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भारतीय संस्कृति

तुलसीदास की दोहावली में लोकजीवन के नीति तत्वों का निरुपण*

* (डॉ. परमानंद तिवारी- विनायक फीचर्स) भारतीय संस्कृति अनेकानेक झंझावातों से गुजरती हुई इस अवस्था को प्राप्त हुई है। कई लोगों ने ‘स्वान्त: सुखाय’ की संकल्पना पर आधारित रघुनाथ गाथा को लोक आख्यान नहीं, बल्कि भारतीय सामाजिक संरचना का तात्कालिक संविधान कहा है। तुलसी की रचनाओं का आधार लोक कल्याण ही था। इसमें सभी वर्गों […]

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उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए माता-पिता का संतुलित मर्यादित आचरण बहुत आवश्यक है

[पुरुष व स्त्री दोनों के ब्रह्मचर्य से युक्त होने से ही उत्तम संतान होती है] (१) एक ग्वालियर के मारवाड़ी ने स्वामी दयानंद जी के जीवन की एक कथा सुनाई। उसने बतलाया कि स्वामीजी के उपदेशों की चर्चा सुनकर एक प्रतिष्ठित मुसलमान भी उनके पास गया, परन्तु उसका मुख सर्वदा उदास रहता था। स्वामीजी ने […]

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प्रेम, भक्ति और करुणा की देवी राधा : एक पौराणिक दृष्टिकोण

आचार्य डा.राधे श्याम द्विवेदी राधा रानी जी श्रीकृष्ण जी से ग्यारह माह बड़ी थीं। लेकिन श्री वृषभानु जी और कीर्ति देवी को ये बात जल्द ही पता चल गई कि श्री किशोरी जी ने अपने प्राकट्य से ही अपनी आंखे नहीं खोली है। इस बात से उनके माता-पिता बहुत दुःखी रहते थे। कुछ समय पश्चात […]

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हनुमान जी की पूजा और महिलाएं*

(पंडित दयानन्द शास्त्री – विनायक फीचर्स) वैसे तो 33 करोड़ देवी-देवताओं की कल्पना की गयी हैं जिनमें शिव, राम, कृष्ण, दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश- पार्वती- हनुमान आदि प्रमुख हैं। इनमें हनुमान की एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा करने से लगभग सभी देवी.देवताओं की पूजा का एक साथ फल मिल जाता है। हनुमान साधना कलियुग में […]

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वेद ही क्यों?

लेखक- पं० क्षितिश कुमार वेदालंकार [संसार के सभी मत वाले अपने-अपने धर्म ग्रन्थों को ईश्वरीय ज्ञान कहते हैं, तब प्रश्न उठता है कि वेद ही क्यों? इस प्रश्न का सुलझा उत्तर आर्यसमाज के उच्च कोटि के विद्वान्, वक्ता और पत्रकार लेखक की लेखनी से पढ़िए। -डॉ० सुरेन्द्र कुमार] इस प्रश्न को उपस्थित करने वाले दो […]

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राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक श्रीराम 

     प्रेमप्रकाश शास्त्री                      (स्नातक गुरुकुल प्रभात आश्रम मेरठ )                      जहां एक ओर राष्ट्र शब्द की उत्पत्ति राजृ दीप्तौ धातु और ष्ट्रन् प्रत्यय के योग से  निष्पन्न होती है वहीं दूसरी ओर राष्ट्र में तद्धित शब्द और ईय प्रत्यय के जुड़ने से राष्ट्रीय शब्द बनता है । राष्ट्र […]

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मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गुणों की प्रशंसा कैकेई ने भी की है

🌼🍀🍁🍀🍁🍀🌼 🚩‼️ओ३म्‼️🚩 आप सबको मर्यादा 🔆 पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव ( श्रीराम नवमी) की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। . यदि किसी मनुष्य को धर्म का साक्षात् स्वरुप देखना हो तो उसे वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करना चाहिये। श्री राम का चरित्र वस्तुतः आदर्श धर्मात्मा का जीवन चरित्र है। महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना करके […]

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते

पं. लीलापत शर्मा – विभूति फीचर्स विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है- ‘पवित्र नारी सृष्टि की सर्र्वोत्तम कृति है। सृष्टि में वात्सल्य, स्नेह, प्रेम की अमृत धाराएं नारी हृदय से निकलकर इस संसार को अमृत दान कर रही हैं’ कवि रस्किन ने कहा है- ‘माता का हृदय एक स्नेह पूर्ण निर्झर है, जो सृष्टि […]

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वैदिक सृष्टि संवत की वैज्ञानिकता

!! ॐ !! चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को नववर्ष मानते हैं। फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है। हमारे समस्त वैदिक मास ( महीने ) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर […]

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गुण कर्म स्वभाव के आधार पर ईश्वर के अनेक नामों की सूची

(ऐसे कुछ साथियों के विशेष आग्रह पर पुनः प्रसारित जो इस लेख को ईश्वर के नाम, रूपों को विशेष रूप से संग्रह करना चाहते हैं पूर्व प्रसारित किए गए लेख में कुछ संशोधन के साथ इसलिए प्रेषित किया जाता है) 10 अप्रैल 2024 की प्रातः कालीन बेला यथायोग्य आदर व सम्मान के साथ अभिवादन करते […]

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