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भारतीय संस्कृति

वैदिक सृष्टि संवत और वैदिक चिंतन

आप व आपके परिवार को वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2081 अर्थात् 9 अप्रैल 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं! प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति तं चिकित्वान्प्रतिगृह्या नि धत्ते। तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचते सुवीर:।। -ऋ० १/१२५/१ Bhavarth:- The learned hero who is in the habit of getting up early in the morning, enjoys and […]

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सनातन का संदेश देता है भारतीय नव वर्ष

डॉ. वन्दना सेन अंगे्रजी नव वर्ष के बढ़ते प्रभाव के बीच राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर भारतीय नागरिकों को सचेत करते हुए लिखते हैं कि ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं। इन पंक्तियों का आशय पूरी तरह से स्पष्ट […]

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भारत में वर्षप्रतिपदा हिंदू कालगणना के वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मनाई जाती है

भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के अनुसार नए वर्ष का प्रारम्भ वर्षप्रतिपदा के दिन होता है। वर्षप्रतिपदा की तिथि निर्धारित करने के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए हैं। ब्रह्मपुराण पर आधारित ग्रन्थ ‘कथा कल्पतरु’ में कहा गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय के समय ब्रह्मा जी ने सृष्टि […]

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वेद में पाप और क्षमा

शंका:- जब ईश्वर पाप को क्षमा नहीं करता तो फिर ये स्तुति व प्रार्थना किस एतबार से ईश्वर करवा रहा है अपने भक्त से क्या ईश्वर भक्तों को भ्रम में रखना चाहता है ? समाधान:- सर्वप्रथम आपने जो अर्थ दिया है इसे पूरा कर लेते हैं ताकि समझने में सरलता हो। अव नो वृजिना शिशीह्यृचा […]

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नित्य प्रेरणा १* हमारी मातृभूमि

* भारत हमारी पवित्र भूमि है। यहां तक कि देवताओं ने भी इसकी प्रशंसा करते हुए इस प्रकार गीत गाए हैं: “गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे। स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।” -(विष्णुपुराण- 2/3/24) “स्वर्ग में भी देवगण निरंतर यही गान करते हैं कि जिसने भारतवर्ष में जन्म लिया है, वे पुरुष हम देवताओं […]

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जातिवाद को मिटाने के हमारे पूर्वजों का एक विस्मृत प्रयास

#डॉविवेकआर्य आर्यसमाज और शुद्धि आंदोलन। ₹500 (डाक खर्च सहित) मंगवाने के लिए 7015591564 पर वट्सएप द्वारा सम्पर्क करें। 1926 में पंजाब में आद धर्म के नाम से अछूत समाज में एक मुहिम चली। इसे चलाने वाले मंगू राम, स्वामी शूद्रानन्द आदि थे। ये सभी दलित समाज से थे। स्वामी शूद्रानन्द का पूर्व नाम शिव चरन […]

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अध्याय 7 …..तो क्या इतिहास मिट जाने दें कांति ,शांति, क्रांति और हिंदू

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। इसी सभ्यता को यदि ‘विश्व सभ्यता’ कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें दो राय नहीं कि संपूर्ण विश्व समाज ने भारत की संस्कृति और सभ्यता से ही शिक्षा लेकर आंखें खोलीं। मैथिलीशरण गुप्त जी की ये पंक्तियां हमारे इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को स्पष्ट करती […]

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तीन-तीन गुफावाली गुप्त गोदावरी के दिव्य रहस्य

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी रहस्यमयी भू विज्ञान :- चित्रकूट का यह परिक्षेत्र अपने विविधता के लिए विश्व विख्यात है। इस अंचल के भूगर्भ में जानी अनजानी अकूत खनिज सम्पदायें वनस्पतियां और विविध प्रकार के जीव- जन्तु और खनिज संसाधन भी मौजूद है। कहीं लौह-/ अयस्क तो कहीं हीरा निकलने की संभावना व्यक्त की गई […]

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जानकी कुण्ड ,चरण चिन्ह और यज्ञ वेदी

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी धर्मनगरी चित्रकूट भगवान श्री राम की तपोस्थली रही है। यहां प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल के लगभग बारह साल व्यतीत किए थे। रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर कामदगिरि के प्रमुख द्वार से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर चित्रकूट सतना राजमार्ग पर जानकी कुंड स्थित है। यहां श्वेत […]

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भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 2

बिहार स्थित महाबोधि मंदिर भारतवर्ष वास्तव में सर्व संप्रदाय समभाव का देश रहा है। वैचारिक मतभेदों के उपरांत भी मानवता और धर्म के नाम पर हम सब एक रहे हैं । हमने कभी भी किसी की व्यक्तिगत पूजा पद्धति को अपने संबंधों के आड़े नहीं आने दिया। यही कारण रहा कि यहां पर विपरीत मत […]

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