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भारतीय संस्कृति

रुद्रांश हनुमानजी द्वारा रुद्रांश सूर्य देव को निगलना

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी पृथ्वी से 28 लाख गुना भगवान सूर्य देव का आकार है। क्या पता श्याम मानव जैसे कोई तथाकथित वैज्ञानिक ,यूपी के स्वामी प्रसाद मौर्या जैसा दलित समाजवादी पार्टी का एमएलसी और बिहार के शिक्षा मंत्री सेकुलर चंद्रशेखर से लेकर ना जाने कोई नास्तिक ,वामी कामी ,या गैर राष्ट्रवादी नेता भगवान सूर्य […]

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भारतीय संस्कृति

आर्य समाज का प्रचार कैसे हो*? *आर्य समाज में भीड़ इकट्ठी क्यों नहीं होती*?

लेखक- स्वर्गीय डॉक्टर धर्मवीर जी। प्रस्तुतकर्ता -आर्य सागर खारी, गांव तिलपता ग्रेटर नोएडा 🖋️ हर आर्य समाजी को एक चिंता सताती है कि आर्य समाज का प्रचार प्रसार कैसे हो। अलग-अलग लोग अपनी- अपनी सम्मति देते हैं। सबसे पहले वह लोग हैं जो लोगों को आकर्षित करने के लिए लोक रंजक उपायों को अपनाने का […]

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शिव आख्यान* भाग 4

शिव आख्यान डॉ डी के गर्ग भाग- 4 ये लेख दस भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये कुछ अलंकारिक शब्दावली गंगा शिव की पुत्री : हिमालय पर्वत से निकलने वाली एक नदी का नामकरण गंगा के […]

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हिंदू_धर्म_बचना_ही_चाहिए

साभार…#हिंदूधर्मबचनाहीचाहिए इसलिए कि अगर ये बचेगा तो उसके साथ बचेगी प्रकृति उसके साथ बचेगा अरण्य उसके साथ बचेंगी ईश्वर की बनाई हुई सारी कृतियाँ जो जीवजंतु जलचर और नभचर के रूप में हमारे चारों ओर हैं लेकिन यक्ष प्रश्न है इस धर्म को बचाएगा कौन,कौन इस धर्म को शाश्वत मूल्यों के संग जियेगा,कौन करेगा उन […]

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धर्म और सनातन धर्म*

Dr DK Garg भाग 4 धर्म और पंथ में अंतर् : धर्म संस्कृत भाषा का शब्द हैं जोकि धारण करने वाली धृ धातु से बना हैं। “धार्यते इति धर्म:” अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म हैं। अथवा लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन […]

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मैहर बड़ा अखाड़ा के विविध मन्दिर

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी मैहर में शारदा माँ का प्रसिद्ध मन्दिर है जो नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक […]

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सहचर- सखी – सखाओं और भक्तों ने बनाया रामसखा सम्प्रदाय

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी ए सब सखा सुनहु मुनि मेरे। भए समर सागर कहँ बेरे।। मम हित लागि जन्म इन्ह हारे। भरतहु ते मोहि अधिक पिआरे।। (राम चरित मानस) अपने सहचर सखी सखाओं और भक्तों की प्रशंसा करते हुए श्रीरामजी गुरुदेव वशिष्ठजी से उक्त बचन कहे थे। धर्म ग्रंथ भक्तमाल के बीसवें छ्न्द में कवि […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति: आत्मा का ब्रह्मरंध्र और कर्म चक्र से संबंध

बहुत सुना है आपने क्या लेकर तू आया जग में क्या लेकर तू जाएगा ? उपरोक्त के अतिरिक्त सुना है कि न कुछ लेकर के आए ना कुछ लेकर जाना। खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है। क्या यह कहना सत्य है? हम ले करके आते भी हैं और लेकर के जाते भी हैं। […]

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पंच एवं पंचायत की भारतीय परंपरा

ऋषिराज नागर (एडवोकेट) हमारे देश में पंच को परमेश्वर मानते हैं। पंच भी वही कहलाता है जो न्याय पूर्वक फैसला करता है,आज के आधुनिक युग में पंच – पंचायत का वैज्ञानिक प्रभाव काफी कम होता जा रहा है। जैसे परमपिता परमेश्वर अपनी व्यवस्था में प्रत्येक प्राणी के साथ न्याय करते हुए उसे उसके कर्मों का […]

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भारतीय संस्कृति सैर सपाटा

राजस्थान की कलात्मक विरासत को सहेजती महिलाएं

शेफाली मार्टिन्स जयपुर, राजस्थान राजस्थान के विभिन्न हस्तशिल्प कलाओं में लाख की चूड़ियां अन्य आभूषणों से बहुत पहले से मौजूद थी. वैदिक युग की यह ऐतिहासिक विरासत कला पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन व्यापारियों और कारीगरों के हाथों से चली आ रही है जो निर्माण से लेकर बिक्री तक की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग हैं. इसके विभिन्न […]

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