समूह-जीवन जीव को एक नयी चेतना देता है। इसलिए ही आदिकाल से मानव, पशु, पक्षी, आदि समूह मे रहकर जीवन जीते आये हैं। उनमें भी मानवसमूह विशिष्टï है। भगवान ने मनुष्य को बुद्घि दी है। इसलिए समूह में भी सबका कल्याण हो, सब आनंद प्राप्त कर सकें ऐसी व्यवस्था मनुष्य करने लगा। कालक्रम में इसमें […]
Category: भारतीय संस्कृति
वैदिक ऋषियों, महर्षियों, मनीषियों द्वारा वेदों, पुराणों, धर्मशास्त्रों, काव्यग्रंथों के माध्यम से समृद्घ भारतीय चिंतन को देववाणी के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है जो कि भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। भारतीय संस्कृति के संदर्भ में संस्कृति: संस्कृतमाश्रिता-यह कथन पूर्णतया सार्थक है। वैदिक ऋषि ने इस संस्कृति को सबके द्वारा श्रेष्ठ प्रथम संस्कृति स्वीकार […]
किसी भी देश की संस्कृति उसकी आध्यात्मिक, वैज्ञानिक तथा कलात्मक उपलब्धियों की प्रतीक होती है। यह संस्कृति उस संपूर्ण देश के मानसिक विकास को सूचित करती है। किसी देश का सम्मान उस देश की संस्कृति पर ही निर्भर करता है। संस्कृति का रूप देश तथा काल की परिस्थितियों के अनुसार ढलता है। भारतीय संस्कृति का […]
विदेशों में भारतीय संस्कृति
एशिया महाद्वीप में भारतवर्ष की भागोलिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया के दक्षिण में भारतवर्ष फेेला हुआ है। प्राचीनकाल से एशिया के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्रों से भारतवर्ष का संबंध रहा है। वस्तुत: एशिया की समृद्घि और उदय का भारतीय इतिहास से बहुत घनिष्टï संबंध रहा है। संपूर्ण एशिया के इतिहास और संस्कृति पर भारत का […]