भारत का आध्यात्मिक शिक्षा संस्कार “सन्तानों को उत्तम विद्या, शिक्षा, गुण, कर्म्म और स्वभावरूप आभूषणों का धारण कराना माता, पिता, आचार्य्य और सम्बन्धियों का मुख्य कर्म है।” महर्षि दयानंद अपने इस पवित्र वचन के साथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के तृतीय समुल्लास का शुभारंभ करते हैं । हम सभी भली प्रकार यह जानते हैं कि भारत ज्ञान […]
Category: भारतीय संस्कृति
गर्भाधान संस्कार का महत्व प्राचीन भारत में संतानोत्पत्ति कोई खेल खेल में किया गया कार्य नहीं होता था, अपितु इस क्रिया को इस प्रकार संपन्न किया जाता था कि जैसे यह माता-पिता का विशेष और सबसे पवित्र कर्तव्य हो। जिसके निर्वाह के माध्यम से समाज और संसार को उत्तम संतान देकर वे एक महान ऋण […]
शिक्षा संस्कार और सत्यार्थ प्रकाश महर्षि दयानंद जी महाराज ने आर्यों के गौरवपूर्ण अतीत को ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के प्रत्येक पृष्ठ पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । उनका यह प्रयास उज्ज्वल भारत के उज्ज्वल भविष्य की स्वर्णिम योजना का एक खाका माना जाना चाहिए। उन्होंने अतीत को वर्तमान के मंच पर प्रस्तुत कर भविष्य […]
*जीवन में गुरु की महत्ता*
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान पूज्य तथा पावन समझा जाता है। कानों में गुरु शब्द के पड़ते ही अंत:करण में एक विशाल व्यक्तित्वमयी मूर्ति अंकित हो जाती है और हृदय से श्रद्धा भक्ति ओर अनुराग की वह रसयुक्त त्रिवेणी प्रवाहित हो उठती है, जो संपूर्ण बुराइयों को धोकर हृदय में अपूर्व शांति को भर […]
इतिहासकारों को देना चाहिए ध्यान महर्षि दयानंद जी महाराज सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में कुछ अन्य शब्दों की भी परिभाषा करते हैं। जिसमें उन्होंने ईश्वर के 100 नामों को व्याख्यायित किया है। इसके माध्यम से स्वामी जी महाराज हमारी कई प्रकार की भ्रांतियों का समाधान कर देते हैं। जिन्हें वर्तमान समय में इतिहासकारों को […]
ईश्वर के 100 नामों की व्याख्या आजकल के प्रचलित इतिहास के लेखन कार्य में लगे ऐसे अधिकांश इतिहासकार हैं जिन्होंने वेदों और आर्ष ग्रंथों के मनमाने अर्थ किए हैं। कितने ही इतिहासकार हैं जो वेदों में इतिहास मानते हैं। यही कारण है कि ऐसे इतिहासकार वेदों के शब्दों , सूक्तियों या मंत्रों का मनमाना अर्थ […]
लेखकीय निवेदन यदि कोई मुझसे यह पूछे कि भारत के क्रांतिकारी आंदोलन का आधार बनने वाला क्रांतिकारी ग्रंथ कौन सा है ? तो मेरा उत्तर होगा कि वह ग्रंथ स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा कृत सत्यार्थ प्रकाश है। यदि कोई मुझसे यह पूछे कि भारत की सांस्कृतिक चेतना को जागृत कर भारतीयों के भीतर “स्व” […]
अभिषेक जिन 5 राज्य के आदिवासी खुद को सरना धर्म के बता रहे हैं, उनकी तादाद ज्यादा जरूर है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी आदिवासी खुद को सरना धर्म के मानते हैं। दरअसल, इस धर्म के मानने वाले प्रकृति के उपासक होते हैं। ये ईश्वर या मूर्ति की पूजा नहीं करते हैं। सरना धर्म […]
उगता भारत ब्यूरो ‘रश्मिरथी’ रामधारी सिंह दिनकर का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है. इसमें 7 सर्ग हैं और यह 1952 में प्रकाशित हुआ था। ‘रश्मिरथी’ रामधारी सिंह दिनकर का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है I इसमें 7 सर्ग हैं और यह 1952 में प्रकाशित हुआ था। जब भगवान कृष्ण पाण्डवों का दूत बनकर कौरवों के पास जाते हैं और […]
ब्रिटेन एवं अन्य विकसित देशों में शादियों के पवित्र बंधन टूटने की घटनाएं बहुत बड़ी मात्रा में हो रही हैं, तलाक की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए ब्रिटेन की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती मार्ग्रेट थेचर ने एक बार कहा था कि क्यों न ब्रिटेन भी भारतीय विवाह मूल्यों को अपना ले क्योंकि […]