और भारत समेत अन्य पश्चिमी देशों द्वारा तालिबान की भर्त्सना यह कहकर की जा रही है कि उनके द्वारा वैयक्तिक स्वतंत्रता विशेषकर महिलाओं की स्वतंत्रता का आदर नहीं किया जाता है और वे लोकतंत्र के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य को नहीं मानते। नि:संदेह तालिबानी कई तरह से अपनी जनता के साथ क्रूर व्यवहार करते […]
ललित गर्ग राजनीतिक एवं साम्प्रदायिक आग्रहों एवं स्वार्थों के चलते गौ-हिंसा एवं अत्याचार को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की धर्म एवं आस्था से जुड़ी भावनाओं में अहिंसा एवं मानवीयता जरूरी है। गाय का संरक्षण पूरी तरह मानवतावादी कृत्य है, उसके साथ हिंसा स्वीकार्य नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में […]
ललित गर्ग महिला समानता दिवस 26 अगस्त को मनाया जाता है। सन 1920 में इस दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 19वां संशोधन स्वीकार किया गया था। यह दिन महिलाओं को पुरुषों के समान मानने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। न्यूजीलैंड विश्व का पहला देश है, जिसने 1893 में महिला समानता की […]
आर्य शब्द के प्रमाण
ऋग्वेद में, कृण्वन्तो विश्वमार्यम् । (ऋ. ९/६३/५) सारे संसार को ‘आर्य’ बनाओ । मनुस्मृति में, मद्य मांसा पराधेषु गाम्या पौराः न लिप्तकाः। आर्या ते च निमद्यन्ते सदार्यावर्त्त वासिनः।। वे ग्राम व नगरवासी, जो मद्य, मांस और अपराधों में लिप्त न हों तथा सदा से आर्यावर्त्त के निवासी हैं, वे ‘आर्य’ कहे जाते हैं । वाल्मीकि […]
#डॉविवेकआर्य हिन्दू समाज में शिवजी भगवान को कैलाशपति, नीलकंठ आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। नीचे एक चित्र दिया गया है। जिसमें पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी भांग का सेवन करते हुए दिखाए गए है। वेदों में शिव ईश्वर का एक नाम है जिसका अर्थ कल्याणकारी है एवं एक नाम रूद्र है जिसका […]
RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद … पढ़ो और सोचो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारत माता के प्रति भावना क्या है🚩 1)नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्।🚩 हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है।🚩 2)महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो […]
सन्ध्या और अग्निहोत्र: बाल्मीकि रामायण से विदित होता है कि उस काल में आर्यों की उपासना सन्ध्या के रुप में होती थी।जप, प्राणायाम तथा, अग्निहोत्र के भी विपुल उल्लेख मिलते हैं। पौराणिक मूर्तिपूजा, व्रत, तीर्थ, नामस्मरण या कीर्तन रुप में धार्मिक कृत्य का वर्णन मूलतः नहीं है। क्षणिक उल्लेख जो इस सम्बन्ध में मिलते […]
ललित गर्ग वर्षा ऋतु के चार महीने व्रत, भक्ति एवं धर्माराधना के लिये निर्धारित है, जिसे ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है। हमारे यहां मुख्य रूप से तीन ऋतुएँ होती हैं- ग्रीष्म, वर्षा और शरद। वर्ष के बारह महीनों को इनमें बॉंट दें, तो प्रत्येक ऋतु […]
“वेद आदि शास्त्रों में बताया है, कि माता-पिता और गुरु, ये तीन उत्तम शिक्षक महान् उपकारी होते हैं। इनको धोखा देना तो महापाप है।” वैसे तो किसी को भी धोखा देना अपराध ही है, लेकिन जो जितना महान व्यक्ति होता है, जितना अधिक दूसरों का उपकार करता है, उसको धोखा देने का पाप उतना ही […]