============ सृष्टि का आरम्भ सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर से सभी प्राणियों की अमैथुनी सृष्टि के द्वारा हुआ था। सृष्टि के आरम्भ में मनुष्य को भाषा व ज्ञान भी परमात्मा से ही मिला। वैदिक संस्कृत भाषा सृष्टि की परमात्मा प्रदत्त आदि भाषा है तथा वेद ज्ञान मनुष्यों को परमात्मा से प्राप्त हुआ प्राचीनतम ज्ञान है। संसार […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
============ मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को ग्रहण करने से बनता है। विश्व में अनेक मत, सम्प्रदाय आदि हैं। इन मतों के अनुयायी हिन्दू, ईसाई, मुसलमान, आर्य, बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी आदि अनेक नामों से जाने जाते हैं। मनुष्य जाति को अंग्रेजी में भ्नउंद कहा जाता है। यह जितने मत व सम्प्रदायों के लोग […]
डॉ डी के गर्ग विशेषकर गुरु पूर्णिमा के दिन हिन्दू समाज में तथाकथित गुरु लोगों की लॉटरी लग जाती हैं। सभी तथाकथित गुरुओं के चेले अपने अपने गुरुओं के मठों, आश्रमों, गद्दियों पर पहुँच कर उनके दर्शन करने की हौड़ में लग जाते हैं। खूब दान, मान एकत्र हो जाता हैं। ऐसा लगता हैं की […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी उत्तर भारत के अवध प्रान्त (उत्तर प्रदेश) के अयोध्या धाम से कुछ ही किमी की दूरी पर गोंडा नामक एक अत्यन्त पिछड़े जिले में यह पावन भूमि स्थित है। स्वामी नरायन छपिया, गोंडा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूरी पर मनकापुर तहसील में पड़ता है। यहां स्वामी नरायन मंदिर प्रशासन यात्रियों […]
डॉ डी के गर्ग गणेश को लेकर अनेकों नाम प्रचलित है जैसे की गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, गौरीनंदन, गौरीपुत्र, गणधिपति, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति, शुभकर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता,महागणपति आदि। ये सभी नाम एक दुसरे के पर्याय हो सकते है और नहीं भी । लेकिन गणेश के वास्तविक स्वरूप और स्तुति को लेकर जितनी भ्रांतिया है भ्रांतिया भारतीय […]
ओ३म् भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्। ओ३म् -हे सर्व रक्षक परमेश्वर आप मेरी रक्षा कर रहे हो आपकी रक्षा से ही सुरक्षित हूँ कृपा मेरी रक्षा करते रहो। भू -आप प्राण को देने वाले हो भव- दुख दुर करने वाले स्व- सुखों व आनन्द को देने वाले हो तत् – […]
============= आश्विन मास का कृष्ण पक्ष मृत पितरों का श्राद्ध कर्म करने के लिए प्रसिद्ध सा हो गया है। इन दिनों पौराणिक नाना प्रकार के नियमों का पालन करते हैं। अनेक पुरुष दाढ़ी नहीं काटते, बाल नहीं कटाते, नये कपड़े नहीं खरीदते व सिलाते, यहां तक की विवाह आदि का कोई भी शुभ कार्य नहीं […]
* डॉ डी के गर्ग विवाह पूर्व जन्म पत्री मिलाने का रिवाज सिर्फ भारत में ही है ,आज भी पढ़ी लिखी जनता अनपढ़ पंडितों के जाल से बहार नहीं निकल पाती है ,ये पंडित जन्म तिथि और समय देखकर ये तो बता देते है की कुल ३६ में २४ गुण मिल गए लेकिन ये कभी […]
समग्र पर्यटन का केंद्र है मध्यप्रदेश – लोकेन्द्र सिंह भारत का ह्रदय ‘मध्यप्रदेश’ अपनी नैसर्गिक सुन्दरता, आध्यात्मिक ऊर्जा और समृद्ध विरासत के चलते सदियों से यात्रियों को आकर्षित करता रहा है। आत्मा को सुख देनेवाली प्रकृति, गौरव की अनुभूति करानेवाली धरोहर, रोमांच बढ़ानेवाला वन्य जीवन और विश्वास जगानेवाला अध्यात्म, इन सबका मेल मध्यप्रदेश को भारत […]
#डॉविवेकआर्य वेदों के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों में से एक यह भी है कि वे ब्राह्मणवादी ग्रंथ हैं और शूद्रों के साथ अन्याय करते हैं | हिन्दू/सनातन/वैदिक धर्म का मुखौटा बने जातिवाद की जड़ भी वेदों में बताई जा रही है और इन्हीं विषैले विचारों पर दलित आन्दोलन इस देश में चलाया जा रहा […]