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भारतीय संस्कृति

राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है नागरिकों का चरित्र उत्थान

शिवेश प्रताप मोहन भागवत जी का आज का विजयादशमी उद्बोधन भारतीय समाज और राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक संदेश था। एक मजबूत नागरिक चरित्र से ही एक मजबूत राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण होता है। अपने वक्तव्य ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और समसामयिक संदर्भों के माध्यम से उन्होंने समाज और राष्ट्र के उत्थान में […]

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धर्म और संस्कृति का रक्षक: सत्यार्थ प्रकाश

स्व० स्वामी वेदानन्द ‘वेदतीर्थ’ ने देश विभाजन से पूर्व मुलतान (अब पाकिस्तान में) की आर्यसमाज में उपदेश देते हुए सत्यार्थ प्रकाश की गरिमा एवं महत्ता विषयक् रोचक संस्मरण सुनाया था, जो इस प्रकार है- “मैं एक बार हरिद्वार के मायापुर क्षेत्र में घूम रहा था। मैंने देखा कि कुछ सनातनी साधु ‘सत्यार्थ प्रकाश’ लेकर आ […]

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महादेव शिव मंदिर पतिजिया बुजुर्ग,दरियापुर, छपिया

फोटो प्रतीकात्मक आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी छपिया रेलवे स्टेशन से पूरब पतिजिया बुजुर्ग नामक गांव स्थित है। यहां शंकर जी एक महत्त्व पूर्ण प्रसादी वाला मंदिर बना हुआ है। यहां धर्मपिता सपरिवार घनश्याम महाराज के साथ आते थे। उसी समय एक बार मंदिर के शिव लिंग से भोले नाथ प्रकट होकर घनश्याम महाराज से मिले […]

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स्वामी नारायण छपिया के पूर्वज सती जीवराणी देवी की समाधि (छतरी)

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी छतरी का आशय छतरी का आशय मृत्यु-स्मारक/समाधि से होता है । यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है- एक छोटे आकार की छतरी और दूसरा उससे थोड़ी विशाल और एक श्रेणी ऊपर देवल या मंदिर के रुप आकर की संरचना। देवल अति-महत्वपूर्ण व्यक्तियों योद्धाओं और लोक-देवी – देवताओं की स्मृति में […]

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वेदों में मनोवैज्ञानिक रोगों का निदान

#डॉविवेकआर्य, शिशु रोग विशेषज्ञ, दिल्ली आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है। कुछ वर्षों पहले तक शारीरिक रोगों की शिक्षा ग्रहण करने में चिकित्सकों का ध्यान अधिक था जबकि वर्तमान में स्थिति बदल रही है। शारीरिक रोगों के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य संबधित बीमारियों से मनुष्य पीड़ित दिख रहा हैं। जैसे जैसे मनुष्य आर्थिक रूप से […]

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मखौड़ा घाट : राम और घनश्याम दोनों से जुडा आख्यान

आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी मनोरमा नदी का प्राकट्य राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ से पहले मखौड़ा में कोई नदी नहीं थी। शृंगी ऋषि ने सरस्वती का आह्वान मनोरामा के नाम से किया था। नचिकेता पुराण में कहा गया है कि, ‘अन्य क्षेत्रे कृतं पापं, काशी क्षेत्रे विनश्यति। काशी क्षेत्रे कृतं पापं, प्रयाग क्षेत्रे विनश्यति। प्रयाग […]

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तिरुपति का मंदिर — साक्षात् शरीरधारी ईश्वर का निवास या निराकार ईश्वर की आराधना हेतु एक उत्तम स्थल – विश्लेषण

-डॉ० डी के गर्ग पौराणिक मान्यता: तिरुपति मंदिर तिरुमाला की पहाड़ियों पर है जो कि अत्यंत रमणीक स्थल है। तिरुपति से तिरुमलै जाने के लिये दुर्गम मार्ग होने के कारण 1942 ई० में देवस्थानम्‌ ने सड़क मार्ग का निर्माण कराया था। 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका […]

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*सोमनाथ मंदिर –एक विवेचना*

डॉ डी के गर्ग कृपया अपने विचार बताए। पौराणिक मान्यता : -कुछ लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का बहुत महत्त्व है।सोमनाथ मन्दिर भारतवर्ष के पश्चिमी छोर पर गुजरात नामक राज्य में स्थित, अत्यन्त प्राचीन शिव मन्दिर का नाम है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग […]

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*15 शक्ति पीठ और शक्ति पूजा*

DR D K GARG अधिकांश हिन्दू मंदिरों को शक्ति पीठ और देवियों को शक्ति पूजा के नाम पर प्रसिद्ध किया गया है। ये शक्ति पीठ क्या है और शक्ति पूजा क्या है इसको समझना जरूरी है। पौराणिक मान्यता- शक्ति पीठ मे देवी देवताओं का वास है, शक्तिपीठ, देवीपीठ या सिद्धपीठ से उन स्थानों का ज्ञान […]

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स्वामीनारायण छपिया मंदिर परिसर के बाहर के प्रसादी स्थल

8.कल्याण सागर,नारेचा छपिया कल्याण सागर तालाब छपिया मंदिर से एक किमी दूर नरेचा गांव के पश्चिम दिशा में स्थित है। यहाँ पर प्रसादी की छतरी स्थित है। इस कल्याण सागर के जल में घन श्याम महराज के वचनामृत से मृत शरीर को तैरते छोड़ देने पर जीवन दान मिला था। प्राचीन समय में राजा नरेचा […]

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