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भारतीय संस्कृति

पाइथागोरस प्रमेय नहीं बौधायन प्रमेय कहिए

सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी प्रखंड के बनगाँव में उत्सवी माहौल है।कोरोना-संक्रमण के नये वैरिएंट ओमिक्रोन के फैलाव की आशंकाओं के बीच ग्रामीण भगवान बौधायन की जयंती 31 दिसम्बर को मनाने जा रहे हैं।भगवान के तौर पर इस गाँव में नित्य पूजनीय बौधायन असल में महर्षि अथवा गणितज्ञ है।इन्होंने रेखागणित का सूत्रपात किया है पर दुर्भाग्य […]

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स्वास्तिक चिन्ह वास्तव में ओम का प्राचीन स्वरूप है

लेखक :- आचार्य विरजानन्द दैवकरणि पुस्तक :- भारत के प्राचीन मुद्रांक प्रस्तुतकर्ता :- अमित सिवाहा भारत की धार्मिक परम्परा में स्वस्तिक चिह्न का अङ्कन अत्यन्त प्राचीनकाल से चला आ रहा है । भारत के प्राचीन सिक्कों , मोहरों , बर्तनों और भवनों पर यह चिह्न बहुशः और बहुधा पाया जाता है । भारत के प्राचीनतम […]

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भारतीय संस्कृति

हिंदू परिवारों में माता पिता अपने बच्चों को ही क्यों नहीं बता रहे अपने संस्कारों के बारे में ?

मारिया वर्थ स्वामी विवेकानंद ने कहा था, कि हिंदू धर्म छोडने वाला हर व्यक्ति ना सिर्फ हिंदू की संख्या एक से कम करता है, बल्कि दुश्मनों की संख्या एक से बढ़ाता है। हठधर्मी क्रिश्चियनिटी के दम घुटनेवाले माहौल में पली हुई एक महिला के विचार, जो हिंदू धर्म की लचीली स्वतंत्रता और ताजापन को सहारती […]

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धर्म और आधात्म की सरिता बहाती सप्तपुरी नगरियाँ

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्तपुरी के शहर सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के बावजूद भारत की एकता को दर्शाते हैं। ये शहर हमारे देवताओं और अवतारों की जन्म भूमि रही हैं। इन शहरों में धर्म और आध्यात्म की सरिता बहती हैं और श्रद्धालु इनकी यात्रा कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। सप्तपुरी […]

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सेकुलर का अर्थ पंथनिरपेक्षता है, धर्मनिरपेक्षता नहीं

भारत ने अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार देकर उनको सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय देने का प्रयास किया है। भारत की पंथनिरपेक्षता की नीति प्राचीन काल से रही है। पंथनिरपेक्षता का अभिप्राय है कि कानून के सामने जाति पंथ संप्रदाय को नहीं देखा जाएगा बल्कि व्यक्ति को नैसर्गिक न्याय देने का हर संभव प्रयास किया […]

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हम अपने महापुरुषों के निर्वाण दिवस को नहीं मनाते शोक के रूप में

उगता भारत ब्यूरो ईसाइयों का एक त्योहार है, गुड फ्राइडे। फ्राइडे से पहले गुड सुनकर ऐसा लगता है जैसे ये कोई खुशी का त्योहार है, जबकि ऐसा नहीं है। इस दिन ईसाई शोक मनाते हैं। ईसा मसीह की मृत्यु का शोक। बाइबिल के अनुसार इसी दिन ईसा मसीह को 6 घण्टे तक क्रूस पर लटकाया […]

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वंदे मातरम सबसे पहले किसने गाया था …?

पुलकित भारद्वाज वंदे मातरम को खरा सोना कहने वाले गांधी के लिए बाद में यह गीत मिट्टी जैसा क्यों हो गया था? बंकिम चंद्र चटर्जी के वंदे मातरम को गांधी, नेहरू और टैगोर ने शुद्ध राष्ट्रवाद से जोड़ा था तो दूसरी ओर जिन्ना इसे हिंदूवादी गीत मानते थे यह किस्सा 1770 और इसके इर्द-गिर्द के […]

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बहुत ही रोचक ढंग से पढ़ाया जाता था प्राचीन भारत में गणित

उगता भारत ब्यूरो गणित शास्त्र की परम्परा भारत में बहुत प्राचीन काल से ही रही है। गणित के महत्व को प्रतिपादित करने वाला एक श्लोक प्राचीन काल से प्रचलित है। यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्‌।। (याजुष ज्योतिषम) अर्थात्‌ जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि सबसे ऊपर रहती […]

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कृष्ण जी भारतीय संस्कृति की अबूझ पहेली है, जिन पर आने वाली पीढ़ियां नाज करती रहेंगी

ओशो कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत अनूठा है। अनूठेपन की पहली बात तो यह है कि कृष्ण हुए तो अतीत में, लेकिन हैं भविष्य के। अभी भी कृष्ण मनुष्य की समझ से बाहर हैं। भविष्य में ही यह संभव हो पाएगा कि कृष्ण को हम समझ पाएं। इसके कुछ कारण हैं। सबसे बड़ा कारण तो यह […]

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अंतिम ऋण चिता की लकड़ी…

क्या आप जानते हैं मृत्यु के बाद भी कुछ ऋण होते हैं जो मनुष्य का पीछा करते रहते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में पांच प्रकार के ऋण बताए गए हैं देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण, भूत ऋण और लोक ऋण। इनमें से प्रथम चार ऋण तो मनुष्य के इस जन्म के कर्म के आधार […]

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