मेरा यह लेख अपने पूज्य भ्राता जी,उपनिषदों के ज्ञाता और वैदिक मूल्यों के प्रति समर्पित होकर जीवन जीने वाले प्रो0 विजेन्द्र सिंह आर्य जी के प्रति समर्पित है । जिनका विगत 1 नवंबर 2024 को देहांत हो गया था। मृत्यु से सही 2 दिन पूर्व जब मैं अपने अनुज डॉ राकेश के साथ उनसे मिला […]
Category: भारतीय संस्कृति
भारत के प्रमुख स्वामीनारायण मंदिर
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी उत्तर प्रदेश में अयोध्या के निकट स्थित छपिया स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रर्वतक घनश्याम महाराज की जन्म और बचपन की कर्मस्थली है। यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा (कार्तिक और चैत्र मास की पूर्णिमा) पर यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें हर साल दुनिया के हर हिस्से से लाखों […]
आर्य समाज ये नहीं मानता कि श्रीकृष्ण जी माखनचोर थे, गौएँ चुराते थे, गोपियों संग रास रचाते थे, राधा संग प्रेम प्रसंग में लिप्त थे, कुब्जा दासी से समागम किए थे, ईश्वर का अवतार थे । बल्कि ये मानता है कि वे जन्म से लेकर ४८ वर्ष तक ब्रह्मचारी थे, केवल एक रुक्मणी से विवाह […]
—विनय कुमार विनायक सनातन धर्म के सारे पंथ मत की अच्छाई को धारण करके मानवता बचाई जा सकती विश्व में सच्चाई लाई जा सकती हिन्दू धर्म की खासियत है नारी को देवी माता समझी जाती छोटी कन्याओं का पूजन कर नारी को मातृ रुप मानी जाती सनातनी होके नारी को बलात्कार हत्या से बचाई जा […]
कर्मफल व पुनर्जन्म ये रुपाणि प्रतिमुञ्चमाना असुराः सन्तः स्वधया चरन्ति । परापुरो निपुरो ये भरन्त्यग्निष्टाँल्लोकात् प्रणुदात्यस्मात् ।। -(यजु० २/३०) अर्थ:- जो दुष्ट मनुष्य अपने मन, वचन और शरीर से झूठे आचरण करते हुए अन्याय से अन्य प्राणियों को पीड़ा देकर अपने सुख के लिए दूसरों के पदार्थों को ग्रहण कर लेते हैं, ईश्वर उनको दुःखयुक्त […]
============= हम इस संसार के पृथिवी नाम के एक ग्रह पर जन्में हैं, यहीं पले व बढ़े हैं तथा इसी में हमारी जीवन लीला समाप्त होनी है। हमारी यह सृष्टि आदि काल में, जिसे काल गणना के आधार पर 1 अरब 96 करोड़ 08 लाख 53 हजार 124 वर्ष पुराना माना जाता है, उत्पन्न हुई […]
वेदो में रात्रि का वर्णन: मेरे द्वारा काव्य मय प्रस्तुति हे पुरुत्रा रात्रि ! तुम्हारा पालन,पूरण व त्राण रुप निसंदेह स्तुत्य है नक्षत्ररुप नेत्रो से देखती हमें जैसे एक माता अपने बच्चों का ध्यान रखती है हमारे थके हुऐ शरीर को सुबह सोकर उठने पर तरोताजा अनुभव जो कराती है। हे अमर्त्या रात्रि ! तुम्हारा […]
आचार्य डा. राधेश्याम द्विवेदी फोटो प्रतीकात्मक पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के महान शिक्षाविद राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित स्मृतिशेष माननीय डा. मुनिलाल उपाध्याय ‘ सरस’ कृत : “बस्ती के छन्दकार” शोध ग्रन्थ के आधार पर यह विश्लेषण तैयार किया गया है। उनके शोध प्रबंध के अनुसार बस्ती मंडल ( बस्ती , सिद्धार्थ नगर और सन्त कबीर […]
वेदों में ‘भारत’ शब्द (चारों वेदों में ढूंढ़ने पर ‘भारत’ शब्द कुल छः मन्त्रों में प्राप्त हुआ है।) जब भी कोई विषय विशेष रुप से चर्चा में आता है। तब मैं उससे सम्बन्धित कोई भी शब्द या बात वेद में है क्या यह देखता हूँ। जैसे कि अभी हमारे देश का नाम भारत है या […]
============= परमात्मा ने मनुष्य की जीवात्मा को मानव शरीर में किसी विशेष प्रयोजन से दिया है। पहला कारण है कि हमें अपना-अपना मानव शरीर व मानव जीवन अपने पूर्वजन्मों के कर्मों के आधार पर आत्मा की उन्नति व दुःखों की निवृत्ति के लिये मिला है। आत्मा की उन्नति के लिये जीवन में ज्ञान की प्राप्ति […]