कृष्ण कान्त वैदिक, देहरादून महर्षि के अनुसार ‘‘जो ज्ञानादि गुणवाले का यथायोग्य सत्कार करना है उसको पूजा कहते हैं।’ परमेश्वर की पूजा की क्या विधि हो सकती है? वेद कहता है कि परमात्मा आत्मिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक आदि बलों का देने वाला है। इसी कारण से सकल देव एवं समस्त विश्व उसकी उपासना-पूजा- सेवा सत्कार, […]
Category: भारतीय संस्कृति
कश्मीरी रामायण:रामावतारचारित
डाo शिबन कृष्ण रैणा कश्मीरी भाषा में रचित रामायणों की संख्या लगभग सात है। इनमें से सर्वाधिक लोकप्रिय ‘‘रामवतरचरित“ है। इसका रचनाकाल 1847 के आसपास माना जाता है और इसके रचयिता कुर्यग्राम/कश्मीर निवासी श्री प्रकाशराम हैं। सन् 1965 में जम्मू व कश्मीर प्रदेश की कल्चरल (साहित्य) अकादमी ने ‘रामावतारचरित’ को ‘लवकुश-चरित’ समेत एक ही जिल्द […]
विष्णु आख्यान*. भाग – 2
विष्णु आख्यान. पार्ट/ 2 Dr D K Garg कृपया अपने विचार व्यक्त करे और अन्य ग्रुप में फॉरवर्ड करें क्षीर सागर:,पांच फन वाला शेषनाग , विष्णू के लक्ष्मी जी पैर दबाती हुई का विश्लेषण जैसा कि आप जानते है ईश्वर को ओम मुख्य नाम के अतिरिक्त उसने हजारों कार्यों के कारण हजारों नाम से जाना […]
विष्णु आख्यान*. भाग/ 1
विष्णु आख्यान. पार्ट/ 1 Dr D K Garg कृपया अपने विचार व्यक्त करे और अन्य ग्रुप में फॉरवर्ड करें विष्णू को लेकर पुराणों और पोराणिको में बहुत भ्रांति है , तरह तरह की कथाएं प्रचलित है,अच्छी खासी तुकबंदी है,कही विष्णु को सर्वुव्यापी ईश्वर बताया गया है तो इन्ही कथायो में विष्णू को शरीरधारी मानव के […]
कल्पसंवत का प्रचलन अनुचित है। केवल सृष्टि संवत ही प्रामाणिक है। वेद उत्पत्ति संवत की अवधारणा गलत है। भारतवर्ष पर महर्षि दयानंद का इतना ऋण है कि हम सदियों तक नहीं चुका सकते। अगर मैं यह कहूं कि आर्य समाज के लोगों पर तो स्वामी दयानंद के विशेष ऋण हैं, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं […]
गतांक से आगे क्रमशः केवल वही साथी पढ़ें जो अपनी बुद्धि कौशल, ज्ञान बल , चातुर्य एवं तर्कशक्ति को समृद्ध करना चाहते हैं। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। वेद अपौरुषेय हैं। वेदों में नदियों पहाड़ों राजाओं के नाम नहीं हैं। वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है। वेदों में किसी भी राजा की […]
(नववर्ष-विशेष) अपने आईपीएस बेटे मनुमुक्त ‘मानव’ की असमय मृत्यु उपरांत दुनिया-भर के युवाओं में मनु के अक्स को देखते हुए, उन्हें ट्रस्ट के माध्यम से पुरस्कार प्रदान कर, आगे बढ़ने के हेतु प्रेरित करते हैं ट्रस्टी कांता भारती और चीफ ट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’।यह संभवतः दुनिया का एकमात्र ट्रस्ट है, जिसे बेटे की स्मृति में […]
वेदों की अलंकारिक भाषा का अनुचित अध्ययन, अनुशीलन, परिशीलन एवं विश्लेषण राजाओं और नदियों आदि के वर्णन जो वेद में आए हैं वह सभी अलंकारिक हैं। यथा वेदों में अनार्यों में वृत्र ,दनु ,सुश्न, शम्बर, बंगृद, बली, नमुचि, मृगय, अर्बुद प्रधान रूप से लिखे गए हैं। दनु के वंशीधर दानव थे जिनका कई स्थानों में […]
वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ है। वेद अपौरुषेय है। वेदों में नदियों ,पहाड़ों, राजाओं के नाम नहीं है। वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है। वेदों में किसी भी राजा की वंशावली नहीं है। वेदों की भाषा अलंकारिक है जिसको पुराणकारों ने वास्तविक संदर्भ और उचित में ना लेकर अनर्थ किया है और इतिहास […]
*मालवा में शैव परंपरा**
आकिशे तारकं लिंगं पताले हाटकेश्वरम। भूलोके च महाकालो लिंग्गनय नमोस्तुते।। मालवा में शैव परंपरा को जानने, पहचानने और समझने के लिए हमें पौराणिक रहस्यों के अनुशीलन की आवश्यकता है। क्योंकि शैव परंपरा हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है और हिंदू धर्म की आधारशिला वेद और पुराण हैं। विश्व वांग्मय में वेदों और पुराणों का स्थान […]